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Bachan Manikpuri
सहनशीलता हमारे दिमाग को उत्तेजित होने नहीं देता हैं। ©Bachan Manikpuri सहन शीलता
Ek villain
कहते हैं कि बंद की पीड़ा तन में जग्गू उतरती है अदा तुम्हारे मन की परेशानी जो लोग गहरी होती जाती है तन की बीमारी का रूप ले लेती है जो लोग नकारात्मक भाव जैसे कि विश्वासघात प्रतिरोध जलाना और द्वेष आदि में डूबते रहते हैं उनका मन भी पीड़ा और छटपटा से भरा जाता है मन में यह गाना जब जब करती है तब तब शरीर को जलाती है दुखाती आकर्षित करती है रुलाती भी है ©Ek villain #me क्षमा शीलता
कवि मनोज कुमार मंजू
बचा नहीं अब शील शीलता अब तो चकनाचूर हुई। घर की इज्जत बाजारू कोठे पर अब नीलाम हुई।। ©कवि मनोज कुमार मंजू #शील #शीलता #इज्जत #बाजारू #कोठे #नीलाम #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू
अदनासा-
शीलता और अश्लीलता तब तक विद्यमान रहेगा जब तक तन पे खिलता सुंदर सा परिधान रहेगा ©अदनासा- #हिंदी #शीलता #अश्लीलता #परिधान #सुंदर #विद्यमान #DhakeHuye #Instagram #Facebook #अदनासा
Saurav Dangi
#Motivation सेल्फ मोटिवेशन को सर्वाधिक उपयुक्त समझने वाले अहम भाव का त्याग कर कभी-कभी सेल्फ मोटिवेशन को चार्ज करने[ऊर्जा संग्रहण] हेतु सीमित अवधि के लिए ही सही, अन्य से भी मोटिवेशन ले लिया करें... #Motivation ग्रहण शीलता रूहदार Babita Gond Princesslappi Bhavana Pandey Savita Veer
नेहा उदय भान गुप्ता
करते रहे अनुनय, विनय, प्रार्थना, रख कर धीरज राम। पर विचलित हुआ न दर्प जलधि, हुए कुपित फिर श्री राम। लाओ धनुष लखन, पौरुष है जागा दशरथ नन्दन राम का। क्षमा याचना व्यर्थ यहाँ, सहन शीलता नही किसी काम का। ना मिले अधिकार कभी, तो लड़कर मिट जाने को है होता। धधक उठेगी अब ज्वाला नीरनिधि से, क्यों अब तक सोता। कोई फ़र्क नही इसे, तीन दिवस से हूँ मैं इससे पंथ माँगता। भूल गया ये ऋण हमारे पूर्वजों का, क्या सागर इसे नही जानता। है क्षमता मुझमें इतनी की, पल भर में ही मैं तुझको सूखा दूँ। पर लिया तुमने परीक्षा मेरी, की नही तुझे अब कोई क्षमा दूँ। दण्ड का अपराधी तू है, क्षण भर में ही तेरे गर्व को मैं चूर करूँ। करके ब्रम्हास्त्र का संधान, जल के स्थान पर बालू और रेत करूँ। देखा अब तक संसार ने राम की कृपा, अब कोप भी देखेगा। लहरे उठ रही है अब तक जहाँ से, अब वहाँ से नाद उठेगा।। काव्य मिलन —2 करते रहे अनुनय, विनय, प्रार्थना, रख कर धीरज राम। पर विचलित हुआ न दर्प जलधि, हुए कुपित फिर श्री राम। लाओ धनुष लखन, पौरुष है ज
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
करते रहे अनुनय, विनय, प्रार्थना, रख कर धीरज राम। पर विचलित हुआ न दर्प जलधि, हुए कुपित फिर श्री राम। लाओ धनुष लखन, पौरुष है जागा दशरथ नन्दन राम का। क्षमा याचना व्यर्थ यहाँ, सहन शीलता नही किसी काम का। ना मिले अधिकार कभी, तो लड़कर मिट जाने को है होता। धधक उठेगी अब ज्वाला नीरनिधि से, क्यों अब तक सोता। कोई फ़र्क नही इसे, तीन दिवस से हूँ मैं इससे पंथ माँगता। भूल गया ये ऋण हमारे पूर्वजों का, क्या सागर इसे नही जानता। है क्षमता मुझमें इतनी की, पल भर में ही मैं तुझको सूखा दूँ। पर लिया तुमने परीक्षा मेरी, की नही तुझे अब कोई क्षमा दूँ। दण्ड का अपराधी तू है, क्षण भर में ही तेरे गर्व को मैं चूर करूँ। करके ब्रम्हास्त्र का संधान, जल के स्थान पर बालू और रेत करूँ। देखा अब तक संसार ने राम की कृपा, अब कोप भी देखेगा। लहरे उठ रही है अब तक जहाँ से, अब वहाँ से नाद उठेगा।। काव्य मिलन —2 करते रहे अनुनय, विनय, प्रार्थना, रख कर धीरज राम। पर विचलित हुआ न दर्प जलधि, हुए कुपित फिर श्री राम। लाओ धनुष लखन, पौरुष है ज
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# 72 वर्ष सवत्रंत । सवतरंत्र हुए 72 वर्ष हो गए है। की हार्दिक शुकामनाएं। पर आज इतने स्वतंत्र होने के बावजूद भारत की औरत को वो सम्मान नहीं दिया जा रहा। वहीं पैर की जूती ही समझा जा रहा है। औरत को खिलौने की तरह तोड़ मरोड़ कर फेका जा रहा है। कच्ची कलियों को कोक में ही दबोचा जा रहा है। कच्ची कलियों को सपनों को चकना चूर किया जा रहा है। औरत कोई बिस्तर का बिचोना नहीं जब मन आया बिछाया। जब मन आया फेक दिया। जिस कोक से जन्मे हो वो भी एक औरत है। अगर मां ना होती तो तेरी भी क्या हस्ती होती। मर्दानगी का दिखावा बंद करो। औरत का सम्मान करो।उसका स्वाभिमान को मत लक्करो। औरत कमजोर नहीं।इस बात को पहचानो। औरत अगर सहन शीलता की धरोवर है तो। ज्वालामुखी से भरपूर भी है। मां भी है तो डायन भी है। बस अब और नहीं इज्जत का खिलवाड़ होगा । आंखो में कुछ शरम भरलो। मां बेटी बहन की इज्जत करलो।इज्जत कर लो।। #यादरखना #yqdidi #yqbaba #yqinspiration Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# 72 वर्ष सवत्रंत । सवतरंत्र हुए 72 वर्ष हो गए है। की हार्
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️. #Jazzbaat# वो सारी तर्क शीलता। बुद्धिमत्ता, आज़ादी और चंचलता। जो एक बेबाक लड़की की। खुली जुल्फो में बेफिक्री से घूमती है। चुटकी भर सिंदूर लगते ही कस के बंध दी जाती है। एक बेबस,लाचार,बेवकूफ,सी औरत के बालों में बंधे जुड़े में। सुर्ख लाल वो जोडे का वो भारीपन।पारो में वो लालिमा अल्ते की। हाथो की मेहंदी की वो मद होश उड़ाती खुशबू में लिपटे ।।सुर्ख लाल लाली में लिपटे को बंधनो के ढकोसले। यूं चूड़ियों की खनक मे लिकपे हजारों सपने। यूं गहनों में सूरज की किरणों जैसे खुद की पहचान करवा रही हो। पाज़ेब को चांदनी में लपेटे उनके वो भारी पन ज़िन्दगी के भार जो सहला रहा है ।बिछिया की मीनाकारी खुद को कई रंगो में डालने वो नोकिले पन को कोमलता से सहना बता रहे है। बस यी ही एक लड़की से औरत बनने का तरीका सलीका सिखा रहे है।दिखा रहे है। खुद की पहचान को खो कर दूसरे से जुड़ना बता रहे है। यूं ही बाद यूंही ज़िन्दगी को बदलते बदलाव बदलते जज़बात को दिखा रही है। #aurat #ladki #ehsaas #life #yqdidi #yqbaba #yqhindi Written by Harshita ✍️✍️. #Jazzbaat# वो सारी तर्क शीलता। बुद्धिमत्ता, आज़ादी और चंचलत
CM Chaitanyaa
"आत्मा का शृंगार"— % & शृंगार मात्र सज्जा ही नहीं है, एक रीति है। उसका एक उद्देश्य है, एक अर्थ है, एक नीति है। देह का शृंगार होता है संपदा से, और आत्मा का विपदा स