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Mitul Barman

givan #Poetry

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Ek villain

#Givan #Love

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जीवन परिचय जन्म लेने के साथ ही मनुष्य के जन्म में भिन्न भिन्न प्रकार की परीक्षाएं प्रारंभ हो जाती है छोटी बड़ी ना जाने कितनी परीक्षाएं व्यक्ति को जीवन पर्याप्त देनी पड़ती है कुछ मैं तो व्यक्ति सफल हो जाता है तो कुछ मेरा सफलता मिलती है व्यक्ति की सारी उपलब्धियां सफलताएं असफलताएं जीवन की उन्हीं परीक्षा में पास और फेल होने पर निर्भर है जीवन जगत में प्रवेश लेने के साथ साथ ही निश्चित हो जाता है कि हमें जीवन की परीक्षाओं से दो चार होना होगा जैसे ही एक विद्यार्थी के विद्यालय में प्रवेश लेने के साथ साथ ही तय हो जाता है कि उसके सम्मुख प्रश्नपत्र आएंगे इनमें से कुछ प्रश्न कठिन एवं कुछ सरल होते हैं विद्यार्थी सरल प्रश्नों को देखकर खुश और कठिन प्रश्नों को देखकर दुख हो जाता है पर इस प्रशन की कठिन था घटती नहीं यदि वह इन कठिन प्रश्नों को देखकर परेशान हो जाता है तो इससे प्रसन्न की कठिन था व्यक्ति ही नहीं उल्टा विद्यार्थी की असफलता की आशंका बढ़ जाएगी इसके विपरीत यदि वह शांत चित्त होकर प्रश्न को हल करने का प्रयास करेगा तो उसकी सफलता की संभावना बढ़ जाएगी ठीक ऐसा ही मनुष्य के जीवन में भी होता है जीवन की परीक्षा में भी लोग दुख कठिन अता आदि प्रतियोगिताएं आती है मनुष्य को शांत चित्त होकर विचार पूर्वक उनका सम्मान करना चाहिए शिव पुराण में उल्लेख है कि दाता की परीक्षा दुर्भिक्ष में वीर की युद्ध में मित्र की आफत काल में अच्छे कुल की विपत्ति में परिवार के पक्ष में सत्य की परीक्षा संकट के समान होती है परीक्षा जीवन के कालेपन और 68 दोनों को ज्यादा जचती है जैसे सोने की शुद्धता की परीक्षा अग्नि से होती है तो उसके खट्टे फल की परीक्षा भी अग्नि से ही होती है इस परीक्षा में सोने को काटकर दबाकर गैस कर और पीटकर जांचा जाता है उसी प्रकार त्याग शीलगुण और कर्म इन चार प्रकारों से परीक्षा पुरुष की परीक्षा ली जाती है इसलिए जीवन की हर परीक्षा का सामना शांत चित्त होकर करना

©Ek villain #Givan 

#Love

Ek villain

#Givan #Bicycle

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जीवन का पाठ्य मानव शरीर विविधता का अनुपम वरदान है साथ ही इसे भूलोक की सर्वश्रेष्ठ रचना भी माना गया है शरीर केवल आस्था मंजा का पिंड मात्र नहीं है इसकी संरचना में विज्ञान और अध्यात्म का भी सामान्य फल है जो सदैव इसकी क्रियाशीलता में दृष्टिगोचर होता है आत्म तत्व इस शरीर का अधिवक्ता है जिसके अभाव में यह मात्र है 10 दिशाओं चित्र मन और बुद्धि इसके संचालक हैं इसके अतिरिक्त विवेक शक्ति का उपहार केवल मनुष्य को प्रदान किया गया जो इससे अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ बनाता है सत्य और असत्य का ज्ञान कराने से ही शतपथ का प्रादेशिक भी है प्यार दया करुणा सद्भाव और परोपकार जैसे सात्विक भाव इस पिंड की ऊर्जा में वास्तविक क्षेत्र है जो केवल इसकी सारणी की ही नहीं मानसिक शक्ति को भी बढ़ाते हैं सरिता रोगों से लड़ने की ताकत देते हैं दैनिक आहार के साथ यह सात्विक भाव मानव जीवन यात्रा के आवश्यक पाते हैं यही मनुष्य की स्वच्छता दिन आचार्य का निर्माण भी करते हैं दुर्भाग्य से शरीर विज्ञान का अध्ययन करते समय इसके आध्यात्मिक पक्ष को कम समझा गया है आध्यात्मिक को समझे बिना शरीर विज्ञान को नहीं समझ सकता है और ना शरीर को स्वस्थ रख सकता है इसके लिए मानव जीवन का उद्देश्य समझना जरूरी है मानवता की सेवा मानव जीवन का प्रथम और अंतिम उद्देश्य है जिसकी प्राप्ति इन्हीं सात्विक भाव से होती है जीवन का वास्तविक सुख और आनंद भी इन्हीं से प्राप्त किया जा सकता है यही मनुष्य की लौकिक व आध्यात्मिक यात्रा का मानव शरीर को सभी साधनों का दाम और मुक्ति का द्वार का है जो मानवता की सेवा से ही संभव है क्योंकि मन सभी क्रियाओं का अधिष्ठान है अंत यह भी तभी संभव है जब मन शिव संकल्प लें हो क्योंकि यहां लोक कल्याणकारी चिंतन का आधार है यही मानव जीवन का पात्र भी

©Ek villain #Givan 

#Bicycle

Ek villain

#Givan #BatBall

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जीवन का उद्देश्य अपने जीवन का उद्देश्य जानना प्रत्येक मनुष्य के लिए आवश्यक है इसके अलावा मैं जीवन को सार्थक बनाना संभव नहीं है जीवन के उद्देश्य से साक्षात्कार में अध्याय आत्मा हमारा मार्गदर्शन करने में सक्षम है हमारी संस्कृति में ऐसे अनेक महापुरुष हुए जिन्होंने जीवन की सार्थकता पर विस्तार से प्रकाश डाला है प्रत्येक युग और काल में वह प्रिय यह समझने का प्रयास करते हैं कि हमारे जीवन का मूल उद्देश्य क्या है राम भक्तों की शिखर संत एवं कवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने हमारे लिए इस प्रश्न का उत्तर खोजना आसान बना दिया उन्होंने रामचरितमानस में लिखा है कि जिन्हें हरि गति हृदय नहीं आनी जीवन सब समान से ही पानी आधार जिनके हृदय में भगवान के प्रति भक्ति नहीं होती वह प्राणी जीवित रहने हुए भी सब के समान होता है तब रही है कि हृदय में भक्ति का होना ही हमारे जीवन होना अथवा जीवंत का परिणाम है और यही जीवन का मूल उद्देश्य भी है गुरु नानक देव जी ने भी इस परिणिता किया है अतिसुंदर कुली चतुर्मुखी ज्ञानी धन्यवाद अमृत तक कहीं नानक जी प्रीति नहीं भवन तथा यदि कोई व्यक्ति सुंदर कुलीन यशस्वी और धनवान भी हो तो वह भी उस पर चार संसारी ज्ञान से भी प्राप्त हो परंतु यह परमात्मा से प्रतीत नहीं है वह सच मृतक के समान है इसी प्रकार महान भाई ने भी जीवन की सार्थकता को सिद्ध करते हुए कहा है कि जग में क्या किया धनपाल के पेट से है जो दिन धंधे गया रेनी गई सुख पल्लेटे उधार संसार में जीवन लेने के बाद जीवन भर क्या किया इस शरीर में खिलाया पिलाया पेट को बढ़ाया दिनभर सारणी क्रियाकलापों में गंवाया और राते शिकार बताई इस पर यही के ईश्वर भक्ति के बिना यह जीवन व्यर्थ है यदि जीवन को परम उद्देश्य परमात्मा की भक्ति है जिसमें कर्म के बंधन से मुक्त होना संभव है अन्यथा जीवन आत्मा को अनेक कल्पों तक अनेकानेक शरीर धारण कर भटकना पड़ता है

©Ek villain #Givan 

#BatBall

Ek villain

#Givan #Love

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जीवन यात्रा आत्मविश्वास एवं मनोबल व्यक्तित्व विकास के मौलिक सूत्र इन के अभाव में किसी भी प्रकार की सफलता और सिद्धि के द्वारा पर नहीं पहुंचा जा सकता मनुष्य में विकास की असीम संभावनाएं होती है पर जब तक उसके विचारों पर निराशा ही नेता और भी रूठता का आवरण नहीं होगा तब तक उसे अपनी संभावना और शक्तियों पर विश्वास नहीं हो सकता हालात मन मुताबिक तो शायद ही कभी होते हैं फिर कई बार हम 12 कोशिश में ही हार मान बैठते हैं हमारे भीतर का हीरो बाहर निकलने की बात जो होता रहता है और हम अपनी तरक्की के दरवाजे को बंद कर ही मन बैठते हैं और कुछ नहीं हो सकता हममें से ज्यादातर को तुरंत नतीजों पर पहुंचने की जल्दबाजी रहती है मंजिल ढूंढने में जरा देरी हुई नहीं कि हम रास्ते को ही गलत ठहरा देते हैं इससे उलझनें बढ़ती हैं जरूरी है कि हमसफ़र मंजिल नहीं पूरे जीवन यात्रा पर ध्यान दें यहां समझे की नाप पैसा और कामयाबी एक दिन में नहीं मिलती हमें लगातार खुद पर काम करना पड़ता है आधुनिक मनोवैज्ञानिक में श्रेष्ठता की ग्रंथि और हीनता का ग्रंथि पर बहुत अनुशासन हुआ है जीवन की प्रगति के लिए दोनों ग्रंथियों से मुक्त प्राप्त करना जरूरी है सफल एवं संतुलन जीवन के लिए आभार एवं कृतज्ञता की भाव जरूरी है शोध कहते हैं कि हम रोज दूसरों का आभार व्यक्त करना चाहिए आभार जितना हम जीवन की पूर्णता की ओर ले जाता है यह नहीं कि हां अवस्था को मकान को घर और अजनबी को दोस्त बना देता है दुख की बात यह है कि ज्यादातर समय हम मुखौटा ओढ़े रहते हैं जैसे भीतर होते हैं वैसे ही बाहर बने रहते हैं बसते हैं डरते हैं खुद को छुपाए रहते हैं आप क्या चाहते हैं और क्या चाहते हैं इससे सम्मान सम्मान देखना सीखे साहब सबसे जरूरी गुड है इसके साथ के बिना किसी भी अन्य गुणों को जीवन में लाया नहीं जा सकता

©Ek villain #Givan 

#Love

Ek villain

आज हम आपको जीवन कर्म के क्षेत्र में बताने जा रहे हैं भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन को निराशा से उभारने के लिए उनकी शंकाओं का प्रभाव समाधान किया इसी के अंतर्गत उन्होंने जीव के कर्म क्षेत्र शरीर का निर्माण किन किन तत्वों से होता है इसके बारे में बताया है उनके अनुसार जल अग्नि वायु आकाश पृथ्वी सत रज तम अहंकार बुद्धि इच्छा द्वेष सुख-दुख और धैर्य इत्यादि के द्वारा शरीर रूपी कर्म क्षेत्र का निर्माण होता है इसी प्रकार तैयार शरीर में जीव के साथ-साथ ईश्वर के अंश के रूप में आत्मा भी निवास करती है जीव अपने विवेक के अनुसार कर्म करने के लिए स्वतंत्र होता है और हमारा आत्म साक्षी बनता है मनुष्य योनि को सबसे उत्तम इसलिए कहा गया है क्योंकि इसमें विवेक नियंत्रण कर सकता है हालांकि इसके पहले अपने अंदर विद्यमान ईश्वरीय तत्व आत्मा के दर्शन करने होते हैं अपनी आत्मा के दर्शन को ही आत्म साक्षर कहा जाता है परंतु आत्म साक्षात्कार की आवश्यकता में जाने के लिए उसे पहले कई क्षेत्र में विद्यमान तत्व को दुष्ट दुष्ट प्रभावित को दूर करने के लिए विनम्रता अहिंसा सरलता स्थिरता आत्म संयम इंद्रियां विषय का परित्याग और ईश्वर की भक्ति जैसे गुणों को धारण करना अनिवार्य होता है फिर वही समय स्थिति में आकर अपने अंदर विद्यमान ईश्वर तत्व को आत्म साक्षात्कार के रूप में अनुभव करने लगता है ऐसी स्थिति में वह अपने कर्म फल को ईश्वर की समर्पित करते हुए परम आनंद की अनुभूति करता है ऐसी स्थिति में प्रवेश करने के लिए मनुष्य कोई योग और ध्यान के रास्ते पर चलना होता है आत्म साक्षात्कार के पश्चात आत्मा अपनी जीवन यात्रा को समाप्त कर कर शांति पूर्वक परमब्रह्मा में विलीन होकर जीवन के अंतिम इसलिए मनुष्य योनि को पाकर भी यदि कोई व्यक्ति जीवन के अंतिम लक्ष्य को नहीं पाता तो वह एक बहुमूल्य अवसर को खो देता

©Ek villain #Givan 

#GaneshChaturthi

jv.raman

givan ka ek pal #story

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umesh

Suman Dahal

hai sathi tara aasu ko dharaall people#.com #morningstory

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Utam Digal

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