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Arora PR
सूखे ह्रदय की बंजर भूमि. आंसुओ की बूंदो से तर तौ हुई लेकिन मुझे तौ प्यार के अनमोल बीज बोने थे. उस पर कैसे बोऊँ ? उसके लिए उन्नत उर्वरक मुझे अभी तक मिले नही ©Arora PR उन्नत उर्वरक
Mysterious Girl
Ravendra
atrisheartfeelings
कुछ महत्वपूर्ण बातें .... Please read in caption.... बहुत मेहनत के बाद यह चिन्ह तैयार किया हैं अतः आप से निवेदन हैं कि आप इसे हर students से सहभागिता करें...*✍🏻✍🏻✍🏻 1) + = जोड़
Vandana
अन्न का दाना एक अन्न के दाने में होती कितनी जान पूरा एक पौधे का हो जाता निर्माण,,,,,,,, कई बीज उभर आते कई असंख्य बीज और जन्म जाते,,,,,,,,, कई सभ्यता आई
AK__Alfaaz..
रात, बिछौने पर, बिछायी गयीं, उसकी चुप्पियां, सिलवटों की लहरों मे, डूबकर कराह रही थीं, और..नैनों की कोरों से, बहे उसके दो मोती, तकिए के गिलाफ पर पड़े, अपने घर का, पता पूछ रहे थें उससे, उसकी आँखों पर सजी, काजल की काली सरिता, पलकों के बंध तोड़, उम्मीद की बहती, बाढ़ मे बहकर, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #सावन_की_साँझ रात, बिछौने पर, बिछायी गयीं, उसकी चुप्पियां,
AK__Alfaaz..
उसकी, उम्र के अमावस की रात, तीसरे पहर, इक याद लुढ़क आती है, उसके मन के गलियारे में, जहां, इक आशाओं के, रोशनदान से, हर सुबह झांकती है, उसके प्रेम की धूप, वो जानती है, गेहूं से..घुन की तरह, प्रीत के सूपे से फटककर, निकाली नही जा सकती हैं, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #गुलमोहर उसकी, उम्र के अमावस की रात, तीसरे पहर, इक याद लुढ़क आती है,
Sunita D Prasad
#शब्दों का कौमार्य..... यह शब्दों का सौंदर्य रहा कि हर नए वाक्य पर उनका कौमार्य यथावत रहा। इधर मैं कविता की वे अंतिम पंक्तियाँ रही जिन्होंने उसके प्रारब्ध के संग पूर्ण निर्वाहन किया। मैंने इच्छाओं की उर्वरक भू पर पाँव जमाते हुए स्नेह की दृंढ़ता को थामना चाह पर इच्छाएँ वजनी निकलीं। मेरे मुखमंडल पर विग्रह वेदना का प्रतिबिंब ठहरता इससे पूर्व एक समृद्ध संतुष्टि का आवरण स्वेच्छा से ओढ़ लिया दुःख की तुलना में सुख अकिंचन रहे पर अस्तित्वहीन नहीं जीवन में प्रेम तब उद्धृत हुआ जब वह लगभग परिभाषा विहीन हो चुका प्रतीक्षित अनुभूतियाँ भाषा के अभाव में अनर्थ सिद्ध हुईं पूरे नाट्यक्रम में अपने संवादों को कंठस्थ कर नेपथ्य में प्रविष्टि की प्रतीक्षा करती रही परंतु हम सभी अस्थाई दृश्यों के अस्पष्ट पात्र ही साबित हुए। जीवन अपनी गति में चला दृश्यों संग पात्र बदलते गए पर कुछ प्रतीक्षाएँ कभी समाप्त नहीं हुईं जहाँ दुनिया वृताकार रही वहीं प्रेम सरल रेखा समान संभवतः तभी वृत की गोलाई कभी नाप ही नहीं पाई!! #शब्दों का कौमार्य..... यह शब्दों का सौंदर्य रहा कि हर नए वाक्य पर उनका कौमार्य यथावत रहा।
Sunita D Prasad
यदि बुखार, इन्फेक्शन, या कोरोना के डर से त्रस्त हैं तो निम्न लेख फिर से पढ़ें। बहुत लोग फायदा उठा चुके हैं। एक साल्ट है पोटैशियम एलुमिनियम सल्फेट जिसे alum भी कहते हैं। यह आपकी रसोई में होगा, नही है तो बाजू के किरयाने वाले से 5 rs की ले लीजिये। इसे आम भाषा मे फिटकरी कहते हैं। 100 ग्राम फिटकरी तवे पर रखिये। पिघल जाए तो उसे ठंडा कर लीजिए। उसे तवे से उतार कर कूट कर डिब्बी में डालकर रख लें। यह आपकी रामबाण दवाई है जो फेंफड़े सीज हों, दमा हो या दिल कमजोर हो, बलगम हो उसे दी जा सकती है। किसी के दांत में दर्द हो तो इससे कुल्ला करो। किसी घाव पर लगाओ। इसे बाल्टी में डालकर उस पानी से नहाओ, सब्जियां धो लो, पीलिया हो तो चुटकी भर फिटकरी दही की भर कटोरी में डालकर खायें आदि। जब ट्रम्प ने कहा था कि सेनिटाइजर के टीके बना कर लगाओ तब हम हंसे थे। लेकिन यह एकमात्र ऐसा सेनिटाइजर है जिसका सेवन किया जा सकता है। एक चुटकी फिटकरी का यह भुना हुआ पाउडर लें। चम्मच भरकर शहद लें और पांच बूंद अदरक के रस की डालें और पीड़ित को चटा दें। एक dose सुबह एक dose शाम। कुल दो दिन मे चार dose ओनली। फेफड़े की तमाम दिक्कतों में रामबाण दवाई है यह ।2008 में पिता जी को इस दवाई ने डेथ बेड से तब उठाया जब उनके फेफड़े न्यूमोनिया और बलगम से सीज हो गए थे और डाक्टर ने जवाब दे दिया था । यदि बुखार, इन्फेक्शन, या कोरोना के डर से त्रस्त हैं तो निम्न लेख फिर से पढ़ें। बहुत लोग फायदा उठा चुके हैं। एक साल्ट है पोटैशियम एलुमिनियम
Divyanshu Pathak
"Sweet sixteen" षोडषी अथवा स्वीट सिक्सटीन की अवधारणा इसलिए महत्वपूर्ण है कि जन्म के बाद प्रतिवर्ष एक-एक कला का पूर्ण विकास होता है। सोलह वर्ष में सभी सोलह कलाएं पूर्ण विकास को प्राप्त कर लेती हैं। एक और तथ्य महत्वपूर्ण है कि इस षोडषी पुरूष में तीन पुरूष रहते हैं- अव्यय, अक्षर और क्षर। इसमें अव्यय आलम्बन है, किसी कार्य-कारण भाव में नहीं आता। अक्षर निमित्त कारण है। अक्षर पुरूष स्वयं समष्टि रू प है। उसमें से व्यष्टि भाव में जीव और जड प्रादुर्भूत होते हैं। अत: अक्षर पुरूष ईश्वर कहलाता है। स्वयं अव्यक्त है, अदृश्य रहता है। ये अतिसूक्ष्म तत्व जब घनभाव में आता है तब यही व्यक्त होकर क्षर पुरूष कहलाता है। विश्व क्षर रू प है। इसको ये अक्षर गतिमान रखता है। क्षर पदार्थ के स्वरूप से जुडा हुआ समवायी कारण है। 🕉😁🔯🌷🤗😀😀💮💐💠🌻🏵🌺🚺🏵🌹🏵😃😊😊🕉💮 आधुनिक पश्चिमी वैज्ञानिक भी मानते हैं कि शरीर में भी प्रमुखत: सोलह तत्व हैं- आक्सीजन हाइड्रोजन (यद्रुजन यानी बहती हु