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Ravendra
Dk Patil
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
कभी बटन टूटता तो __ लगता नही था मुझसे और अब तो मैं अपने जख्म भी __ खुद ही टाँकता हूँ ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS #मुखौटा कभी बटन टूटता तो __ लगता नही था मुझसे और अब तो मैं अपने जख्म भी __ खुद ही टाँकता हूँ
Medha Bhardwaj
VᏆᏕꫝחÚ Kบmαwατ
online shopping kare kam kimat me ©VᏆᏕꫝחÚ Kบmαwατ मैगसेफ के लिए स्प्रिंग आर्ट बैक कवर रिंग लोगो कट iPhone 14 प्रो लेंस प्रोटेक्शन के साथ संगत क्रोम बैक केस कवर - iPhone 14 Pro (सिल्वर) साइज
Nisheeth pandey
शीर्षक - बहती हवाँ और मैं 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती हवाँ संग रोमांचित मन हो रहा था मानो बहती हवाँ में विलुप्त था, तृप्त मन हो रहा था बहती हवाँ आगोश के भवँर में लपेट रहीं थी मन मुग्ध तन चंचल हल्की फुल्की बारिश बूँदों की सिहरन मेरे मन ने पुझा ऐ हवाँ तुम रोज यूँ ही मिलते क्यों नहीं बहती हवाँ की तेज बहाव करीब आ कर बड़े अदब से कहा- मैं रोज तुम्हारे करीब से गुजरती ,ये और बात तुम मुलाक़ात नहीं करते ?” हवाँ ने कहा - जब तुम आसमानों में बादलों की चित्रकारी देखते वहां दृष्टिकोण में मैं ही हूँ। भीनी माटी की सुगन्ध तुम तक पहुँचती वह मैं ही हूँ। खिड़की पर जब बारिश देखते ,तुम तक बारिश की बूँदों को पहुँचाती मैं ही हूँ। सुगन्ध से गुलाब के फूलों से परिचित मैं ही करवाती हूँ। अदरक वाली कड़क मीठी चाय से महक धूएँ बन तुम तक आती मैं ही हूँ । तुम्हारे पसंदीदा गानों की धून बन कर मैं ही आती हूँ । शर्ट के टूटे हुए बटन में मैं ही उछलती हूँ । तुम्हें खिंच पहाड़ों में मैं ही लाती हूँ। बहते झरनों की आवाज तुम तक मैं ही लाती हूँ। कभी निशीथ पहर में तुम्हें चाँद तक मैं लाती हूँ नदी किनारों में बैठे तुम तुम्हारे पाँव को पानी से मैं ही सहलाती हूँ। मौसम की बहारों का चित्त मैं ही लाती हूँ अभी तुम्हें बारिश की पानी के गीली गीली एहसास मैं ही दिलाऊँगी लेकिन तुम्हें मुझे एहसास करने की फुर्सत कहाँ मिल पाती है 🥰 @निशीथ ©Nisheeth pandey #ChaltiHawaa दृश्य यूँ था काली घटा से आसमान ढका था बहती हवाँ शीतल मन ले कर शीतलता से ,भाव विभोर कर रहीं थी छत की ऊंची दीवार पे चढ़, बहती ह
Nisheeth pandey
#वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो ,बेहया हो गयी थी जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ... आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन नाभी के ऊपर से बाँधे शर्ट का कोर... मुझे रिझाती रहीं ... तुम्हारे होठों पर हँसी कातिल निगाहें ... वो रात बन गई थी शराब ... नहीं झेंप रहीं थी ...किसी भी बात पर अपनी अदां तुम ,मैं और वो रात कोई भी हो... मुहब्बत तन मन बेबाक सुनाती अपनी प्यास... दिल की चाहत प्यार बरसे मिटे प्यास.. इश्क़ के गीत...सरेराह गाती तुम बल्ब के घूरने पर... स्विच ऑन ऑफ करती तुम मानो 'आँख मारकर' लुभाती तुम... अपने पारदर्शी पोसाक में...इतना इतराती तुम . हाँ!बेहया सी दिख रहीं थी वो! आधुनिकता जो आज काम वासना ग्लाश में शराब शराब में घुलता बर्फ स्त्री पुरुष के हर गुण अपनाया...ये बेहयापन कैसे निभाया? दरवाज़ा बंद रहा...गैरों के लिए तो ,अपनों से भी... कभी अस्तिव बचाती थी ? धर्म पर अडिग थी हाँ! अब बेहया हो गयी थी आधुनिकता के तलब में वो! जो इरादों से अपनी आधुनिकता की पक्की थी सच में...वो रात ज़िद्दी थी... अब वो भीड़ में भी गम्भीर नही ...भीड़ से लड़ने की हुनर रखती अपनी हर मजबूरी से... हर-हाला लड़ी थी हर तूफ़ान जन्म देकर उड़ जाती जब उसके सर पे वोडका वाइन चढ़ता अपने ही ज़िस्म से चादर फाड़ देती ... ना सूरज की दरकार-ना चाँद का इंतज़ार चिटकती सड़कों पर नशे में झूमकर चलती है... हाँ! आधुनिकता में बेहया होती जा रहीं थी वो रात ! अपने हर ख्वाब को मुक़म्मल करने में हर पुरुष को ठोकर मार... खुद को बराबर जता रहीं ... स्त्रीत्व के चेहरे का नक़ाब नोंच कर पुरुष की तिलिस्म वो रच रहीं ... रात भर जागती-उघियाती , बियर के मगों से बतियाती है... कभी कुछ लिखती तो कभी संस्कार के कैनवास पर खुद को नंगी चित्रित करती है... हाँ! तुम बेहया हो गयी ! खुद को मॉडर्न बनाने में ढलती रात में , वाशना के चाशनी में मिठाई बनती रहीं... जिश्म का प्यार में रमी रहीं , रूह का गला घोंट दिया... आधुनिकता के बाज़ार में जिंदा रहेंगी मेरी साँसों के साथ वो रात और तुम , ये बात दोहराती रहेंगी ... आधुनिकता में परुष से बराबरी करना बराबरी में बेहया होने की जिद्द करना .... आधुनिकता की परिभाषा क्या था तुम्हारे लिये बस पुरुषों के दुर्गुणों का बराबरी करना .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी .... हाँ वो रात बेहया हो गयी थी .... #निशीथ ©Nisheeth pandey #WoRaat वो रात बेहया !!!! ----------- वो रात मानो बेहया हो गयी थी जब तुम बाल खोल कर घूर रहीं थी ... आधुनिकता में तुम्हारे शर्ट के खुले बटन
Y. B
Yasmin Bano ©Y. B अगर आप कोई मैकेनिक हैं या किसी कारखाने के मालिक हैं या किसी भी काम के आप माहिर हैं और कोई गरीब का बच्चा आप के यहां कोई हुनर सीखने आता है, त
Deepak Kumar Katariya