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दीक्षा गुणवंत
ये बारिश का मौसम, ये मौसम की तन्हाई। तू पास ना आ सका मेरे, पर तेरी यादें चली आईं।। तन्हा तन्हा मैं यहां, तेरे दूर होने की ये रुसवाई। मैं बस अकेली बैठी थी यहां, जाने क्यूं तेरी यादें चली आईं।। -लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी" . ©दीक्षा गुणवंत ये बारिश का मौसम, ये मौसम की तन्हाई। तू पास ना आ सका मेरे, पर तेरी यादें चली आईं।। तन्हा तन्हा मैं यहां, तेरे दूर होने की ये रुसवाई। मैं बस
ये बारिश का मौसम, ये मौसम की तन्हाई। तू पास ना आ सका मेरे, पर तेरी यादें चली आईं।। तन्हा तन्हा मैं यहां, तेरे दूर होने की ये रुसवाई। मैं बस
read moreKnazimh
__अपने__ आँखे अब नहीं रोती, पुराना वक्त याद कर के। टूटे लहज़े से नाजिम, अब नहीं हकलाता है। बढ़ गया है आगें समय से वो जहां पहले कभी तुम थे। जितने अपने न थे उससे ज्यादा कही विरोधी, थी तो क़ामयाबी पास उसके । फिर भी असफलता के नारे थे कितना हताश बैठा हूँ , जहाँ मेरे अपने थे। जहाँ मेरे अपने थे।। ©Knazimh अपने.....!. . . #आत्मविश्वास * #आगे_बढ़ना * #चुनौतियाँ * #सफलता
अपने.....!. . . आत्मविश्वास * आगे_बढ़ना * चुनौतियाँ * सफलता
read moreBhupendra Uikey
बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में 🌺👰 ©Bhupendra Uikey बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में
बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में
read moreMď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]
White ✍️["बरसों की तन्हाई"]✍️ "आज मैं उस शख़्स से मिला, जिससे मिलने की बचपन से ख़्वाहिश थी। बातें हुईं कुछ यूँ कि लगा, जैसे बरसों की तन्हाई थी।" 💕💕 💕💕 💕💕 ✍️["चाँदनी की आरज़ू"]✍️ "ऐ काश, चाँद की बाहों में एक चाँदनी भी होती, रात की ख़ामोशी में बस उसी की रोशनी होती।" ©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."] #Moon ["#चाँदनी की #आरज़ू"] ["#बरसों की #तन्हाई_और_.....# #shayari love
दीक्षा गुणवंत
तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी" , ©दीक्षा गुणवंत तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"
तू बाँध ले अपने ईश्क़ की डोर से मुझे, आग लगे मेरी इस आज़ादी को। -लफ्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"
read moreVijay Vidrohi
|| नकली बाबा|| घरबार की जिम्मेदारी निभाना, ना हो जिसके बस की बात। लेकर कर्जा भग जाते हैं, बच्चों को वे छोड़ अनाथ। बढ़ा के दाढ़ी- बाल छुपाते हैं वो अपनी पहचान। अनपढ़ अज्ञानी बाबा बन कर, देते मूर्खों को ज्ञान। कोई कत्ल का कोई रेप का, कोई चोरी का अपराधी आधे से ज्यादा की होती, सोच बहुत जातिवादी। सच्चे साधू संत कभी भी, छुआछूत नहीं करते ऊंच-नीच जो करते हैं, होते ढोंगी पाखंडवादी। क्यों पढ़ने नहीं देते दूसरी, जात को आखिर वेद पुराण किसने यह षड्यंत्र रचा, ब्राह्मण को मिला उच्च स्थान। पंडित पुजारी मठाधीश, ये ही बनते महामंडलेश्वर क्या यह भेदभाव करता है, कोई भगवन परमेश्वर। ©Vijay Vidrohi ||नकली_बाबा|| #gururavidas #कबीर #शैली #my #new #poetry #doha #qoutes Hinduism metaphysical poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry
କିଶାନ୍
White जाने वाला हूं" तुम नहीं रोकोगी, है ना। ठीक है फिर। ध्यान रखना और खुश रहना। मुझे तुमसे नाराजगी है बहुत, पर नफरत नहीं, ओके। पता है, मैं कॉल करता हूं, बात करने को। पर तुम्हारे पास कभी समय रहा ही नहीं। कोई नहीं। पर यार, इतनी पीड़ा होती है ना, जो कोई शब्दों से बता ही नहीं सकता। जैसे सूखा पेड़ बारिश के इंतजार में खड़ा हो,पर कोई बादल न आए। जैसे किसी बच्चे को लगता है, मां-बाप हैं, ध्यान रखेंगे, देखेंगे। पर मैं तो मजाक बना हूं, है ना। मतलब मुझे उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। पर होता है कि तुम्हे सबकुछ माना है मतलब जिसे तुम मानो,वो भी तुम्हें बहुत माने। और फिर अचानक से देखना ही बंद कर दे। हां, मैं जा रहा हूं। और मुझे जाना भी चाहिए। जहां सम्मान न हो,वहां मेरा कोई काम नहीं। तुम्हें पता है, मुझे पता है कि मैं न पहला बन पाया, न आखिरी।पर मैं फिर भी साथ रहना चाहता था। कि प्रेम है तो रहूंगा। पर ठीक है। तुम वो नहीं हो जिसे मेरी चिंता हो। पता है, मैं मैसेज भी क्यों कर रहा हूं। क्योंकि मुझे पता है कि तुम्हें सबसे घटिया और गिरा हुआ लग रहा हूंगा, है ना। पर पता है, मतलब मैं जो दिन देख रहा हूं ना,ये लगता है कि कब मौत आए यार। पर उसने नहीं आनी। मैं तुमसे बोल भी क्यों रहा हूं। तुम्हें तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता। पता है, जिस दिन ये मोबाइल बहा दिया, वही दिन आखिरी होगा मेरी तरफ से। और उसके तुमसे हाथ जोड़ के प्रार्थना है... कि हो गया फिर, बाय। जाने वाला हूं। पर लगता है,रोक लो जाने न दो। मैं वो सोचता हूं जो कभी होना नहीं है। जैसे आसमान में कोई टूटता तारा, जो गिरने से पहले रुकना चाहता हो। जैसे सागर की लहरें किनारे पर ठहरना चाहती हों, पर ठहर न पाएं। जैसे अंधेरे में खोया हुआ चांद, जो रोशनी को छूने का सपना देखे। Love you, बहुत सारा। ©କିଶାନ୍ #Sad_Status Writer SHIVAM MISHRA शायरा माही (पहाड़ी छोरी) अdiति Richa Chaubey
#Sad_Status Writer SHIVAM MISHRA शायरा माही (पहाड़ी छोरी) अdiति Richa Chaubey
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White "जब तुम नहीं होती" जब मैं तुमसे बातें कम कर पाता हूँ, तब भी तुम्हारी बातें, मेरे दिल में, रह-रह कर गूँजती हैं। तुम साथ नहीं होती, पर हर पल तुम्हारे साथ बिताया हुआ महसूस करता हूँ, जब तुम नहीं होती। तुमसे मिलना नहीं हो पाता, पर हर मोड़ पर तुम्हारा इंतज़ार रहता है, तुम्हारे बिना भी तुम्हारी मोजूदगी हर जगह होती है, जब तुम नहीं होती। मैं तुमसे प्रेम करता हूँ, ये तो तुम जानती हो, पर ये प्रेम और गहरा हो जाता है, जब तुम नहीं होती। हर रात तुम्हारे माथे पर प्रेम भरा चुंबन करता हूँ, वो आलिंगन जो कभी नहीं होता, पर महसूस होता है, जब तुम नहीं होती। नाराज़गी है मुझसे, ये भी मैं जानता हूँ, पर फिर भी दिल से तुम्हें चाहता हूँ, ये सब होता है, जब तुम नहीं होती। मैं तुम्हारे साथ जीना चाहता था, तुम्हारे बिना जीवन का अर्थ खो सा गया, पर आज भी तुम्हारा साथ महसूस होता है, जब तुम नहीं होती। एक आखिरी ख्वाहिश है मेरी, कभी तो मेरे पास आओ, अंतिम समय में तुम्हारी गोद में समाना चाहता हूँ, तुम्हारे चेहरे की आखिरी झलक देखते हुए जाना चाहता हूँ। क्या तुम उस समय होगी, जब मैं तुम्हें सबसे ज़्यादा चाहूंगा? क्या तुम मेरी इस ख्वाहिश को पूरा करोगी? कह दो ना, कि तुम आओगी, नहीं कहोगी? फिर भी, मैं इंतजार करूंगा, तुम्हारे न कहने पर भी, मैं इंतजार करूंगा। ©କିଶାନ୍ #GoodNight Writer अdiति Richa Chaubey शायरा माही (पहाड़ी छोरी) $ π ! √ Û
#GoodNight Writer अdiति Richa Chaubey शायरा माही (पहाड़ी छोरी) $ π ! √ Û
read morevish
Unsplash नये साल में, नई बहार चाहती है जिंद़गी ग़मों की नहीं, अब खुशियों की बौछार चाहती है जिंद़गी जिंद़गी ©vish # खुशियों की बौछार
# खुशियों की बौछार
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