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Prakash Shukla
तुम पर्यावरण बचाओ वो तुमको बचाएगा,नहीं तो परिणाम मे एक दिन ऐसा आएगा न तुम बचोगे न तुम्हारी झूठी ये शान,हो जाओगे नष्ट वो तुमको निगल जाएगा वसुन्धरा के तन को पेड़ों से ढाँक दो,माँ कहा हमने उसे उसका हक अदा करो माँ देगी हमें सब कुछ न माँगेगी कभी,प्रकृति से सरेआम खिलवाड़ न करो क्योंकि प्रकृति भी अपना संतुलन बनाएगी,तुम अति करते गए तो तुम्हें मार जाएगी इसीलिए सुनलो..... पर्यावरण बचाने के शर्त और नियम,जनसंख्या विस्फोट रोको खुद पे रखो संयम प्राकृतिक संसाधनों का हो उचित उपभोग,औद्योगिक संस्थान होने चाहिए निरोग उत्पादन मे वृद्धि हो और जल का संचयन,पर्यावरण बचाने के यही शर्त और नियम कृषि प्रधान है देश अपना गर्व से कहें,पेड़ो को जीवित रखेंगे हम रहें या न रहें #प्रकाश #स्वरा #पर्यावरण #बचाना #स्वरा
Vikas samastipuri
दुनिया तेजी में है बिमारी उस से भी आगे हमें है खुद बचना गॉंव शहरों से भी हो रही आगे। कवि विकास समस्तीपुर बिहार। ©kavi vikash गॉंव बचाना है। #WorldAidsDay
Shamy Barnwal
आप सभी को रंगोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। हम सबके जीवन में हर्ष, उल्लास, प्रेम और भाईचारे का समावेश हो। इसी उद्देश्य के साथ प्रस्तुत है मेरी एक रचना।💐💐🙏 🌹हमें जिद है🌹 टूटते रिश्तों को बचाने की जिद है, रोते हुए को हंसाने की जिद है। हर होंठों पे हंसी अच्छी लगती है, कोई रूठ जाये तो मनाने की जिद है। किसी का दिल ना दुखे मेरी वजह से, कोई दिल दुखाये तो भूल जाने की जिद है। समझदारी को देखा जख्म बड़े देती है, इसलिए बचपन को बचाने की जिद है। हर तरफ खुशी हो ये चाहत है मेरी, सबकी खुशियों में अपना गम भूल जाने की जिद है। हाँ हर पल अब मुस्कुराने की जिद है।। Shamy Barnwal(शमी) ©Shamy Barnwal रिश्ते,मनाना, बचाना, हंसाना
sachin mishra
ये जो कहर दुनिया पर आया है सबको मिलके इससे दूर भगाना है शंखनाद डमरू घंटा ध्वनि से आसमान को फिर हिलाना है इस महामारी को अब मिटाना है अब और जो तुम ना संभले तो ये और बढ़ते जाना है थोड़ा सोच समझ के सनातन धर्म पालन से इससे बचा जाना है अपने धर्म पताका को अब दुनिया में फहराना है गो माता और तुलसी जी को हर घर में लाना है आने वाली पीढ़ियों को इनके महत्व समझाना है इस अमृत रस जीवन में और बहाना है फिर से एक मुस्कान दिलो में खिलाना है दुनिया को बचाना है
Shailesh "saral"
।।बचपन को बचाना है।। देश की मौजूदा हालत पर, पतझड़ में घिरा देखो, उपवन को बचाना है। मेघों को बचाना है, सावन को बचाना है। प्रदूषण पर, नदियों में जहर घोला, पेड़ों को मिटा डाला अब मौत के पंजे से जीवन को बचाना है। अपनों में पर आए हैं रिश्ते हुए बेमानी दीवारों के घेरे में आंगन को बचाना है । औरतों की दुर्दशा पर, आंखों से बहा काजल कहता है ये रो-रो कर आंखों को बचाना है , दरपन को बचाना है। जब कोंख में किलकारी घुट के मर जाती है। मुस्कान बचाने को बचपन को बचाना है। शैलेश "सरल" #बचपन को बचाना है।।#
Azaad Pooran Singh Rajawat
"गौरैया कभी हर घर की सदस्य होती थी कभी दरवाजे पर ,कभी खूंटियों पर चीं चीं चीं चीं का मधुर संगीत सुनाती थी भोर हुए जगाती,सांझ ढले सुलाती थी कभी कभार बंद कर दरवाजा बचपन होता मन का राजा थका थका कर गौरैया को पकड़ लेते थे रंग देते थे पंखों को,और उड़ा देते थे आज वही गौरैया प्रजाति खाद्य पदार्थों में केमिकल्स के प्रयोग से समाप्ति के कगार पर है संकल्प ले हम सब गौरैया प्रजाति को बचाना है फिर अपने घर की सदस्य बनाना है।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #गौरैया को बचाना है#