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NaAm aMiT
दिल💙 से मांगी दुआ👸 थी । 💛तुम मेरी💛 ...जो पूरी न हो सकी... 💔💔 ©amit sain याद आते हो आज भी #हार्टबीट😘😘 #कहानी #काबूल #लव❤ #Music
Rameshkumar Mehra Mehra
जागना भी काबूल है...! रात भर आपके साथ ...!! बाते करने मे जो सुकून है...!!! बो नीद मे कहाॅ..... ,,, ©Rameshkumar Mehra Mehra # जागना भी काबूल है,रात भर आपके साथ बात करने मे जो सुकून है, बो नीद मे कंहाॅ......
# जागना भी काबूल है,रात भर आपके साथ बात करने मे जो सुकून है, बो नीद मे कंहाॅ...... #Quotes
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोस्त हूँ दोस्ती काबूल कीज़िए, दुश्मनी भी थोडी महफूज कीज़िए, रज़ा मेरी भी अपने करीब कीज़िए नजर से बेरुखी थोडी दूर कीज़िए आज हूँ कल नही ये अभी छोड़िए मुझे भी अपना नसीब समझिये, मिलें हैं बनके ख़ुदा तो एहतराम कीजिए आज से ये जिंदगी मेरे नाम कीजिए, मिलें हैं चाहतो से ये दिल के फसाने, यूँ ना दौलत से निगेबाँ कीजिए ,, दोस्त हूँ दोस्ती काबूल कीजिए दुश्मनी भी थोडी महफूज कीजिए,, महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोस्त हूँ दोस्ती काबूल कीज़िए, दुश्मनी भी थोडी महफूज कीज़िए, रज़ा मेरी भी अपने करीब कीज़िए नजर से बेरुखी थोडी दूर कीज़िए आज हूँ कल नही ये अभी
दोस्त हूँ दोस्ती काबूल कीज़िए, दुश्मनी भी थोडी महफूज कीज़िए, रज़ा मेरी भी अपने करीब कीज़िए नजर से बेरुखी थोडी दूर कीज़िए आज हूँ कल नही ये अभी #Love
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धीरे धीरे आपसे , हुआ हमें भी प्यार । आज प्रीत मैं आपकी , करती हूँ स्वीकार ।। प्यार आपसे ही हुआ , करता हूँ स्वीकार । फिर बोलो किस बात की , करती हो तकरार ।। लेकर हाथ गुलाब मैं , झुका रहा हूँ शीश , करो प्रीत काबूल अब , बैठा है वागीश ।। आज प्रखर की प्रीत को , कर लो तुम स्वीकार । द्वार तिहारे जो खडा , करता है मनुहार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR धीरे धीरे आपसे , हुआ हमें भी प्यार । आज प्रीत मैं आपकी , करती हूँ स्वीकार ।। प्यार आपसे ही हुआ , करता हूँ स्वीकार । फिर बोलो किस बात की ,
धीरे धीरे आपसे , हुआ हमें भी प्यार । आज प्रीत मैं आपकी , करती हूँ स्वीकार ।। प्यार आपसे ही हुआ , करता हूँ स्वीकार । फिर बोलो किस बात की , #कविता #WritingForYou
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दोहा :- अंतिम साँसों तक सुनो , बँधी रहेगी गाठ । वह पल चाहे आज हो , या हो जाये साठ ।। गिरधर खुशियों की कभी, राह न करना बंद । जीवन भर लेते रहें , हम जीवन आनंद ।। जीवन भर आनंद लें , जीवन साथी संग । दिवस यही विवाह का , सदा खिलाएं रंग शुभकामना विवाह की , देते है सब लोग । निशिदिन खुशियों का सदा , बना रहे ये योग ।। वैवाहिक शुभकामना , करिये आप काबूल । दिन खुशियों के नित मिले , राह बिछे हो फूल ।। मान अनुज अपना मुझे , रखो सदा ही ध्यान । यही विनय करता प्रखर , पाकर तुमसे ज्ञान ।। ०८/०२/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अंतिम साँसों तक सुनो , बँधी रहेगी गाठ । वह पल चाहे आज हो , या हो जाये साठ ।। गिरधर खुशियों की कभी, राह न करना बंद । जीवन भर लेते रहें ,
अंतिम साँसों तक सुनो , बँधी रहेगी गाठ । वह पल चाहे आज हो , या हो जाये साठ ।। गिरधर खुशियों की कभी, राह न करना बंद । जीवन भर लेते रहें , #कविता
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ग़ज़ल :- आज उनका हो गया दीदार है । कर लिया काबूल उनसे प्यार है ।।१ जी नहीं सकते तुम्हारे बिन कभी । कर रहा इस बात का इज़हार है ।।२ आज चाहत की नई तस्वीर मैं । देखता तुझमें सुनों तैयार है ।।३ कर यकीं मेरा यही पर आज तू । बिन तुम्हारे ये जहाँ बेज़ार है ।।४ ये हँसी जुल्फ़े तुम्हारी लूट लें । रूख पे काला बनी तलवार है ।।५ किस लिए पर्दा हमीं से ए सनम । जान दिल दोनो तुम्हीं पे वार है ।।६ जाँ हथेली पर लिए हम आ खडे़ । और तू करती खड़ी दीवार है ।।७ १५/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आज उनका हो गया दीदार है । कर लिया काबूल उनसे प्यार है ।।१ जी नहीं सकते तुम्हारे बिन कभी । कर रहा इस बात का इज़हार है ।।२
ग़ज़ल :- आज उनका हो गया दीदार है । कर लिया काबूल उनसे प्यार है ।।१ जी नहीं सकते तुम्हारे बिन कभी । कर रहा इस बात का इज़हार है ।।२ #शायरी
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मध्यरात्र(लेख👆) बाळाच्या रडण्याच्या आवाजाने मध्यरात्री जाग आली.नंतर बराच वेळ डोळा लागत नव्हता.खिडकीबाहेर पाहिलं तर भयाण शांतता पसरली होती.उंच उंच इमारतींचे
बाळाच्या रडण्याच्या आवाजाने मध्यरात्री जाग आली.नंतर बराच वेळ डोळा लागत नव्हता.खिडकीबाहेर पाहिलं तर भयाण शांतता पसरली होती.उंच उंच इमारतींचे
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