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sumankumar
Irfan Saeed
Irfan Saeed
White अंधेरे चीखते है खिड़कियां आवाज़ देती है बहरी हुकूमत अंधों को ही काज देती है जुल्मों सितम से अक्सर लड़ते है कलमकार गूंगों को भी लेखनी, अल्फ़ाज़ देती है मीडिया भी झूठ का स्कूल हो गया झूठों को बोलने का अंदाज़ देती है वक्त कभी एक सा रहता नही "इरफान" मुफलिस को ज़िंदगी भी कभी ताज देती है ©Irfan Saeed अंधेरे चीखते है खिड़कियां आवाज़ देती है बहरी हुकूमत अंधों को ही काज देती है जुल्मों सितम से अक्सर लड़ते है कलमकार गूंगों को भी लेखनी, अल्
बादल सिंह 'कलमगार'
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
वो अभी अभी सरासर बुराई देने लगा है, के अंधों को जब से दिखाई देने लगा है//१ तुझको गुमा भी नही,तेरी बेजा हरकत से,था राज जोपोशीदा,वो अब सबको दिखाई देने लगा है// दस्त उठाकर,वो नजर से गिर गए इतने,के उसके जैसे उसे ही वाह वाही देने लगा है//३ यार तेरी हमदर्दी तो और भी बदतर निकली, के अब तु चर्ब जुबां से दुहाई देने लगा है// मेरे चमन में गुल खिलने लगा है,के खुदा "शमा" की बेटियों को,बेटो पे बड़ाई देने लगा है//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #relaxation वो अभी अभी सरासर बुराई देने लगा है,के अंधों को जब से दिखाई देने लगा है//१ तुझको गुमा भी नही, तेरी बेजा हरकत से,था राज जो पोशीद
Naveen
रोया रात भर उनको याद करके.. वो सो रहे थे चैन से हमे भूलके ! याद उनको भी आएगी हमारी मोहब्बत.. जब वो रोयेंगे किसी और को याद करके ! धोखों के खेल में हम कच्चे रह गए .. यहाँ लोग झूठ बोलते रहे, हम सच्चे रह गए ! सच के बाज़ार में झूठ आखिर बिक ही गया .. हम तो खड़े देखते रहे, ये क्या हो गया ! अक्सर जब उनको, नए लोग मिल जाते है .. फिर उनको पुराने लोग, बोझ लगने लग जाते है ! कहने को तो बहुत कुछ है, अंधों के इस शहर में .. अब तो दिल ख़ामोश हो गया, धोखों के इस कहर में ! पहले ये मोहब्बत, जीने की चाह दिखलाती थी .. दिल टूटने पर यही, मौत की राह दिखलाती है ! ©Naveen Diariess रोया रात भर उनको याद करके.. वो सो रहे थे चैन से हमे भूलके ! याद उनको भी आएगी हमारी मोहब्बत.. जब वो रोयेंगे किसी और को याद करके ! धोखों के
Prashant Shakun "कातिब"
अकेले ही पालती है बच्चों को जब कोई साथ नहीं देता एक माँ, पिता भी बन जाती है जब कोई साथ नहीं देता Happy Father's Day Mummy ©Prashant Shakun "कातिब" करके क़ुर्बान सभी सपने अपने दो बच्चों को उसने अकेले ही पाला है पाकर रूप में अपनी माँ उसको 'प्रशांत' बना किस्मतवाला है बनकर आंखे कई अंधों की
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर