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ANIL KUMAR
अपने हक़ की जब मैं बात करूँ, उनको लगता है... आघात करूँ ! जालिम पेट ......मांगे है रोटियाँ, वो कहें अब क्यूँ सवालात करूँ ! अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर, उत्तरप्रदेश ©ANIL KUMAR #sadak अपने हक़ की जब मैं बात करूँ, उनको लगता है... आघात करूँ ! जालिम पेट ......मांगे है रोटियाँ, वो कहें अब क्यूँ सवालात करूँ ! अनिल कुमा
ANIL KUMAR
जीवन है इक राग बसंती, रंगबिरंगा फ़ाग बसंती। याद बसंती,दाद बसंती, सतरंगी इमदाद बसंती।। सुख-दुःख जीवन के पहलू दो, मीठा-तीखा स्वाद रहे बस। दुनिया रूठे गर रूठे पर, अपनों का संग साथ रहे बस। सारी दुनिया एक तरफ़ है, एक तरफ़ परिवार हमारा। एक अमोल खज़ाना जग का,खिला-बसा संसार हमारा। हम सब कलियों का है प्यारा, ख़्वाब बसंती, बाग बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ मात-पिता इक नींव हमारे, भाई-बहना और सहारे। जीवन-नैया धीरे-धीरे, लग जाती है एक किनारे। मानव-जीवन एक रहे ना, रात कभी तो भोर हुई है। शेर बना है गली का कुत्ता,धूल कभी सिरमौर हुई है। वक्त किसे कब राजा कर दे,घात बसंती,नाद बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ रोना हरदम ठीक नहीं है, कौन भला है सुखी यहाँ। छोटी-छोटी बातों को ले, रहते अक्सर हैं दुःखी यहाँ। छोटी-छोटी खुशियाँ ढूँढो, और प्रभु का ध्यान धरो। जीवन हँसते-हँसते गुजरे,साथ प्रभु-गुणगान करो। भव-सागर से बंधन छूटे,वात बसंती,त्याग बसंती।। जीवन है इक राग बसंती........ अनिल कुमार ''निश्छल'' हमीरपुर, बुंदेलखंड उ०प्र० ©ANIL KUMAR #uskebina #अनिल #निश्छल #निश्छल जीवन है इक राग बसंती, रंगबिरंगा फ़ाग बसंती। याद बसंती,दाद बसंती, सतरंगी इमदाद बसंती।।
ANIL KUMAR
किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी। दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं जिंदगी का अलग रुख़ हमेशा रहा हमनें माँगा कभी वो मिला ही नहीं दौर होता नहीं एक जैसा कभी मुश्किलों से अभी लड़ रहे हैं सनम अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर बुंदेलखंड उ0प्र0 अनिल कुमार ''निश्छल'' ©ANIL KUMAR #DiyaSalaai किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी। दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं
ANIL KUMAR
नेह बाँटो अगर नेह पाते रहो बाँट-मिलके सभी आप खाते रहो नफ़रतों से भला किसका होता भला हर तरफ़ प्रेम-खुशबू उड़ाते रहो रंग केवल अलग एक जैसे सभी फ़र्क करते नहीं ये जताते रहो एक सबके ख़ुदा रूप सबके अलग प्रेम-संदेश सबको सुनाते रहो पीढ़ियाँ प्यार करना जरा सीख लें इश्क़ अनमोल है तुम बताते रहो इश्क़ मज़हब मेरा इश्क़ ईमान है द्वेष,गुस्सा,जलन को जलाते रहो दर्द दूजों का तुमको भी महसूस हो नेक बनकर रहो थाप पाते रहो धर्म मानव बड़ा और कोई नहीं क़ौम मानव रहे काम आते रहो अनवरत नेह-गंगा यूँ बहती रहे ज़ाम ''निश्छल'' जमन का पिलाते रहो अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर, उ0प्र0 ©ANIL KUMAR #kitaab #अनिल_कुमार_निश्छल #शेर #जिंदगी #अनिल #प्रेमगीत #viralpost #viral
ANIL KUMAR
किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी। दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं जिंदगी का अलग रुख़ हमेशा रहा हमनें माँगा कभी वो मिला ही नहीं दौर होता नहीं एक जैसा कभी मुश्किलों से अभी लड़ रहे हैं सनम अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर बुंदेलखंड उ0प्र0 ©ANIL KUMAR किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी। दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं जिंदगी
ANIL KUMAR
किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी। दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं जिंदगी का अलग रुख़ हमेशा रहा हमनें माँगा कभी वो मिला ही नहीं दौर होता नहीं एक जैसा कभी मुश्किलों से अभी लड़ रहे हैं सनम अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर बुंदेलखंड उ0प्र0 ©ANIL KUMAR #adventure किस्मतें जब लिखीं वक्त ने सोचकर बदनसीबी हमारे ही हिस्से लिखी। दर्द इतना ख़ुदा दुश्मनों को न दे आब आँखों का फिर सूख जाए कहीं
ANIL KUMAR
गर्दन में तलवारें रखकर मेरे और तुम्हारे रखकर झूम रहे हैं.....सत्ता वाले सबके सिर अंगारे रखकर गीतकार दरबारी हो गए दरबारों में झंकारे रखकर पत्रकार चाटुकार हो गए मुद्दे एक किनारे रखकर फल-फूल रहे अपराधी हाथ में नोट करारे रखकर कहते दरिया पार करो अब अपने हाथ पतवारें रखकर सबके हक़ में खुशियाँ रख दूँ अपने पास दरारें रखकर अनिल कुमार ''निश्छल'' हमीरपुर, बुंदेलखंड ©ANIL KUMAR #Butterfly गर्दन में तलवारें रखकर मेरे और तुम्हारे रखकर झूम रहे हैं.....सत्ता वाले सबके सिर अंगारे रखकर गीतकार दरबारी हो गए दरबारों मे
ANIL KUMAR
गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे रोज चलो सुख-दुःख का संगम है जीवन, धीरे-धीरे रोज बढ़ो कुछ ख्वाहिश दफनाते चलना, कुछ सपने बुनते जाना फूलों की चाहत हो लेकिन, काँटों को चुनते जाना कल क्या होगा किसको पता है, किसने जाना है आखिर कल की चिंता आज पे भारी, किसने माना है आखिर काली रजनी-सा जीवन में,कब? घोर अंधेरा छाएगा खुशियों के इक-इक पल को तुम, खोज-खोज के हार गए अपने हाथों ही पैरो पे ख़ुद, रोज कुल्हाड़ी मार गए जितना खोते हैं जीवन में, उससे ज्यादा मिल जाता जैसा बोते है मधुवन में, वैसा ही तो मिल पाता. घूम-घूम के लोट-लौट के, कर्म हमारे ही आते और इन्ही का लेखा जीवन, वेद शास्त्र भी बतलाते काँटे बोकर कौन भला फिर, वापस फूलों को पाएगा लड़ जाना हालातों से, बस, धीरज हिम्मत से डटकर डर लगता हो साँस भरो बस, साहस पौरूष से उठकर अपना काम करो सब प्यारे, घबराना अब ठीक नहीं मिट्टी से ऊपर उठकर भी, इतराना अब ठीक नहीं आज मगन हो चाहे जितना, झोली अपनी भर लेना शायद कल फिर मिले कभी ना, हँसते गाते जी लेना पहले पन्नो में शुरुआती, नाम तुम्हारा लिख जाएगा अनिल कुमार निश्छल हमीरपुर, बुन्देलखण्ड ©ANIL KUMAR गीत "बोल कबीरा” जिसको जितनी साँस मिली है, वो उतना ही गाएगा बोल कबीरा! जग है झूठा, बात यही दुहराएगा चलते जाना ही जीवन है, तो धीरे-धीरे
ANIL KUMAR
"मैं और मेरी मौत'' ______________________ ऐ मौत! जब भी आना तो, चुपके से तुम, मत आना। आना जब भी तुम अगर, हँस के ही मेरे पास आना। सिर पे मेरे हाथ रखकर, फिर धीरे से तुम सहलाना। डर जाऊँ मैं गर देख तुझको, मुझको थोड़ा-सा धीरज बँधाना। रो दूँ अगर, तुमको सोचकर, तुम धीरे से,मुझको हँसाना। मौत की घड़ी जब भी मेरे निकट हो, तुम हल्का-सा गुलों सा मुस्कुराना। भले कोई मेरे न निकट हो, देख "निश्छल'' को तुम खिलखिलाना। मौत जब भी हो मेरी तो, गीत हौसलों(जज्बों) के गुनगुनाना। ©ANIL KUMAR #galiyaan #मौत #Maut #निश्छल #Nishchhal "मैं और मेरी मौत'' ______________________ ऐ मौत! जब भी आना तो, चुपके से तुम, मत आना।