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Dinesh Janrao
मर्द तो नव्हे, ज्याचे बाहू शक्ती ने सळसळे, मर्द तो शोभे ज्याच्या कर्तृत्वाने 'स्री' स सन्मान मिळे. असा पुरुष खरा.. त्यासी माझा प्रणाम.. कलीतील मर्यादापुरुषोत्तम एैसा शोभे श्रीराम... - दिनेश शिवाजी जानराव कवी - के. गणेश
Chhotelal
ए हमार दीदी कांधे पर कांवर उठा लो ना नाही धरब बस ट्रेन नाही हेलिकॉप्टर जहाज पैदल ही देवघर जाइब ना ए हमार दीदी..... बाबा के रहिया बा दूर,जाए के बाटें जरूर पैदल चलला से दुखवा सहाई ना ए हमार भैया हमसे इ रहिया चलल जाई ना ए हमार दीदी...... नाही खाइब लहसुन नमक अरू प्याज जबले जलवा ना चढाइब तबले रहब उपास सुनों बतिया हमार इ ना भावे सब्जी आचार सेब अनार से दिनमा गुजारब ना ए हमार दीदी..... ए हमार भैया...... चाहे दिन होई चाहे होई जाई रात बाबा के द्वार जाएके जागल बा आस जनि चलो ना पैदल ना त हो जैबो घायल सुइया पहाड़ पे चढे में बुझाई ना ए हमार भैया..... ए हमार दीदी..... अच्छा बस ना धरबो त ट्रेन धलो पैसा कम लागी तु जल्दी चलो काहे कर अ तारू गम बोलत चलो बम-बम बस राकेश के मनसा पुरा दो ना ए हमार दीदी बाबा के जलवा चढालो ना ए हमारभैया दौड़लें हम बाबा धाम जाईब ना जय भोले बाबा ©Chhotelal तर्ज -ए गणेश के मम्मी
Sunita Bishnolia
सकल सृष्टि माँ-तात है, गणपति दीनों ज्ञान अंतर में भगवन बसे,सब कर लीजो ध्यान।१। विघ्न धरा से तुम हरो,गौरी-पुत्र गणेश। तम काटो अज्ञान के,रहे न भगवन लेश।२। प्रथमपूज्य गणदेवता,करो जगत उद्धार। मानस मन से त्याग दे,घृणित तुच्छ विचार।३। #सुनीता बिश्नोलिया© #जय गणेश #जय गणेश
Mamta kumari
हे गौरी सूत गणेश हे शिव पुत्र गणेश विनती बारम बार करते हम, दूर करो हमारे घर के कलेश । गणेश ।
Mohan Somalkar
नमन प्रतिभा कलेची असते एक निसर्गदत्त देणगी लिखाणाची मग मनात पेटते ठिणगी..! शांत बसु देत नाही लेखणी मनातील भाव प्रगट होतात आपोआप मग ते कागदावर हळुच उमटतात! दु:ख असो वा वेदना सुख असो वा आनंद लेखणीतुन व्यक्त झाले की मनाला मिळतो स्वानंद! प्रतिभा अशीच तुमची बहरु द्या जिथेतिथे शब्दरुपी पाखरे साहित्याचे आकाश करतील पालथे! मोहन सोमलकर ©Mohan Somalkar #गणेश
Diwan G
हे गणेश गणपति गजानन मेरी पूजा तुझको अर्पण हे लंबोदर, हे विघ्नहर्ता, दुख मेरे तू, क्यों नहीं हर्ता। करता हूँ मैं तेरा स्मरण, मेरा सब तुम्हीं को अर्पण। ध्यान तेरा नित मैं करता, तू ना रूठे हित मैं करता। मैं ध्याऊँगा,तू आयेगा, मैं आस लगाए रहता हूँ। हे गजानन, गौरीनंदन, करता हूँ तुझको समर्पण। मेरी पूजा तुझको अर्पण।। Diwan G #गणेश