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Murtaza Ali
ऐ ज़मीं ए करबला, ज़रा बढ़कर इस्तकबाल तो कर! काफ़िला ए नवासा ए रसूल, बढ़ रहा है तुझ तरफ..! मुकबिल है शब ए आशूरा अब तो। हाले आले रसूल अब क्या ही होगा...!! ✍️✍️मुर्तजा ’मोहसिन’ ©Murtaza Ali #कर्बला
अनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
नुमाइशे जिस्म की ना करना ऐ इश्क़ बेरूख़ी मैं सादगी का काय़ल हूँ पूरी लिवास में आना तब बेशक तड़पा करते फिरेंगे 'रूहें' जुस्तजू बना ही लिबास क्यों यदि 'नग्न'तुझे था आना 'मुझे इल्म' रत्ती सी नहीं बच्चे हैं क्यों सुनूँ ताना मगरूर बेगैरत मंजूर नहीं नज़रों से 'गोस' खाना कद्र कर ढ़ककर बदन बा अदब पर्दो में आना जिस्म में तो हैवानियत हैं इनसे 'क्या टकराना' हर तरफ शोर है तो क्या हुआ सफ़र जारी तो है जवानी का जोश' है तो क्या हुआ नादानी तो है बिना पहचान कि जिस्म एक अंजानी कर्बला है देखो पर्दानशीं में हमारी तुम्हारी सबकी भला है ©Anushi Ka Pitara #बेपर्द #कर्बला #Love
محمد انش __
जिसने हक़ कर्बला में अदा कर दिया, अपने नाना का वादा वफा कर दिया, सबकुछ उम्मत के खातिर फिदा कर दिया, घर का घर _ सुपुर्दे 😥😥 खुदा कर दिया , उस हुसैने हैदर पे लाखों सलाम ? ©Mohammad Aneesh #कर्बला😥😥
कर्बला😥😥 #समाज
read moreAJEEM KHAN
हो जाएगा तुझे भी एहसास-ए-कर्बला तन्हा किसी अजीज़ की मय्यत उठा कर देख ©AJEEM KHAN #एहसास#कर्बला#मैय्यत #river
Saani
बेटे अली के ,मुस्तफ़ा के नवासे हुसैन हैं। हर एक वली के आंखों के तारे हुसैन हैं।। सर देकर, सदा हक़ का बुलंद कर दिया। अब हर क़ौम कह रही है हमारे हुसैन हैं।। (saani) yaad ए कर्बला 9।
yaad ए कर्बला 9।
read moreAli
वो तो दुनियां को दिखना था मंजरे कर्बला वरना जो छुड़ी हजरत इब्राहिम के बेटे पर ना चली वो मेरे प्यारे नबी के नवासे पर क्या चलती .. !! ©Ali #कर्बला #खुदा #दिल #स्टेटस
DINESH SHARMA
Tears come in every eyes, कैसी जंग थी मासूम पानी के लिए तड़पाये गए सजदे में सर थे उनके, धोखे से जब उड़ाए गए कर्बला की ओर से आज भी जो सदा आती है वहाँ के पत्थरों में अब भी नमी है यही बताती है ©दिनेश शर्मा 10.09.2019, 09:00 AM #RDV19 #muharram #karbala #मुहर्रम #कर्बला
Saani
ग़मे हुसैन में रोता है क़ायनात अब भी। हद से जाकर मैंने अनहद में देखा। फूल, शज़र, जिन्न व बशर में देखा। पहाड़, दरिया और समंदर में देखा। सिसकती,बिलखती फ़िज़ाओं में देखा। आता है महीना ये मुहर्रम का जब भी। ग़मे हुसैन में रोता है क़ायनात अब भी। नाना के दिन पर अब जान को लुटाने। बचपन में किये हुए हर वादे को निभाने। दीन के राह में पड़े हर कांटे को हटाने। बहत्तर मुसाफिर चल दिये दीन को बचाने। दिया जो ख़ून सभी ने, है गवाह रब भी। ग़मे हुसैन में रोता है,..... या रब क्या ज़ुल्म की वो इन्तहा होगी? सब्र के उनकी क्या कोई,इन्तहा होगी? इधर भी थे नमाज़ी,उधर भी थे नमाज़ी। इधर हक़ की लड़ाई, उधर सिर्फ बेहयाई। ना मुमकिन है सबकुछ लिखना अब भी। ग़मे हुसैन में रोता है,......... (Md Shaukat Ali "Saani") याद ए कर्बला 7। #Nojoto #Nojotonews
याद ए कर्बला 7। #nojotonews
read moreHomendra Kumar
कछुए की उड़ान कछुओं का एक राजा था।उसे राजा बृहस्पति के विवाह का निमंत्रण मिला।वह आलसी था।फलतः घर पर ही रह गया। विवाह के उत्सव में सम्मिलित नही हुआ।बृहस्पति नाराज हो गए।उन्होंने कछुओं को पीठ पर अपना घर ढोने का साप दे दिया। एक समय एक बड़े तालाब में एक कछुआ रहता था।उसमे अनेक राजहंश भी रहते थे। उनकी उड़ान कछुए को बहुत अच्छी लगती थी। वह भी। ©Homendra Kumar #Colors कविता की कहानी।#कहानी