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Naresh Chandra
कृपया हिन्दुओं कि इतिहास कैप्सन मे पढे 🙏🙏 मित्रों..!!🙏🌿 अगर आपको पढ़ने मे दिलचस्पी और हमारा हिन्दू इतिहास जानने की जिज्ञासा है तो... आइये पढ़ते है... हिंदुओं का इतिहास..🌿❤️ विज्ञान क
Pawan Rajput @123
कवि मनीष
भगवान श्री कृष्ण जो कि विष्णु के एक अवतार माने जाते है।उनके द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान आज भी मनुष्य को धर्म के मार्ग पर चलने को प्रेरित क
भगवान श्री कृष्ण जो कि विष्णु के एक अवतार माने जाते है।उनके द्वारा दिया गया गीता का ज्ञान आज भी मनुष्य को धर्म के मार्ग पर चलने को प्रेरित क #nojotophoto #कविमनीष
read morePawan Rajput @123
Pawan Rajput @123
#HumanityForAll Akash(sky) dr. Naveen Parihar back bench Sonam jain Jain Anjali NeGi GAUTAM SHAKUNTALA GOSAI Devwritesforyou Anshul Seth
read moreVikas Sharma Shivaaya'
सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओं में अदिति के 12 पुत्र शामिल हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- विवस्वान् (सूर्य), अर्यमा, पूषा, त्वष्टा, सविता, भग, धाता, विधाता, वरुण, मित्र, इंद्र और त्रिविक्रम (भगवान वामन)। सूर्य देव का परिवार काफी बड़ा है- उनकी संज्ञा और छाया नाम की दो पत्नियां और 10 संतानें हैं जिसमें से यमराज और शनिदेव जैसे पुत्र और यमुना जैसी बेटियां शामिल हैं। मनु स्मृति के रचयिता वैवस्वत मनु भी सूर्यपुत्र ही हैं। सृष्टि के प्रारम्भ में ब्रह्मा जी के मुख से 'ऊँ' प्रकट हुआ था, वही सूर्य का प्रारम्भिक सूक्ष्म स्वरूप था। इसके बाद भूः भुव तथा स्व शब्द उत्पन्न हुए। ये तीनों शब्द पिंड रूप में 'ऊँ' में विलीन हए तो सूर्य को स्थूल रूप मिला। सृष्टि के प्रारम्भ में उत्पन्न होने से इसका नाम आदित्य पड़ा। भैरव और कालभैरव:-यह एक ऐतिहासिक सत्य है कि भैरव उग्र कापालिक सम्प्रदाय के देवता हैं और तंत्रशास्त्र में उनकी आराधना को ही प्राधान्य प्राप्त है। तंत्र साधक का मुख्य लक्ष्य भैरव भाव से अपने को आत्मसात करना होता है। काल भैरव शिव का ही स्वरूप हैं। इसलिए शिव की आराधना से पहले भैरव उपासना का विधान बताया गया है। भैरव भगवान महादेव का अत्यंत ही रौद्र, भयाक्रांत, वीभत्स, विकराल प्रचंड स्वरूप है। 1- कालभैरव भगवान शिव के अवतार हैं और ये कुत्ते की सवारी करते है। 2- भगवान कालभैरव को रात्रि का देवता माना गया है। 3- कालभैरव को काशी का कोतवाल माना जाता है। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 266 से 276 नाम 266 दुर्धरः जो मुमुक्षुओं के ह्रदय में अति कठिनता से धारण किये जाते हैं 267 वाग्मी जिनसे वेदमयी वाणी का प्रादुर्भाव हुआ है 268 महेन्द्रः ईश्वरों के भी इश्वर 269 वसुदः वसु अर्थात धन देते हैं 270 वसुः दिया जाने वाला वसु (धन) भी वही हैं 271 नैकरूपः जिनके अनेक रूप हों 272 बृहद्रूपः जिनके वराह आदि बृहत् (बड़े-बड़े) रूप हैं 273 शिपिविष्टः जो शिपि (पशु) में यञरूप में स्थित होते हैं 274 प्रकाशनः सबको प्रकाशित करने वाले 275 ओजस्तेजोद्युतिधरः ओज, प्राण और बल को धारण करने वाले 276 प्रकाशात्मा जिनकी आत्मा प्रकाश स्वरुप है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओ
सूर्य देव :-पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है-अदिति के पुत्रों को आदित्य कहा गया है-33 देवताओ #समाज
read moreYumRaaj ( MB जटाधारी )
यमराजः अथवा धर्मराजः संसारस्य सर्वेषां जीवानां प्राणिनां अन्तिमसंयंत्रणकर्ता च अस्ति। अयम् यमराजः वेदपुरुषस्य पुत्रः च आहूतः अस्ति। अत्र अस्मिन् लेखे यमराजस्य परिचयः निरूप्यते। नाम: यमराजस्य नाम धर्मराजः अथवा यमः इति प्रसिद्धमस्ति। "यम" शब्दः संस्कृतभाषायाम् "नियमने" अर्थे प्रयुज्यते, यथा यमः जीवानां कर्मणि नियमयति इति नामकरणं योग्यं भवति। तस्य अपि अन्ये नामानि च सन्ति, यथा अंतकः, कालः, वैवस्वतः, धर्मराजः, मृत्युः इत्यादयः। पितरोऽधिपतिः: यमराजः पितृलोकस्य पितरोऽधिपतिः अस्ति। पितृलोकं अस्य अधिष्ठानं भवति। पितृलोके प्रविष्टे सर्वेऽपि जीवाः यमराजस्य सन्निधौ आविष्कृतं भवन्ति। यमराजः तेषां कर्मणि नियमयति च तथा अन्यायानि प्रशास्तुम् अर्हति। यमलोकः: यमराजस्य निवासस्थलं यमलोकः नाम अस्ति। तत्र तेषां जीवानां कर्मफलं निरीक्ष्य यमराजः तथा विचार्य तेषां योनिसंस्थानं नियमयति। यमलोके यात्रां कृत्वा जीवाः तेन योनिसंस्थानेन सम्बद्धाः भवन्ति। यमदूताः: यमराजस्य सेनापतयः यमदूताः नाम्ना विख्याताः भवन्ति। ये यमराजस्य अधीना अस्ति ते यमदूताः यमराजस्य आदेशानुसारिणसर्वेभ्यः जीवेभ्यः सन्देशान् प्रेषयन्ति च यमराजस्य अधीना आवर्तन्ते। यमदूताः यात्रां कृत्वा जीवानां कर्मफलं तथा पापपुण्यानि निरूपयन्ति च। यमदूताः यमराजस्य अद्यतनं चरित्रं धारयन्ति च भवन्ति। यमराजस्य पाञ्चालिकं रूपम्: यमराजस्य पाञ्चालिकं रूपं अस्ति। पाञ्चालिकं रूपं यमराजस्य विभूषणानि अस्ति, यथा धर्मचक्रं, दण्डं, पाशं, यमगुप्तं च। धर्मचक्रं यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा धर्मस्य प्रतिष्ठानं। दण्डः यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा यमराजस्य न्यायविधानं। पाशः यमराजस्य हस्ते धारितं भवति, यथा यमराजस्य बन्धनानि। यमगुप्तः यमराजस्य सहायकः अस्ति, यथा यमराजस्य सङ्केतकः। यमराजस्य धर्मः: यमराजस्य धर्मः अत्यंत महत्त्वपूर्णः अस्ति। यमराजः सन्तानं धर्मं नियमयति च, यथा न्यायस्य पालनं, पापपुण्यानां फलानां वितरणं च। यमराजस्य धर्मस्य वेदपुरुषैः प्रमाणं उपपाद्यते च। यमराजस्य अर्थः: यमराजस्य अर्थः सम्पूर्ण जगत्सृष्ट्यादिकर्तृभ्यः विभूषितः अस्ति। यमराजः समस्तं कर्मफलं नियन्त्रयति च तथा अधिकृतं अनुशास्ति। यमराजस्य अर्थः धर्मरूपेण भगवत्प्राप्तौ निर्वहति च। इत्येवं यमर ©YumRaaj YumPuri Wala #navratri #यमनियम यमराज, नाम, स्वामी, यमलोक, यमदूत, यमराज पांचालिका, यमधर्म, अर्थ! #Yumraaj यमराज या धर्मराज संसार के सभी प्राणियों के परम
#navratri #यमनियम यमराज, नाम, स्वामी, यमलोक, यमदूत, यमराज पांचालिका, यमधर्म, अर्थ! #Yumraaj यमराज या धर्मराज संसार के सभी प्राणियों के परम #पौराणिककथा
read moreDivyanshu Pathak
'राजपूत' ( अतीत के झरोखे से-02 ) अग्नि-पुराण के अनुसार- चन्द्रवंशी कृष्ण और अर्जुन तथा सूर्यवंशी राम और लव-कुश के वंशज राजपूत थे।स्वयं 'राजपूत' भी इस कथन को सहर्ष स्वीकार करते हैं।इसी आधार पर श्री गहलोत ने भी लिखा है कि- "वर्तमान राजपूतों के राजवंश वैदिक और पौराणिक काल के सूर्य व चन्द्रवंशी क्षत्रियों की सन्तान हैं।ये न तो विदेशी हैं और न ही अनार्यों के वंशज।जैसा कि कुछ यूरोपीयन लेखकों ने अनुमान लगाया।डॉ दशरथ शर्मा भी लिखते हैं कि राजपूत सूर्य और चन्द्रवंशी थे। दशवीं शताब्दी में चरणों के साहित्य और इतिहास लेखन में राजपूतों को सूर्यवंशी व चन्द्रवंशी बताया है। 1274 ई. का शिलालेख जो चित्तौड़गढ़, 1285 ई.
दशवीं शताब्दी में चरणों के साहित्य और इतिहास लेखन में राजपूतों को सूर्यवंशी व चन्द्रवंशी बताया है। 1274 ई. का शिलालेख जो चित्तौड़गढ़, 1285 ई. #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1
read morevasundhara pandey
नव संवत्सरं शुभं भवेत्। प्रवर्त्तमान श्री ब्रह्मा के द्वितीय परार्द्ध में श्री श्वेतवाराह कल्प, वैवस्वत मन्वन्तर के अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम चरण में, जम्बूद्वीप
प्रवर्त्तमान श्री ब्रह्मा के द्वितीय परार्द्ध में श्री श्वेतवाराह कल्प, वैवस्वत मन्वन्तर के अठ्ठाईसवें कलियुग के प्रथम चरण में, जम्बूद्वीप
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