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Poonam Kashyap
सोयी थी मैं गहरी नींदों में । (कैप्शन में पढ़ें 👇) ©Poonam Kashyap // अनुशीर्षक में पढ़ें //🌺 सोई थी मैं गहरी नींदों में न जाने क्यों लोग चीख - चीख कर पुकार रहे थे । जिनसे कभी मुलाक़ात भी नहीं होती थी वो भी
Vedantika
जो होता इल्म जरा भी हमें जुदाई का, तो क़यामत को ख़ुशी से गले हम लगाते। तुमसे जुदा होकर क्या करते ज़िंदगी का, न ख़ुशी से जी पाते और न ग़म में मर पाते। •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - १० •●• 《चैलेंज: ५》 कोलाॅब कीजिए ४-८ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १२ पंक्ति
Vedantika
दर्द सहा था बहुत ही हमने तन्हा रहकर, अकेले ही ज़ख़्म का मुदावा किया था। तेरे दिखावे के जाल में फंसकर हमने, अपने थे जो उनसे किनारा किया था। •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - १० •●• 《चैलेंज: ४》 कोलाॅब कीजिए ४ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १२ पंक्तियो
Vedantika
नमी बनकर बसे हो तुम इन आँखों में, दिल में आज भी तुम्हारा ख़्याल बाकी है। करती हूँ तेरी तस्वीर से बहुत से सवाल मैं, सुकून दे जो मन को मेरे, वो जवाब बाकी है। जो याद नहीं रहा तुम्हें इश्क़ का उसूल एक, उसी इश्क़ में अभी तो मेरा इम्तिहान बाकी है। •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - १० •●• 《चैलेंज: ३》 कोलाॅब कीजिए २-६ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १२ पंक्ति
Vedantika
हुआ नहीं है खाली पैमाना प्यार का, आज भी छलक रही हैं बातें आप की। गुलाबी शाम गुजरती है अहसास में तेरे, करती हूँ जो तेरे नाम रातें महताब की। तुझको जज्ब किया हैं अपनी रूह में, तुमने न की कदर भले हमारे ज़ज्बात की। तस्वीरों में आज भी मुलाकात हो हमारी, उसी कोने में मिलती हैं मुझे झलक आपकी। •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - १० •●• 《चैलेंज: २》 कोलाॅब कीजिए २-८ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १२ पंक्ति
Vedantika
खोल दे द्वार हृदय के, इंतज़ार में है रूह मेरी, तेरे लिए मेरे खुदा का, मोहब्बत भरा पैग़ाम आया है। पाकीज़गी तेरे हुस्न की, दुनिया में सबसे अज़ीम है, जिसकी चाँदनी के आगे हर एक फरिश्ता शरमाया है। •●• जीएटीसी क्रिएटिविटी - १० •●• 《चैलेंज: १》 कोलाॅब कीजिए २-६ पंक्तियाँ पृष्ठभूमि में लिखें। अपनी पूर्ण रचना को अधिकतम १२ पंक्ति
Vedantika
गुड़हल के फूलों मे छुपी हुई महक, मुझे तेरी याद दिलाती है न जाने क्यों? क्योंकि इसे ही तो चुना था तुमने भी, अपने प्यार का इजहार करने के लिए नहीं चुना था तुमने किसी और को, बस चुना था तुमने इस गुड़हल को, मेरे और अपने प्यार की याद में ही गुड़हल का फूल दिखने में जितना सुंदर होता है, उतना ही अधिक शिक्षा देने वाला भी। मैं जब भी गुड़हल के फूल की खुली हुई पत्तियों को देखती हूँ तो सो
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चरणों पर गिरा हुआ एक फूल। वो मंदिर के बाहर बैठी हुई थी। आज उसे भरपेट खाना मिलने की उम्मीद थी। आज मंदिर को गेंदे के सुंदर पीले फूल से सजाया गया था। मंदिर की प्राचीरों पर गेंदे की लंबी-लंबी मालाए लटकी हुई थी। मंदिर के अंदर बाहर सब जगह आज पीले फूल दिखाई दे रहे थे जैसे एक दिन उसकी शादी से पहले उसके घर मे दिखाई दे रहे थे। उसकी आँखों के सामने अपनी ज़िंदगी का वो वक़्त किसी फ़िल्म की तरह घूम गया, जब उसकी शादी होने वाली थी। उसे गेंदे के पीले फूल बहुत पसंद थे।…… आज उसकी हल्दी की रस्म होने जा रही थी जिसमें इन्हीं पीले गेंदे के फूलों को पीसकर मिलाया गया था। उसने भी पीले कपड़े पहने थे। उसकी सहेलियाँ उसे
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(कमल सी) सुनो प्रियतमा तुम इस रात कमल के पुष्प सी खिलना। अपने इस प्रियवर से तुम सरोवर के किनारे ही मिलना। अशांत मन को तुम अपने कोमल स्पर्श से करना शांत, जो हैं ईश्वर को अत्यंत प्रिय तुम सृष्टि में ऐसी रचना। कमल की भांति ही इस छली संसार में रहना निश्छल, कपट के जल की बूंदों से सदा ही अनछुई रहना। कमल की पंखुड़ियों सा विस्तार तुम पाओ जीवन में, सुगंध से परिपूर्ण शब्दों को कहानी सा तुम कहना। मत सिमट जाना तुम अपने आप मे बंद कमल सी, अपने अंदर ही एक नया संसार को बनाए रखना। आज भी तुम वैसी ही हो जैसे हमारे बालपन में हुआ करती थी। आज हम सभी ने मिलकर कमल के फूलों से तुम्हारा श्रृंगार किया है। तुम्हारा ये रूप कितना म
Vedantika
बारिश की इन बूंदों में आज भीग जाने दो। मुझे मेरे दर्द के साथ आज थोड़ा जीने दो। बेहतर नहीं होगा अपने साथ और बेवफ़ा होना, मुझे अपने साथ थोड़ा सा वफादार होने दो। कोयल की कूक सी लोगों को सिसकियाँ लगे, मुझे अपनी दास्तां आज खुद ही लिखने दो। मुझसे कोई न कहे कि मैं सब भूल जाऊँ अब, लोगों के सितम मेरे दिल को याद तुम आने दो। मुझे बहुत दर्द होता है सोचकर के जो अतीत, अब मेरी ज़िंदगी का वर्तमान नया तुम होने दो। आज मुझे तुम बस रोने दो…… आज मुझे तुम बस खोने दो… कभी-कभी ज़िंदगी मे हम बहुत निराश हो जाते है, इतने कि किसी अपने का साथ भी हमें अकेलेपन से उबार नहीं पाता। हमारे मन में एक अजीब सी उलझन एक अजीब