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प्रदीप
डर लगने लगा है बड़ा अब तो अपने ही घर जाने में। कही कोरोना वार ना कर दे मेरे ही आशियाने में।🤔 "प्रदीप" #ड्यूटी#घर#कोरोना
Kumar Manoj Naveen
*कंटोमेंट क्षेत्र में ड्यूटी* संक्रमित इलाके में सतत ड्यूटी, मौत का है डर, चारो तरफ मातम है पसरा, न जाने कौन और कब? चिन्तित परिवार ,पूछे कब आओगे घर, दरअसल पूछने से मतलब,हम खतरे से तो है बाहर। बात कहने में अच्छी लगती है, बीर योद्धा ने जीवन किया अर्पण, वास्तव में उनके बीवी- बच्चों से पूछो, जिनके अपने लौट के न आए घर। खैर मजबूरी ही सही, कर्तव्य पथ पर है अग्रसर, पीछे नहीं हटेंगे, अपनी जान लगा देंगे फर्ज पर। जान देने से यदि संक्रमण होती बेअसर, काश दो-चार जाने होती,बार-बार करते अर्पण। ***नवीन कुमार पाठक *** #संक्रमित क्षेत्र में ड्यूटी #
Kavita jayesh Panot
फक्र और गम फक्र करू तेरी काबिलियत पर या करू गम तेरे काम पर अखबारों सुर्खियों में जड़ गया तेरा नाम आज। गर्व हैं हर किसी को कोई बधाई हो कह रहा है में क्या कहु बता मुझे अस्ममंजस के इस वक्त में। सुबह जल्दी निकल जाते हो रातो को देरी से आते हो छोड़ जाते हो इंतजार के कुछ पल और चिंताओं के कुछ प्रश्न मेरे मन के आसमान में। कह नही पाती हूँ दर्द अपना मुझे नही ईर्ष्या तुम्हारे काम पर लेकिन इस वक्त ने मेरे स्नेह को चिंता के साथ जकड़ दिया है। बाँध तो नही सकता कोई उसे जिसे चुना हो खुदा ने ही उसकी लायकी को खुदाई के काम पर। बस दो हाथ उठा दुवाओ की दवा लिए फिरती हूँ सलामत लौट कर आओ तुम हर रोज अपने मुकाम पर। अब तू ही बता फक्र करू तेरी काबिलियत पर या चिंता करू तेरे काम पर। गर्व तो होता है लेकिन मेरा वो प्यार वाला दिल का एक कोना मुझे कुछ कहने नही देता ओरो की तरह मुझे इस वक्त में रहने नही देता । खैर छोड़ो मेरी दुवाओ में असर है इतना जब भी मांगा मेने उससे तेरी खेरियत को वो हर बार खड़ा रहा एक फरिस्ता तेरी सलामती का लेकर। फक्र भी है , चिंता भी है लेकिन अब दुआ भी है चारो पहर तेरे नाम पर।। कविता जयेश पनोत #कोरोना ड्यूटी#फक्र और गम
Anjali Raj
जिसका ना कोई सांईयाँ घर दफ्तर में होय। ड्यूटी करत करत मरे, हाल ना पूछत कोय। हाल ना पूछत कोय फिरे वो मार मारा। स्टेटस संग ही शेयर करता दुख बेचारा। कहत 'राज' घबराए खुदा भी रहे न उसका। चींटी भी गुर्राए सांईयाँ कोई ना जिसका। #अंजलिउवाच #YQdidi #कुंडलिया #घरदफ़्तर @ड्यूटी #सांईयाँ #दुख
Pushpa Sahay
उपहार धनतेरस पर सजा है बाजार, दिला दो न प्रिये एक हार, शुभ मंगल इस दिवस पर, मुझको दिला दो न उपहार... तू तो है मेरा कूबेर प्रिये , तुझको ही पूजूँ बारम्बार, मैं हूँ तुम्हारी सबसे प्यारी, मुझको दिला दो न उपहार... - पुष्पा सहाय'गिन्नी' - रांची झारखंड उपहार
जयश्री_RAM
काफी समय से वे दोनों एक साथ प्यार से सरावोर थे।बहुत बातें होती थीं जो रुहानी सुकून के साथ रोमाचं भी भरती थीं।दोनों के बीच एक पवित्र रिश्ते की मजबूत दिवार थी। वे दोनों अपने इस रिश्ते को समाज के हर तबके से बचा के रखते आये थे।कभी भी शारीरिक चाहत हावी नहीं हुई।कई बार ऐसा भी हुआ कि दोनों को साथ साथ किसी project पर काम करना पडा़ और इस काम के लिए बाहर भी रहना पडा़।मर्यादित थे तो उनके मन में डर,संकोच और झिझक नहीं थी।कई बार एक दूसरे के घर जाने का अवसर मिला परन्तु दोनों ने ही पहल नहीं की। कुछ दिनों बाद रश्मि का जन्मदिन था तो अनुज को समझ नहीं आया कि क्या उपहार दिया जाये।क्योंकि रश्मि को उनके रिश्ते में लेने देने की परम्परा पसन्द नहीं थी। अंततः अनुज को कुछ नहीं सूझा तो एक cadbury की चॉकलेट ले ही ली ।जन्मदिन वाले दिन पहली बार अनुज रश्मि के घर के घर को गया और पहली बार उसके मम्मी पापा से मिला।सभी खुश थे।आप पडो़स के लोग कुछ देर रुककर औपचारिकता दिखा कर चले गये। रश्मि अनुज के लिए कुछ बनाने के लिए उठी तो उसकी माँ ने कहा कि तू अनुज के साथ बैठ मैं बनाती हूँ और पीछे पीछे मदद को उसके पापा भी चले गये।अनुज ने जेब से लायी गयी चॉकलेट रश्मि की ओर बढा़यी ,रश्मि ने आँखे ततेरते हुए देखा फिर मुस्कुराते हुए ले ली। रश्मि बैड पर एक किनारे से लग के बैठी थी तभी अनुज उठकर रश्मि के पास गया और रश्मि के चेहरे को उँगली से उठाकर गाल पर चूम लेता है।दोनों का ही दिल धक हो कर रह जाता है। अगर कोई देख लेता तो पागल हो कतई..आप तभी अनुज ने बाहर को झाँका फिर एक बार उठकर रश्मि की ओर जाने लगा मगर रश्मि ने तुरन्त हाथों को हिलाकर मना किया।पूछा..कि अब क्या है ?अनुज ने अपनी उँगली को होठों पर रखते हुए इशारा किया।रश्मि धत् कहकर रसोई की ओर चली गयी। वो बात जो अधूरी..मगर मर्यादित बाकी है। राम उनिज मौर्य #उपहार