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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Pritam Sahani
तुम 31 दिसम्बर को साल बदलते देखोगे । हमने तो शाल भर लोगो के बदलते देखा है साहब । 𝑷𝑹𝑰𝑻𝑨𝑴 𝑺𝑨𝑯𝒂𝒏𝒊 519 ©Pritam Sahani तुम ३१ दिसम्बर को शाल बदलते देखोगे shayri # shots shayari, # shayari video, shayari ringtone,# shayari background music, #shayari song,
quotesofpainofficial
Suvesh Shukla 'CHANDRA'
Singer Pintu Pyasa Yadav
Sangeeta Kalbhor
जगलेल्या क्षणांनी जागवून ठेवणे बरे नव्हे नाव प्रीतीचे गाव प्रीतीचे उमजून रडवणे खरे नव्हे कशाला हवा मार्ग परतीचा श्वास अनावर होताना लागावा की ठसका उगा ओरखडा मनावर करताना मुजून जातात खुणा व्रणाच्या घाव परी ठरलेला का म्हणून सोडावा हात हातात एकदा धरलेला सोडावा की स्वाभिमान नात्याला ह्रदयी कोरताना पाझरतील नयन आपसूकच प्रीत उरी स्मरताना जगलेल्या क्षणांनी व्हावे समजूतदार नको हट्ट उगा वाईट काळातही जगलेला क्षणच वाटतो की हो सगा काळ येवो कितीही सरसावून क्षणच होतात ढाल मनोदशा बदलायला क्षणांचीच तर ओढावी लागते शाल जगलेल्या क्षणांचा व्हावा जागर नाद मनी घुमवावा पडत्या क्षणांत असता आपण जगलेला क्षण आठवावा..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #boatclub जगलेल्या क्षणांनी जागवून ठेवणे बरे नव्हे नाव प्रीतीचे गाव प्रीतीचे उमजून रडवणे खरे नव्हे कशाला हवा मार्ग परतीचा श्वास अनावर होतान
Jashvant
चमन में कौन बबूलों की डाल खींचता है यहाँ जो आता है फूलों के गाल खींचता है वो तीर बा'द में पहले सवाल खींचता है सवाल भी जो समा'अत की खाल खींचता है ऐ प्यार बाँटने वाले मैं ख़ूब जानता हूँ कि कितनी देर में मछवारा जाल खींचता है निकल भी सकता हूँ क़ैद-ए-तख़य्युलात से गर वो शख़्स खींच ले जिस का ख़याल खींचता है मैं उस के आगे नहीं खींचता नियाम से तेग़ वो शेर-शाह जो दुश्मन की ढाल खींचता है ये सर्द सुब्ह में सोया शरारती सूरज बस आँख खुलते ही परियों की शाल खींचता है मैं होश-मंद हूँ ख़ुद भी सो मेरी ग़ज़लों में न रक़्स करता है 'आशिक़ न बाल खींचता है ©Jashvant परियों की शाल खींचता है PФФJД ЦDΞSHI ज़हर Geet Sangeet Andy Mann Raj Guru
Prakash writer05
ए अम्मा! साँझ को टिरेन पकड़नी है! इस्टेसन दूर है, तो अभई निकल रहे हैं! बलउ के टेक्टर से चले जाएंगे! थोड़ी पहले निकल रहे हैं, जानते हैं न, की जब हम झोला टांगते है तुम्हरे सामने तो लगती हो रोने, फिर टिरेन में यात्रा और मुश्किल लगने लगती है! आलू के सब्ज़ी और 7 रोटी बना के बाँध लिए हैं, थोड़ा चना और गुड भी रखे हैं! बाहर नलके से पानी भर लेंगे! डाक्टर से दवाई ला दिए हैं, रसोई वाले ताखा पर है, उठा लेना नहीं तो सिता जायेगी! और समय समय से खाना भी है! गोली सफ़ेद वाली, खाली पेट सुबह! बाकी की संतरी रंग और चौकोर वाली सुभे साम! तुम्हारा कपड़ा धो के पसार दिए हैं! शाम को जागना तो उठा लेना! बाबूजी सुबह किराया भाड़ा दे दिए थे, तो उसका टेंसन न लेना! उनको कह दिए थे की निकल जाएंगे दुपहर में! बाकी खाता में पइसा पड़ा है, काम चल जाएगा इस महीने! मोटकी रजाई घाम दिखा के बड़के बक्सा में, और तुम्हारे सारे सुइटर बाबूजी के सुइटर भी उसमें ही रखे हैं! शाल दुशाला सब साफ़ है! निकाल के ओढ़ पहिन लेना! तुम्हारी जूती मोची से सिलवाय लाये थे! वहीँ आँगन में पन्नी में लपेट के रखे हैं! खाना बनाना हो तभी उतारना! नहीं तो पहनी रखना! गैस भरा दिये 3 महिना तक चली, 10 किलो शीशम की लकड़ी चीर ऊपर कमरे में रख दिए हैं! भगेलू को 5 10 रूपया दे के उतरवा लेना! तुम्हारे फोन में 239 रुपया का रिचार्ज करवा दिए हैं, जब मन करे फोन घुमा लेना! और रोना मत, खाना पीना समय से खाना! जल्दी नौकरी से लौटेंगे! तुम्हारे जागने तक हम टिरेन में बइठ गए रहेंगे! तो ख़त पढ़ के एक आँसू मत रोना! पैर छुए हैं, आसिरबाद भेज देना! ~ तुम्हारे बेटे//लल्ला/करेजा का टुकड़ा! ©Prakash writer05 #ए अम्मा! साँझ को टिरेन पकड़नी है! इस्टेसन दूर है, तो अभई निकल रहे हैं! बलउ के टेक्टर से चले जाएंगे! थोड़ी पहले निकल रहे हैं, जानते हैं न, की