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Amit Singhal "Aseemit"
हमेशा यूं खोये न रहो ख़ुद में, न रहो बेनियाज़, अपने रिश्तों की कर लो परवाह और लिहाज़। ज़िंदगी में मेहनत और मज़ा तो ज़रूरी होते हैं, लेकिन रिश्तों को खोने के बाद हम ही रोते हैं। ©Amit Singhal "Aseemit" #बेनियाज़
Aliem U. Khan
मैं क्या लिखूं! मेरी आदत है सोचने की बहुत। हर एक लफ़्ज़ को छूकरके देखने की बहुत। गुज़रते वक़्त के लम्हों को थामने की बहुत.. बस एक पल में इक सदी को समेटने की बहुत! हज़ारों ख़्वाब सजाकर के तोड़ने की बहुत.. मेरी आदत है ज़िंदगी से उलझने की बहुत! मैं मंज़िलों से बेनियाज़, बस सफ़र में हूं.. मैं क्या करूं! मेरी आदत है चलने फिरने की बहुत। किसी डगर पे सुबह-ओ-शाम ठहरने की बहुत.. फ़िराक़-ओ-वस्ल में शहर-शहर भटकने की बहुत! मेरी आदत है हादसों से गुज़रने की बहुत.. उन हादसों से बार-बार उबरने की बहुत। ठोकरें खाकर, गिर-गिर के संभलने की बहुत.. मैं क्या कहूं! मेरी आदत है यूं जीने की बहुत। #yqaliem #yqbhaijan #kyalikhun #adat #zindgi बेनियाज़ - Independent, Self-sufficient फ़िराक़-ओ-वस्ल - separation
#Yqaliem #yqbhaijan #kyalikhun #adat #zindgi बेनियाज़ - Independent, Self-sufficient फ़िराक़-ओ-वस्ल - separation
read moreUmar Shaikh
#शिकायत_में की अोर - की तरफ कीब्ला रुख - जिस सिमत रुख करके नमाज़ अदा करते है तकबीर-ए-तहरिम - नमाज़ की निय्यत बा
#शिकायत_में की अोर - की तरफ कीब्ला रुख - जिस सिमत रुख करके नमाज़ अदा करते है तकबीर-ए-तहरिम - नमाज़ की निय्यत बा #gazal #ग़ज़ल #nojotophoto #شاعری #Shikayat_Main
read moreumar SHAIKH
#OpenPoetry दिल हो मेहबूब की आेर, ज़ुबानी इज़हार काफी नहीं मोहब्बत में जेसे किब्ला रुख लाज़िम है, तकबीर-ए-तहरीम काफी नहीं इबादत में सेवा करता रहा पूरी कोम की, मगर छोड़ दिया मां बाप को कम अक्ल भूल गया जन्नत तो है छुपी, इन ही की खिदमत में भुला कर अर्श वाले को, फर्श वालो से करके सवाल नादां करता है मोहताज को शरीक, बेनियाज़ की वहदत में थोडा इंतेज़ार और कर लेते तो उसे अपना बना ही लेते हम तो जीती बाज़ी हार गए, जरासी उज्लत में बख्श देना चंद आयात कबर पर हमारी, अपनी ही खातिर केसे बेहलाओंगे जी अपना हमारे बगैर, तनहा जन्नत में करते हो वफा की उम्मीद, करके रुसवा सारे जहां में कोई कसर तो छोड़ी होती तुम ने, लगाई तोहम्मत में करते तो हो तुम साथ निभाने के वादे हज़ार लेकिन झूट दिखता है शफ़ाफ हमें , तेरी उल्फत में अभी और शिकवे रेहते है, मगर बयां करने नहीं 'उमर' चार रोज़ की जिंदगानी है, गुज़ारनी नहीं शिकायत में #शिकायत_में की अोर - की तरफ कीब्ला रुख - जिस सिमत रुख करके नमाज़ अदा करते है तकबीर-ए-तहरिम - नमाज़ की निय्यत बा
#शिकायत_में की अोर - की तरफ कीब्ला रुख - जिस सिमत रुख करके नमाज़ अदा करते है तकबीर-ए-तहरिम - नमाज़ की निय्यत बा #gazal #ग़ज़ल #شاعری #OpenPoetry #Shikayat_Main
read moreव@हिD️
पर्दे पर्दे में बात उसकी थी, दिल में पोशीदा ज़ात उसकी थी, तुम ने दुनिया का ज़िक्र छेड़ दिया, मेरे होंठों पे बात उसकी थी, वो गया तो अंधेरा छोड़ गया, रोशनी जैसी ज़ात जिसकी थी, सुबह से छलकी छलकी है आंखें, गुफ्तगू कल रात उसकी थी, बेनियाज़ी शेआर था जिसका, कायनात व हयात उसकी थी, नोहे लिखना है उम्र भर वाहिद, ज़िन्दगी बेसुबात उसकी थी... पर्दे पर्दे में बात उसकी थी, दिल में पोशीदा ज़ात उसकी थी, तुम ने दुनिया का ज़िक्र छेड़ दिया, मेरे होंठों पे बात उसकी थी, वो गया तो अं
पर्दे पर्दे में बात उसकी थी, दिल में पोशीदा ज़ात उसकी थी, तुम ने दुनिया का ज़िक्र छेड़ दिया, मेरे होंठों पे बात उसकी थी, वो गया तो अं #कविता
read morePrAshant Kumar
जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है वो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी है मैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँ मेरी नज़र में वो पत्थर भी है खुदा भी है सवाल नींद का होता तो कोई बात ना थी हमारे सामने ख्वाबों का मसअला भी है जवाब दे ना सका, और बन गया दुश्मन सवाल था, के तेरे घर में आईना भी है ज़रूर वो मेरे बारे में राय दे लेकिन ये पूछ लेना कभी मुझसे वो मिला भी है जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है वो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी है मैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँ मेरी नज़र में वो पत्थ
जो मेरा दोस्त भी है, मेरा हमनवा भी है वो शख्स, सिर्फ भला ही नहीं, बुरा भी है मैं पूजता हूँ जिसे, उससे बेनियाज़ भी हूँ मेरी नज़र में वो पत्थ #poem
read moreRatan Singh Champawat
❤दिल की देहरी से❤ 🙏🏻कुछ स्पंदन🙏🏻 रोज़ मंज़र अज़ीब दिखते हैं खौ़फ में खु़द सलीब दिखते हैं दर हकी़कत है दूर हम लेकिन देखने पर क़रीब दिखते हैं शेष अनु शीर्षक में पढें.... #dilkideharise ❤दिल की देहरी से❤ 🙏🏻कुछ स्पंदन🙏🏻 रोज़ मंज़र अज़ीब दिखते हैं खौ़फ में खु़द सलीब दिखते हैं
#dilkideharise ❤दिल की देहरी से❤ 🙏🏻कुछ स्पंदन🙏🏻 रोज़ मंज़र अज़ीब दिखते हैं खौ़फ में खु़द सलीब दिखते हैं #gazal
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