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निर्भय निरपुरिया
White हम मोहब्बत के सफर पर जा रहे। बोलिए किस वास्ते घबरा रहे।। बाग के सब फूल देखो खिल चुके बाग के सब फूल है मुरझा रहे। कल किसी ने दी हमें थी बददुआ आज महफिल में है गजलें गा रहे चांद के पहलू में सदियों से खड़ा इस जहां में आशिकी जिंदा रहे कागजों पर बह चली है स्याहियां वास्ते नस्लों के भी रस्ता रहे। बाद तेरे वह गली ही छोड़ दी ताजा कलियों पे नया भौंरा रहे। वह नदी मंदिर किनारा छोड़ कर शहर की गलियों में है पछता रहे। यह जहां तुमको मुबारक यार सुन क्या बदल जायेगा गर हम ना रहे। बिजली के तारों में उलझी है पतंग सर ता पा अब आशिकी लटका रहे कल कयामत होनी हो सो आज हो बाद उसके कौन जाने क्या रहे। निर्भय चौहान २१२२२१२२२१२ ©निर्भय चौहान #Road Vishalkumar "Vishal" Anshu writer Sudha Tripathi एक Mohabbati विधार्थी Snehi Uks
निर्भय निरपुरिया
White वो पतझड़ बाद जो आता है मौसम। गई खुशियां कहां लाता है मौसम। नए सब फूल पत्ते फल है निकले नई नजरों को ही भाता है मौसम।। मैं जब चाहूं तुम्हें मैं भूल जाऊं । तुम्हारी याद ले आता है मौसम। यूं दिल के सारे ताले बंद है फिर। भला क्यों लौट कर आता है मौसम । पहाड़ों से है ठोकर खा के आया। मुंडेरों पे बरस जाता है मौसम ।। बुढ़ापे में जवानी याद करके। निगाहों में ठहर जाता है मौसम ज़हन में जब बदलने लगता है तो। बदन पर भी उभर आता है मौसम।। सियासत आदमी को खाए लेकिन । सियासत को भी खा जाता है मौसम। मुझे अपना बताता है ये निर्भय उसे कितना सता जाता है मौसम। ©निर्भय चौहान #SAD Shiv Narayan Saxena Kumar Shaurya Dhyaan mira Snehi Uks Rakhee ki kalam se
निर्भय निरपुरिया
Men walking on dark street वक्त पे हम कभी,यार मिल जाते तो। वक्त के हाथ में दिल न देते कभी। वक्त बेवक्त ये प्यार क्यों लाया है। छोड़ कर जा रहे जब अपने सभी। क्या कोई फूल है ,अब जो सूखा नहीं। क्या कोई आह है जो कि भूखा नहीं। क्या मुझे आ गई है तिजारत सनम, इश्क करके छुपाना क्या धोखा नहीं। हर घड़ी जिंदगी एक व्यापार है, जिसमे मुझको मुनाफा न होगा कभी। चल चलें गांव के मंदिरों की तरफ, वो शिवाला जहां हम मिले थे कभी। देख कर के नदी के भंवर डर गए। भावनाओं के पर, पर हिले थे कभी। अर्चना आरती सारे ही व्यर्थ हैं, फिर से अब मुकुराना ना होगा कभी। क्या तुम्हें याद है,अपनी अंतिम घड़ी, वो मुलाकात जिसमे लगी थी झड़ी। एक भींगे हुए खत को हाथो में ले, तुम सिसकती हुई भींगती थी खड़ी। सूखे उस खत में अब ढूंढता हूं तुम्हे, कुछ तो बोलोगी कुछ तो कहोगी कभी।। निर्भय चौहान ©निर्भय चौहान #Emotional Vishalkumar "Vishal" Snehi Uks Anshu writer Kapil Nayyar Madhusudan Shrivastava
Banarasi..
Men walking on dark street share and follow ©Banarasi.. Khyaal #Poetry #hunerbaaz #Life #Nojoto Mohan raj Snehi Uks Shiv Kishore Nîkîtã Guptā Antim
sweetie Bhumi
बैठा हूं एक हरे भरे पेड़ के तले जाने क्यों ये लग रहा है जैसा मेरा बीता कल हैं ये हां..बिलकुल ऐसे ही तो था मैं एक दम खिला खिला सा हरदम मुस्काता लोगो के सुख दुख अमीरी गरीबी जीवन से लेकर मरण तक का साथी रहने वाला जाने क्यों तब किसी से कुछ पाने की आस नहीं थी खैर मिलता तो आज भी किसी से कुछ नहीं हैं लेकिन उनसे एक उम्मीद बैठी हुई है मन में अब मेरी उम्मीदें टूटने लगी हैं हर रोज़ मैं कमज़ोर पड़ने लगा हूं एक ठूंठ की तरह बन कर रह गया हूं अब जिसे ना तो किसी में कोई दिलचस्पी हैं और ना ही कोई उसे पसंद करता हैं ©sweetie Bhumi #Hope #Life_experience Kumar Shaurya Aditya Snehi Uks कर्म गोरखपुरिया R...Ojha प्रशांत की डायरी shivom upadhyay Chaudhari Arish Khan एक
निर्भय निरपुरिया
एक नायक के पीछे खड़ी भीड़ उस अधूरी कहानी को पूरा होते देखना चाहती है जो सबने लिखी होती है। अधूरी.... ©निर्भय चौहान #aaina Snehi Uks Dhyaan mira Mukesh Poonia Ambika Jha NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )
sweetie Bhumi
साहब ऐसे ऐसे बेहतरीन रंग दिखाए इस ज़िन्दगी ने कि इस नाचीज़ को ये होली के रंग भी अब फीके लगने लगे हैं! ©sweetie Bhumi #zindagi R Ojha Snehi Uks Sircastic Saurabh Chaudhari Arish Khan Kumar Shaurya
निर्भय निरपुरिया
मुझको निष्ठुर कह डाला, खुद को है निष्पाप किया। गलती करने वाले कहते, जाओ तुमको माफ किया।। दिन मैं भी भुला तो नही हूं। उन बेमतलब रातों के। जब बेमतलब मतलब निकले, मेरे सब हालातों के। अपनी केंचुली मुझको देकर, अपना दामन साफ किया। गलती करने वाले कहते, जाओ तुमको माफ किया। प्रेम को पूजा,तुमको देवता, कर के क्या पाया हमने। विरह योग तड़पे फिर , मन का मंदिर ढाया हमने। पुण्य कर्म सब उसके निकले, मेरे हिस्से पाप दिया। गलती करने वाले कहते, जाओ तुमको माफ किया।। जाओ रातों को उठ उठ कर, गीत मेरे तुम गाओगे। नज्में मेरी याद आयेंगी , जब गालों को सेहलाओगे। आखिर मैं भी दीवाना था, बस इतना ही अभिशाप दिया। गलती करने वाले जाओ, तुमको हमने माफ किया।। निर्भय चौहान ©निर्भय चौहान #retro Rakhee ki kalam se Vishalkumar "Vishal" Kumar Shaurya Snehi Uks NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )
निर्भय निरपुरिया
चार दिन बीत गए, चार लोगों के लिए।। रीत से प्रीत गए, चार लोगों के लिए।। जिंदगी जंग सही, हम नही लड़ पाए। हार कर जीत गए, चार लोगों के लिए।। चैन और नींद गई, दुख गए सुख गए। मन के सब मीत गए, चार लोगों के लिए।। शेर गजलें सभी, नज़्म कताएं गई। स्वर व संगीत गए, चार लोगों के लिए।। तुम गए,वो गए। स्वप्न भी खो गए। प्रेम के गीत गए, चार लोगो के लिए।। दिल गया सांस गई, खुद से थी,आस गई। रस्मों के भीत गए, चार लोगों के लिए।। चार दिन बीत गए, चार लोगों के लिए। निर्भय चौहान ©निर्भय चौहान #longdrive Snehi Uks Rakhee ki kalam se Vishalkumar "Vishal" Sudha Tripathi Anup Joshi
निर्भय निरपुरिया
Blue Moon किसी गम को भी बद्दुआ ना लगे। खुशी को भी मगर बुरा ना लगे। तुम्हे दिल और को भी देना है। किसी से दिल मगर तेरा ना लगे। गले में मां ने बांधी थी दुआएं। किसी के प्यार की हवा ना लगे।। कहीं भी आना जाना छोड़ आया । पता मेरा उसे पता ना लगे। मुझे धीरज बंधा के जा रहा है । खता उसकी कहीं खता ना लगे।। उसी का हाल उस से पूछता हूं । उसे भी हक मेरा अता ना लगे ।। 2122 1212 112 ©निर्भय चौहान #bluemoon #gazal #shayari #nojoto Kumar Shaurya Snehi Uks Vishalkumar "Vishal" Rakhee ki kalam se Madhusudan Shrivastava