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Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
अनुलोम विलोम #Hope
read moreAnand Dadhich
"अनाप शनाप ख़यालों में कुछ लिख जाता हूँ, कभी कभी ओस की बून्द सा दिख जाता हूँ, अपनी धुन में खोया अदना सा लेखक हूँ, 'शब्द' बनकर कुछ पल आँखों में छप जाता हूँ।" कवि आनंद दाधीच, भारत ©Anand Dadhich #लेखक #शब्द #writer #kaviananddadhich #poetananddadhich #hindiquotes #poetsofindia
शिवानन्द
हम तों विचारों की माला लिखते हैं। एक तालियों पर हजार बार बिकते हैं। ~~शिवानन्द #विचार #कलम #किताब #शब्द #लेखक #quote #yqbaba #yqdidi
vijay jagtap
लेखकाचे शब्द लिहून लेखणी पण हसते, चुकी करताना ती पण फसते, तिच्या शब्दांमध्ये ती जादू असते, ती शोधूनपण कोणाकडे नसते... #लेखणी #pen #चारोळी #विज #VJ #शब्द_लहरी #शब्द #लेखक
DR. SANJU TRIPATHI
रात-दिन तेरा खयाल बस तेरा इंतजार करते हैं, शाम ओ सवेरे अब हमको नागिन से डसते हैं। सोचा था तन्हाइयां और वीरानियां मिट जाएंगी, जीवन में बस प्यार की महफिलें सज जाएंगी। अमीरी गरीबी ने हमारे बीच में दीवारें उठा दी, हमारे रिश्ते में प्यार की जगह नफरत भर दी। हर मोड़ हर घड़ी हमारा ही था तिरस्कार किया , रख लेते रिश्ते का मान गर तुमने था प्यार किया। विलोम शब्द रात- दिन शाम- सवेरे तनहाई- महफिल अमीरी- गरीबी प्यार- नफरत तिरस्कार -मान
विलोम शब्द रात- दिन शाम- सवेरे तनहाई- महफिल अमीरी- गरीबी प्यार- नफरत तिरस्कार -मान #काव्यसंग्रह #kavyasangrahmanch #pahlapadav #merivyakaranyatra #meriyatraeksoch
read moreअदनासा-
बहुत कुछ बुरा और बदतर भी होता रहा है और मैं कलम को दवात की दावत देता रहा बुरे के साथ बहुत कुछ अच्छा हो भी रहा है और मेरी कलम लिखने की ज़ुर्रत करता रहा सब मनमाना चलने की रवायतें चल पड़ी है और मेरी कलम चलने की हिम्मत करता रहा मौन होकर एक देश दो संविधान देख रहा है और मेरी कलम विधि का विधान देखता रहा कुछ अच्छे कुछ बुरे का मिश्रण ही जीवन है और मेरी कलम प्रेम रस समर्पित करता रहा ©अदनासा- #हिंदी #words #शब्द #विडंबना #लोकतंत्र #लेखक #कलम #Pinterest #Instagram #अदनासा
Shashi Sharma "मंजुलाहृदय"
तू ही कह ए लेखनी! तुझे कैसे हाथ लगाना छोड़ दूं? रगो से बसते लहू में कैसे शब्द-भाव बहाना छोड़ दूं? जीवन के बलिदानों की कोई नीति-रीति तो होगी ना, शर्त है सांसे लेने की तो कैसे दिल धड़काना छोड़ दूं? शशि "मंजुलाहृदय" #pen #कलम #लेखक #तू #छोड़ #मंजुलाहृदय #शब्द #भाव #Nojoto #PenPaper
Vedantika
ज़िंदगी में सुख के साथ दुख होता ही हैं हँसने के बाद हर कोई एक बार रोता ही हैं मिलती नहीं क़भी जिन रास्तों पर मंज़िल पाकर हर ख़ुशी एक दिन कुछ खोता ही हैं जाने-अनजाने मिलते हैं सफ़र में सभी को कोई दोस्त है और कोई दुश्मन हैं तुम्हारा मिट जाती हैं दूरियाँ पास आते हुए फिर नदियों को जैसे मिल जाए एक किनारा रात के बाद जब आता हैं दिन जीवन मे तो आती हैं ख़ुशियाँ लेकर नया रूप बीता हुआ कल हो जाता हैं धुंधला आने वाले कल की एक नई उम्मीद में कुछ अधूरी कुछ पूरी सी ख्वाहिश कुछ जिद्दी सी हैं मेरी फरमाइश फिर भी ज़िंदगी चलती रहती हैं हर सुख दुख चुपचाप सहती हैं विलोम शब्द- रात-दिन सुख-दुख खोना-पाना बीता हुआ कल-आने वाला कल हँसना-रोना
विलोम शब्द- रात-दिन सुख-दुख खोना-पाना बीता हुआ कल-आने वाला कल हँसना-रोना
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