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Nishith Sinha

# मिलने जुलने का रिवाज कहां ? #

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हजारों मील उड़कर ..                                                       हजारों पंक्षियां ..                                                                 हर शाम मेरे बागीचे के पेड़ पर मिलने आते हैं ..                           फिर मिलकर मधुर ध्वनि में गीत गाते हैं ....                      और एक हम हैं जो बगल के पड़ोसी से भी ..                                महीनों ना मिलने के कई कारण बताते हैं !  # मिलने जुलने का रिवाज कहां ? #

Sarfaraj idrishi

#Travel अब तक तुझसे मिलना होता मिल लेता समझा कर क्या रक्खा मिलने-जुलने मेंKajol Pushap Ruchi Rathore saloni toke alfazon ki khumari Gulshan_ #Love

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अब तक तुझसे मिलना होता मिल लेता
 समझ कर क्या रक्खा 
मिलने-जुलने में

©Sarfaraj idrishi #Travel अब तक तुझसे मिलना होता मिल लेता समझा कर क्या रक्खा मिलने-जुलने मेंKajol Pushap Ruchi Rathore saloni toke alfazon ki khumari Gulshan_

Aaryan Khan (Shah)

*शान न जाने किसने चलाया ये तोहफे देने का रिवाज़.!* *गरीब आदमी मिलने-जुलने से भी डरता है साहब.!!*✍ #aaryankhan001 #shankhan #Love #Gift nojo #Poetry #shairy

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 *शान न जाने किसने चलाया ये तोहफे देने का रिवाज़.!*

*गरीब आदमी मिलने-जुलने से भी डरता है साहब.!!*✍
#aaryankhan001 #shankhan #love #gift #nojo

Mänish Kümär

उसने महसूस भी न होने दिया, यूँ कहानी का रुख मोड़ दिया, मिलने जुलने में कमी की पहले, फिर हमे तन्हा छोड़ दिया। hindipoetry hindishayari yqdid

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उसने महसूस भी न होने दिया,
यूँ कहानी का रुख मोड़ दिया,
मिलने जुलने में कमी की पहले,
फिर हमे तन्हा छोड़ दिया। उसने महसूस भी न होने दिया,
यूँ कहानी का रुख मोड़ दिया,
मिलने जुलने में कमी की पहले,
फिर हमे तन्हा छोड़ दिया।
#hindipoetry #hindishayari #yqdid

Eram Siddiqui

धीरे-धीरे बन जाता हैं मिलने जुलने का बहाना अब नहीं मुस्कुराया जाता हैं उसे पा कर फिर से खोना ऐसा दर्द-ए-दिल होता हैं जैसे हो कोई प्रित #Poetry

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धीरे-धीरे  बन  जाता  हैं
मिलने जुलने का बहाना

अब नहीं मुस्कुराया जाता हैं
उसे पा कर फिर से खोना

ऐसा दर्द-ए-दिल होता हैं
जैसे हो कोई प्रित पुराना

आख़िर सिखा कहा से हैं
सामने आने पर मुस्कुराना

©Eram Siddiqui धीरे-धीरे  बन  जाता  हैं
मिलने जुलने का बहाना

अब नहीं मुस्कुराया जाता हैं
उसे पा कर फिर से खोना

ऐसा दर्द-ए-दिल होता हैं
जैसे हो कोई प्रित

shayar_dillwala

#आदत सी है जनाब मुझे सबसे अलग रहने की, गलती की अनजानों की #भीड़ में सबसे मिलने जुलने की। कुछ लोगो से बात हुई थी कभी, जिनका नाम भी शायद मुझे #इत्तेफाक

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आदत सी है जनाब मुझे सबसे अलग रहने की,
गलती की अनजानों की भीड़ में सबसे मिलने जुलने की।
कुछ लोगो से बात हुई थी कभी,
जिनका नाम भी शायद मुझे आज याद नहीं।
पहचान लूं अगर इत्तेफाक से किसी को,
अब इत्तेफाक ही है साहब;इसमें मेरी कोई गलती नहीं। #आदत सी है जनाब मुझे सबसे अलग रहने की,
गलती की अनजानों की #भीड़ में सबसे मिलने जुलने की।
कुछ लोगो से बात हुई थी कभी,
जिनका नाम भी शायद मुझे

Gumnaam

किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोईमिलनेनहींआता

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जब जेब मे पैसे, और
 वक्त बेहिसाब है। किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है:
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है

अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों

Ekta Gour

किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोईमिलनेनहींआता

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लगता हैं अब
रिश्तों के रंग फिके हो चले हैं किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है:
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है

अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों

Guruwanshu

किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #guruwanshu #कोईमिलनेनहींआता

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                                 अपने याराने में,
सब खुद में ही मस्त है अपने अपने शामियाने में
नहीं मिलता समय अब तीज़, त्यौहार पर मिलने का
जाने कहाँ व्यस्त हो रहे हे अपने ही आशियाने में
क्या तुम्हारा मन नही करता, आने को यारों के जमाने में
 किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है:
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है

अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों

Rishabh Shukla

किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है: इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोईमिलनेनहींआता

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" कोई बात नहीं हम चले आते है सिलसिला ख़त्म नही होना चाहिए "  किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है:
इक ज़माना था कि सब एक जगह रहते थे
और अब कोई कहीं, कोई कहीं रहता है

अब त्योहार नीरस होते जा रहे हैं। त्योहारों
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