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Abhishek upadhyay abhi
कड़ाके की सर्दी में इश्क की बरसात हुई है जो रूठे थे हमसे कयी हफ़्तों पहले उनसे भी आज बात हुई है ©Abhishek upadhyay abhi कड़ाके की सर्दी में इश्क की बरसात हुई है जो रूठे थे हमसे कयी हफ़्तों पहले उनसे भी आज बात हुई है #2021Wishes
कड़ाके की सर्दी में इश्क की बरसात हुई है जो रूठे थे हमसे कयी हफ़्तों पहले उनसे भी आज बात हुई है #2021Wishes
read moreRJ {arzoo0827}
कह दूंगी अगर तो सजदा तुम कर ही लोगे खैर छोड़ो खामोशी आप समझोगे नही बोलना अब हम को रास नही आता, और अब क्या कहे हफ़्तों से तो तुझे याद भी नही आई {leasson} insta|ek.arzoo0827 #solace कह दूंगी अगर तो सजदा तुम कर ही लोगे खैर छोड़ो खामोशी आप समझोगे नही बोलना अब हम को रास नही आता, और अब क्या कहे
#solace कह दूंगी अगर तो सजदा तुम कर ही लोगे खैर छोड़ो खामोशी आप समझोगे नही बोलना अब हम को रास नही आता, और अब क्या कहे
read moreAnant Nag Chandan
पहले तो मुझको भी हफ़्तों तक तड़पाया जाता है तब जाकर के फिर मेरा ये फ़ोन उठाया जाता है ग़ज़लें लिखकर सबसे पहले उसको भेजा करता हूँ, जैसे खाना बन जाने पर भोग लगाया जाता है। Tanoj Dadhich ©Anant Nag Chandan पहले तो मुझको भी हफ़्तों तक तड़पाया जाता है तब जाकर के फिर मेरा ये फ़ोन उठाया जाता है ग़ज़लें लिखकर सबसे पहले उसको भेजा करता हूँ, जैसे खाना
Abhishek 'रैबारि' Gairola
लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है। कभी कभी ये हमें सावधान भी किए जाती हैं कि इसे किसी ठंडी जगह रखें,ठंडी और अंधेरी जगह। शायद यह भी हमारी तरह है, हमारी वर्तमान आपे जैसी, केवल ठंडे अंधेरे में ही पनप पाती है। और गर्मी के अभाव में, अधोमुख पड़ी, बहुत ही निचला महसूस करते हुए, खिन्न, दबा दबा सा रहना चाहती हैं। हमारे मूकदर्शन के मानिंद इसका मुख भी मोहरबंद है, इसे तोड़कर ही किसी रक्त धमनी की फुहार सा रस रिसाव होगा। यह कृत्रिम माधुर्य से भरा रस जिव्हा और दाँतों में एक खटास छोड़ जाता है। बड़ी अजीब बात है न? यह वैसा ही है, हमारे मीठे सपनों सा, स्वप्न, जो उत्कर्ष से वंछित रह गए थे, और अब जिन्होंने हमारे चित्त के तालू पर एक खटास छोड़ दी हैं। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है। कभी कभी ये हमें सावधान
लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है। कभी कभी ये हमें सावधान
read moreJALAJ KUMAR RATHOUR
यार कॉमरेड, आजकल तुम्हारी याद बहुत आती है। मुझे नही पता तुम कहाँ हो लेकिन तुम सदैव तुम्हारी कही बातों के साथ, मेरे पास ही रहती हो।हमेशा से यही ख्वाहिश थी कि तुम्हें देख लिया करूँ,दिनों हफ़्तों या महिनो के बाद। लेकिन ऐसा मुमकिन नही हो पा रहा है। इन सर्द रातों में जब भी हवाएं मुझसे टकराती हुई गुजरती हैं तो याद आते हैं वो दिन जब हम छत की मुंडेर पर बैठ ताकते थे आसमां को। टूटते तारों को टूटता देख तुम अक्सर पूछती थी। ये आसमां तारों को क्यूँ टूटने देता है।मैं तुम्हारी नरम हथेलियों को थाम अंदाजे से कहता था कि "शायद उस आसमां ने तारे से सच्ची मोहब्बत की होगी इसी लिए बांध कर नही रख पा रहा होगा,क्युकी प्रेम तो आजाद होता है न। " आज हम साथ नही है। क्युकी हमने वादा ही कहाँ किया था। एक दूजे को बांधने का। हमारा वादा था। अपने सपनो को पूरा करने का। आज जब खुद को अपने ही शहर मे अकेला पाता हूँ तो हमारा एक दूसरे से किया वो वादा याद आता है कि "हम मिलकर संवारेंगे अपने इस शहर को। ... #तुम्हारी प्रतीक्षा में, ... #जलज कुमार #Bhaidooj यार कॉमरेड, आजकल तुम्हारी याद बहुत आती है। मुझे नही पता तुम कहाँ हो लेकिन तुम सदैव तुम्हारी कही बातों के साथ, मेरे पास ही रहती हो
एक अजनबी
हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते हुए, रोटियां सेक रही मां के सामने बैठकर चपर-चपर खाते हुए हमने नहीं रखी बटुए में तस्वीरें, किताबों में गुलाब, अलमारियों में चिट्ठियां हमारे कस्बे में नहीं थे सिनेमाहॉल, पार्क और पब्लिक लाइब्रेरी हम तय करके नहीं मिले, हमने इश्क़ किया जिसमें सब कुछ अनिश्चित था, कहीं अचानक टकरा जाना सड़क पर और हफ़्तों तक न दिखना भी, और उन लड़कियों से किया इश्क़ हमने जिन्हें तमीज़ नहीं थी प्यार की, जिनके सुसंस्कृत घरों की चहारदीवारी में नहीं सिखाई जाती थी प्यार की तहज़ीब हमने उनसे किया इश्क़ जिन्हें हमेशा जल्दी रहती थी,किताबें बदलकर लौट जाने की, मुस्कुराकर चेहरा छिपाने की, मंदिर के कोनों में,अपने हिस्से का चुंबन लेकर,वापस दौड़ जाने की ऊनकी भाभियां उकसाती, समझाती रहती थीं उन्हें,मगर वे साथ लाती थीं सदा गैस पर रखे हुए दूध का, छोटे भाई के साथ का या घर आई मौसी का ताज़ा बहाना, जल्दी लौट जाने का हमने डरपोक, समझदार, सुशील, आज्ञाकारी लड़कियों से इश्क़ किया जो ट्रेन की आवाज़ सुनकर भी काट देती थीं फ़ोन, छूने पर कांप जाया करती थीं, देखने वालों के आने पर, सजकर बैठ जाती थी छुइमुइयां बनकर कपड़ों के न उघड़ने का ख़्याल रखते हुए,सारी रात सोने वाली महीने के कुछ दिनों में, अकारण चिड़चिड़ी हो जाने वाली, अंगूठी, कंगन, बालियों, और गुस्सैल पिताओं से बहुत प्यार करने वाली सच्चरित्र लड़कियों से किया हमने प्यार जो किसी सोमवार, मंगलवार या शुक्रवार की सुबह अचानक विदा हो गईं, सजी हुई कारों में बैठकर, उसी रात उन्होंने फूंका बहुत समर्पण, बेसब्री और उन्माद से अपना सहेजकर रखा हुआ कुंवारापन चुटकी भर लाल पाउडर,और भरे हुए बटुए में अपनी तस्वीर लगवाने के लिए बिकीं, करवाचौथ वाली सादी लड़कियों से ऐसा किया हमने इश्क़ कि चांद, तारों, आसमान को बकते रहे रातभर गालियां खोए सब उन घरों के संस्कार, गुलाबों में घोलकर पी शराब, मांओं से की बदतमीज़ी, होते रहे बर्बाद बेहिसाब। 🌼 ©एक अजनबी #हमने_इश्क_किया #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 #बहुत_मेहनत_लगी_है। हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते ह
#हमने_इश्क_किया #कृपया_पूरी_पढ़े 🙏🏻 बहुत_मेहनत_लगी_है। हमने इश्क़ किया,बंद कमरों में फ़िजिक्स पढ़ते हुए, ऊंची छतों पर बैठकर तारे देखते ह
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