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Divyanshu Pathak

देखत ही मुसकाय उठै नैनन सों मोय बुलाय उठै
मैं ना ध्यान दऊँ बापै हालही तो  बिल्खाय  उठै।

बिन भाषा के ही बैन करै लाख तरह के सैन करै
जाने का गावै वो जानें रोवै तो अञ्जन रैन  करे।

जब गोद उठाऊँ मैं वाकूं हर्षित हो जावै वो छोरी
आनन पे हाथ रखे मेरे वात्सल्य लुटावै वह भोरी

अनुराग बालपन कौ देख्यो पुलकित होवें वैरागी
अशक्ति बढ़े सन्याशी में तुलकित होते  मेहराती।

ईश्वर का रूप रहै टिंगर घर में खिलते फूल भळै।
सुख सागर से आँगन दुःख दूर खड़ा हो हाथ मलै। #काव्यमिलन_5  #kkकाव्यमिलन #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #पाठकपुराण #कोराकाग़ज़

Divyanshu Pathak

जग रूठे तो रूठे मुझसे....

राग द्वेष से दूर रखो  भगवन  मेरी ये  विनती है।
जग रूठे तो रूठे मुझसे तेरे आँगन में गिनती है।
यूँ विश्वास मेरा बढ़ता जाए रंग तेरा चढ़ता जाए।
तन मन सब अर्पण कर दूँ भाव मेरा बढ़ता जाए।
मन रूठे तो रूठे मुझसे....

जो प्रेम प्रणय चाहा दिल ने तुम मुझको देते जाना!
नफ़रत ईर्ष्या और अहंकार तुम मुझसे लेते  जाना।
मुझको इतनी शक्ति देना हर संकट को मैं पार करूँ।
मधुर रहे व्यवहार मेरा मैं विपदाओं का संहार करूँ।
तन रूठे तो रूठे मुझसे....

मेरा जीवन हो सार भरा सामर्थ्य मुझे इतना देना।
मेरे जीवन को महादेव तुम व्यर्थ नहीं होने देना।
भक्ति और सद्भाव रहे आपस में भी अनुराग रहे।
हो सबका मन पावन भगवन आत्म ज्ञान वैराग रहे।
जग रूठे तो..... #kkकाव्यमिलन #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #काव्यमिलन_4 #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #कोराकाग़ज़ #पाठकपुराण

Divyanshu Pathak

पड़े पड़े खटिया पर ख़्याल आता है।
कुछ पुरानी बातों का मलाल आता है।

कभी कड़े कदम उठाने की क़वायद-
कड़ा कदम उठाया तो सवाल आता है।

फिरका परस्तों का क्या कहना यारो!
रंग बदलना उनको तो क़माल आता है।

जो हो रहा है होने दो हमको क्या करना!
होके दौड़ने लगे तब जाके हमाल आता है।

हमने क्या लिखा तुमने क्या समझा बोलो!
ना समझी हो कोई बात तो वबाल आता है। #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता  #काव्यमिलन_3  #पाठकपुराण

Divyanshu Pathak

सो गए सब धर्म के धोरी नहीं  कोई  धनी।
बात बिगड़ी इस क़दर और  ईर्ष्या है घनी।

बांटते हैं ज़हर देखो हो गये विषधर सभी!
आसरे की लीक पे है दुश्मनी सबसे ठनी।

तोड़दे अनुबंध सारे सच मुझे कहता रहा!
झूठ में डूबी लकीरें पृष्ठ पर  दिखने लगीं।

शब्द शर कर उठालो हाथ में अपने खड्ग!
गर्जना कर दूर कर जो वीरता कायर बनी।

बिकगए नाज़िम तो देखो चंद चाँदी के लिए!
पर यहाँ पंछी' की पाँखें तो अभी रण में तनी। #कोराकाग़ज़ #kkकाव्यमिलन  #काव्यमिलन_2  #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #पाठकपुराण

Divyanshu Pathak

पलकें बंद करूँ तो तेरा दीदार होता है।
तुम मिल जाओ प्रतिक्षण इंतजार होता है।

खुद से बातें कर लेता हूँ जो तुमसे करनी हैं!
मिलके तुमसे समझ रहा हूँ क्या प्यार होता है?

दुआ करता हूँ तेरी ख़ुशी के लिए आजकल!
दुआ करते हुए भी दिल बेक़रार होता है।

इश्क़ हवाओं में हुश्न की महक बहने लगी।
ख़्वाहिशों की ज़द में दिल जार जार होता है।

तुम ही तुम नज़र आते हो मुझे कुछ और नहीं।
पंछी' हरियाली के अंधे को जैसे ऐतवार होता है। #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_1 #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #पाठकपुराण

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