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Ankit Singh
कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक नहीं कर रहे थे। ©Ankit Singh कभी-कभी किसी पालतू जानवर को खोना किसी इंसान को खोने से ज्यादा दर्दनाक होता है क्योंकि पालतू जानवर के मामले में, आप उससे प्यार करने का नाटक न
Chinka Upadhyay
हम ने कब चाहा कि वो शख़्स हमारा हो जाए इतना दिख जाए कि आँखों का गुज़ारा हो जाए। ©Chinka Upadhyay बस इतना दिख जाए की गुजारा हो जाए ♥️ #matangiupadhyay #Nojoto #thought #लव #Love
Rabindra Kumar Ram
*** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में ज़िक्र तेरा आज भी हैं , अब तेरा महज ज़िक्र भी ना करें तो क्या करें , मिलना तो मुकम्बल हुआ ही नहीं , तेरे हिज़्र में दिन और रात का गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते ज़िक्र तेरा आज भी हैं , ऐसे भी इस रुसवाई में ना जिये भला तो क्या करें , मलाल हैं अब तेरे बाद मलाल अब कुछ भी ना रह जायेगा , तिश्नगी हैं अब मलाल कुछ भी तेरे बगैर मलाल कुछ भी नहीं रह जायेगा , रूह-ए-ख़्वाबीदा हूं जाने कब से इस उल्फत में तुझे मेरा ख्याल जाने कब आयेगा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram *** ग़ज़ल *** *** करें तो क्या करें *** " दिल गवारा ना करें तो क्या करें , तेरे बगैर फिर गुजारा ना करें तो क्या करें , उल्फते-ए-हयाते में
Sarfaraj idrishi
अपने सर से वार कर फेंकतता हूं ऐसे लोगों को" जिन्हें लगता हैं कि उनके बगैर मेरा गुजारा नहीं हैं... 😎 ©Sarfaraj idrishi #ChainSmoking अपने सर से वार कर फेंकती हूं ऐसे लोगों को" जिन्हें लगता हैं कि उनके बगैर मेरा गुजारा नहीं हैं...–Varsha Shukla Kavisthaan Lux
ਸੀਰਿਯਸ jatt
HintsOfHeart.
"कहते हैं, धरती पर सब रोगों से कठिन प्रणय है लगता है यह जिसे, उसे फिर नींद नहीं आती है दिवस रुदन में, रात आह भरने में कट जाती है मन खोया-खोया, आँखें कुछ भरी-भरी रहती है भीगी पुतली में कोई तस्वीर खड़ी रहती है"¹ ©HintsOfHeart. #रामधारी_सिंह_'दिनकर' के काव्य नाटक #उर्वशी' से। 1.इसके लिए 1972 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- देख लो लाडले अब कमाने चले । छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१ देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े । आज किस्मत वही आजमाने चले ।।२ क्या गुजारा न होता घरों में कभी । जो बेटे बदलने अब ठिकाने चले ।।३ बेटियाँ माँ पिता के लिए गैर थी । आज बेटे पराया बनाने चले ।।४ भेजकर आज बेटे को परदेश में । आज फिर आप आँसूँ बहाने चले ।।५ दुख तुम्हारा यहाँ कौन समझे बता । जो कलेजे के टुकड़े दिखाने चले ६ फट गई छातियाँ आज माँ की प्रखर । बेटे रोके जो किस्सा सुनाने चले ।। ७ १२/०२/२०२४। - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- देख लो लाडले अब कमाने चले । छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१ देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- देख लो लाडले अब कमाने चले । छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१ देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े । आज किस्मत वही आजमाने चले ।।२ क्या गुजारा न होता घरों में कभी । जो बेटे बदलने अब ठिकाने चले ।।३ बेटियाँ माँ पिता के लिए गैर थी । आज बेटे पराया बनाने चले ।।४ भेजकर आज बेटे को परदेश में । आज फिर आप आँसूँ बहाने चले ।।५ दुख तुम्हारा यहाँ कौन समझे बता । जो कलेजे के टुकड़े दिखाने चले ६ फट गई छातियाँ आज माँ की प्रखर । बेटे रोके जो किस्सा सुनाने चले ।। ७ १२/०२/२०२४। - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- देख लो लाडले अब कमाने चले । छोड़ माँ बाप दौलत बढाने चले ।।१ देखकर जो गरीबी हुए थे बड़े ।
Aaditya