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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
कैसे मुमकिन है कि,प्यास पानी से मर जाए... इरादतन इक समंदर को प्यासा दिखाना था..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 इरादतन
Neophyte
बाबू सोना किये बग़ैर जो मर जाते है वो लोग भी हमे मोहब्बत सिखाते है वो लोग सिखाते है हमे सब्र का आलम दो दिन बिना महबूब के जो तरस जाते है ख्वाहिशों से इश्क़ करने वाले लोग ख्वाहिशें पूरी न हो तो रुठ जाते है मोहब्बत में दिखावे को कुछ लोग किसी भी हद के आगे कूद जाते है यादें,यादें किसे नही आती है हम तो इरादतन भूल जाते है ©क्षत्रियंकेश इरादतन!
Parasram Arora
धर्मो ने ही धर्म की हत्या की है आज अगर धर्म की जगह अधर्म दिख रहा है. और आदमी के हाथों मे बुझा हुआ दीया दिख रहा है तों इस दीए को बुझाने वाले लोग न तों कोई राजनीतिज्ञ नकोई नास्तिक. न वैज्ञानिक . न भौतिकवादी है... इस दीये क़ो बुझाने वाले लोग तथाकथित धार्मिक लोग है.... osho ©Parasram Arora धर्म की हत्या
Dipika Saini
आत्मा की हत्या करके यदि स्वर्ग भी मिले,, तो वह नरक है.... jai shri radhe shyam 👏 🙏 ©Dipika Saini # आत्मा की हत्या........
CK JOHNY
तसुव्वर-ए-जाना में ही गुज़र गई ये जिंदगी गैर इरादतन इश्क़ की ताउम्र सजा ऐसी मिली फिर भूल कर भी इरादा-ए-इश्क़ न कर सके। अपनी मर्जी से न जी ही सके और न मर सके। गैर इरादतन इश्क़
Rabindra Kumar Ram
" लिख रहा तुझे कौन सी बात बन जाए , मुहब्बत की अब कौन सी अल्फाज़ बन जाए , गैर इरादतन तु भी कोई बात छेड़ ऐसे में , जाने कब हमारी कब कौन सी बात बन जाए. " --- रबिन्द्र राम #मुहब्बत #इरादतन #अल्फ़ाज़
kartik chadha
विकास इंग्लिश में कहें तो Development जो दिखती है पर कभी समझ में नही आती, जो बिकती है लेकिन ख़रीदारी समझ मे नही आती, जो बढ़ती तो है पर बढ़ती नजर नही आती। हज़ारों फिरते है इसी develoment की आस में, पर development के नाम पे एक गुल्लक मिलती है। जिसकी चाबी तो है, लेकिन खुलती नही है। Development के नाम पर, पेड़ों से ज्यादा आज गाड़ियां दिखती है। हर चौराहे पे हुडनगियों की सेना दिखती है। सोच के बजाए हर गली मोहल्ले के poster में बिकती है। Solution के बजाय question raising में दिखती है। आज घरों के बजाय केवल ईमारतें दिखती है। सफलता सिर्फ BP डिप्रेशन में मिलती है। आज शादियाँ पैसा ख़र्च करके होती है। करप्शन की कमाई में लोगों की खूब आस होती है। माँ बाप से ज्यादा उस पराई लड़की की चलती है। आस्था एक गन के रूप में USE होती है। समाचार में भी रेप गुंडागर्दी की गप चार मिलती है। दिखती है पर समझ में नही आती, बिकती है पर औकात नजर नही आती, ये विकास की धारा बढती तो है, पर बढ़ती नजर नही आती। ©®roasted___life™ विकास की धारा
Sonu Kumar Yadav
प्रेम की धारा धारा से मेघा ,मेघा बनावे। प्रेम से फिर उसी धारा पर बरसा वे। जैसे धारा को प्रेम मिले हैं। जैसे धारा पर बूंद रूप में प्रेम बरसत है।। प्रेम दिए हैं प्रेम मिले हैं। जल मिले हैं जल बरसे हैं।। चारों ओर संसार में प्रेम अग्न लगे हैं। आनंद जानन प्रेम परखा वन। मैंने जवाब नियति गान।। अपनी बरखा कब बरखेगी? रुत मिलन के कब आएंगे? थक ग्यो यह नैना मोरा। सखी प्रेम बिनु थकान लागो नैना मोरा। इंतजार में युग बीत गयो। बीत गए दिन - रात , आठ पहर बीत गए, सुबह - शाम संघ कई वर्ष भी! युग भी बित गए। कब होगी प्रेम की बारिश ? कब खेलेंगे प्रेम के पुष्प? कब चलेगी प्रेम की आंधी? कब बरसेगा कोरे कागज - पर प्रेम भरे बूंद? कब मेरे प्रेम को मिलेगा नए पतझड़ का धूप? ... कवि सोनू प्रेम की धारा