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aaj_ki_peshkash
Rameshkumar Mehra Mehra
White रास्ते कहां खतम होते है..... जिन्दगी के सफर में....! मंजिल तो बही है...!! जहां ख्वाहिश थम जाए..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # रास्ते कहां खत्म होते है,जिन्दगी के सफर में,मंजिल तो बही है,जहाँ ख्वाहिशे थम जाए......
ਸੀਰਿਯਸ jatt
koko_ki_shayri
White ख्वाहिशों के काफिलों को लेकर अक्सर, उसकी रास्ते पर जाते हैं जिसकी मंज़िल नहीं होतीं हैं!! ©koko_ki_shayri #रास्ते नहीं होते हैं...✍️✍️
Shivkumar
White अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा पथ पर , चलने में माहिर बन जाऊँगा । या तो मंजिल मिल जायेगी या , अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा…। पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादें को , उसके मुक्कद्दर के सफ़ेद पन्ने कभी कोरे नही होते…। ©Shivkumar #Road #रोड #Nojoto #शायरी #nojotohindi अच्छा #मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा #पथ पर , चलने में #माहिर बन जाऊँगा । या तो #मंजिल मिल ज
Devesh Dixit
दीवार (दोहे) खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच। रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।। उलझन ही सुलझी नहीं, बिगड़ गये हालात। खींचा तानी ये करें, देते भी आघात।। मन मुटाव भी कम नहीं, खड़ी हुई दीवार। जंग छिड़ी है देखलो, निकल गये हथियार।। अब सबको ही चाहिए, अपना घर परिवार। एक साथ मिलकर नहीं, रहने को तैयार।। कैसी ये दीवार है, होते सब आघात। बेचैनी भी बढ़ रही, हो दिन या फिर रात।। कलयुग का ये है समय, चुभा रहे हैं शूल। अलग हुए जब से वही, तब से सब अनुकूल।। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #दीवार #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry दीवार (दोहे) खड़ी हुई दीवार है, अब अपनों के बीच। रिश्ते ये ऐसे लगें, जैसे कोई कीच।। उलझन ही
Himaani
White अब तो अपनों से भी बात करने का मन नहीं करता छोटे ही सही पर जख्म तो अपनों ने भी बहुत दी है ना ©Himaani #Road अपने भी काम नहीं होते
Dhaneshdwivediwriter
अधिकांश वो लोग स्वयं के साथ बड़े ही कठोर होते हैं, जो अस्वीकृति व्यक्त नहीं कर पाते हैं एवं जो अत्याधिक संवेदनशील होते हैं । @Dhanesh.Dwivedi . ©Dhaneshdwivediwriter #GingerTea अधिकांश वो लोग स्वयं के साथ बड़े ही कठोर होते हैं, जो अस्वीकृति व्यक्त नहीं कर पाते हैं एवं जो अत्याधिक संवेदनशील होते हैं ।
Vinod Mishra
AJAY NAYAK
White चेहरा ढकते चले जा रहे हैं तन के कपड़े आधे होते जा रहे हैं कुछ ऐसा बढ़ रहा है कलजुग अपना पराया, पराया अपना बना अपना ही घर तोड़ते चले जा रहे हैं –अjay नायक ‘वशिष्ठ’ ©AJAY NAYAK #SunSet #Life चेहरा ढकते चले जा रहे हैं तन के कपड़े आधे होते जा रहे हैं कुछ ऐसा बढ़ रहा है कलजुग अपना पराया, पराया अपना बना अपना ही घर