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Best कोराकाग़ज़काव्यमिलन Shayari, Status, Quotes, Stories

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jagruti vagh

तुम्हें भूलाने भी न हो मयकशीं
नशा तो तुम ही हो मेरे हम नशीं

सावन चल रहा बुझी ना प्यास
अधरों से बरसा मेघ भर दे साँस

याद आए आलिंगन की गर्माहट
मेरे बैचेनी को कैसे मिले राहत

तन,मन पर हैं छपे तेरे निशान
बेजान है शरीर भर दे मेरे प्राण

कब होगा ये लुका छुपी का अंत
विराहग्नि में जल बन जाऊ संत वियोग श्रृंगार रस

Pata nhi kya likha hai viyog ras hai ya kuch aur hi🙄

#aggobai 
#कोराकाग़ज़ 
#kkकाव्यमिलन
#कोराकाग़ज़काव्यमिलन

Divyanshu Pathak

देखत ही मुसकाय उठै नैनन सों मोय बुलाय उठै
मैं ना ध्यान दऊँ बापै हालही तो  बिल्खाय  उठै।

बिन भाषा के ही बैन करै लाख तरह के सैन करै
जाने का गावै वो जानें रोवै तो अञ्जन रैन  करे।

जब गोद उठाऊँ मैं वाकूं हर्षित हो जावै वो छोरी
आनन पे हाथ रखे मेरे वात्सल्य लुटावै वह भोरी

अनुराग बालपन कौ देख्यो पुलकित होवें वैरागी
अशक्ति बढ़े सन्याशी में तुलकित होते  मेहराती।

ईश्वर का रूप रहै टिंगर घर में खिलते फूल भळै।
सुख सागर से आँगन दुःख दूर खड़ा हो हाथ मलै। #काव्यमिलन_5  #kkकाव्यमिलन #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #पाठकपुराण #कोराकाग़ज़

Divyanshu Pathak

जग रूठे तो रूठे मुझसे....

राग द्वेष से दूर रखो  भगवन  मेरी ये  विनती है।
जग रूठे तो रूठे मुझसे तेरे आँगन में गिनती है।
यूँ विश्वास मेरा बढ़ता जाए रंग तेरा चढ़ता जाए।
तन मन सब अर्पण कर दूँ भाव मेरा बढ़ता जाए।
मन रूठे तो रूठे मुझसे....

जो प्रेम प्रणय चाहा दिल ने तुम मुझको देते जाना!
नफ़रत ईर्ष्या और अहंकार तुम मुझसे लेते  जाना।
मुझको इतनी शक्ति देना हर संकट को मैं पार करूँ।
मधुर रहे व्यवहार मेरा मैं विपदाओं का संहार करूँ।
तन रूठे तो रूठे मुझसे....

मेरा जीवन हो सार भरा सामर्थ्य मुझे इतना देना।
मेरे जीवन को महादेव तुम व्यर्थ नहीं होने देना।
भक्ति और सद्भाव रहे आपस में भी अनुराग रहे।
हो सबका मन पावन भगवन आत्म ज्ञान वैराग रहे।
जग रूठे तो..... #kkकाव्यमिलन #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #काव्यमिलन_4 #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #कोराकाग़ज़ #पाठकपुराण

Divyanshu Pathak

पड़े पड़े खटिया पर ख़्याल आता है।
कुछ पुरानी बातों का मलाल आता है।

कभी कड़े कदम उठाने की क़वायद-
कड़ा कदम उठाया तो सवाल आता है।

फिरका परस्तों का क्या कहना यारो!
रंग बदलना उनको तो क़माल आता है।

जो हो रहा है होने दो हमको क्या करना!
होके दौड़ने लगे तब जाके हमाल आता है।

हमने क्या लिखा तुमने क्या समझा बोलो!
ना समझी हो कोई बात तो वबाल आता है। #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता  #काव्यमिलन_3  #पाठकपुराण

Divyanshu Pathak

सो गए सब धर्म के धोरी नहीं  कोई  धनी।
बात बिगड़ी इस क़दर और  ईर्ष्या है घनी।

बांटते हैं ज़हर देखो हो गये विषधर सभी!
आसरे की लीक पे है दुश्मनी सबसे ठनी।

तोड़दे अनुबंध सारे सच मुझे कहता रहा!
झूठ में डूबी लकीरें पृष्ठ पर  दिखने लगीं।

शब्द शर कर उठालो हाथ में अपने खड्ग!
गर्जना कर दूर कर जो वीरता कायर बनी।

बिकगए नाज़िम तो देखो चंद चाँदी के लिए!
पर यहाँ पंछी' की पाँखें तो अभी रण में तनी। #कोराकाग़ज़ #kkकाव्यमिलन  #काव्यमिलन_2  #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #पाठकपुराण

Divyanshu Pathak

पलकें बंद करूँ तो तेरा दीदार होता है।
तुम मिल जाओ प्रतिक्षण इंतजार होता है।

खुद से बातें कर लेता हूँ जो तुमसे करनी हैं!
मिलके तुमसे समझ रहा हूँ क्या प्यार होता है?

दुआ करता हूँ तेरी ख़ुशी के लिए आजकल!
दुआ करते हुए भी दिल बेक़रार होता है।

इश्क़ हवाओं में हुश्न की महक बहने लगी।
ख़्वाहिशों की ज़द में दिल जार जार होता है।

तुम ही तुम नज़र आते हो मुझे कुछ और नहीं।
पंछी' हरियाली के अंधे को जैसे ऐतवार होता है। #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_1 #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #पाठकपुराण

नेहा उदय भान गुप्ता

मेरी सूनी गोदी में आके, किलकारी कर तूने खेला है,
सूना सूना आँगन, तूने हसीं ठिठोले का डारा डेरा है।
मातृत्व जगाया मुझमें, परि पूर्ण हुई आने से मैं तेरे,
चहूँ ओर है फ़ैला खिलौना, तूने हर सामान बिखेरा है।।
सूने घर को आबाद किया, तुझपे जीवन निसार दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।।

मांँ बेटे के नाते का तुमने, स्नेह का डोर खींचा है, 
माँ कहकर तुमने, वात्सल्यता से मुझको सींचा है।
भूल गई सारे रिश्ते नाते, जबसे कोख में तू आया,
मेरा अंश मेरा बीज, तेरा स्थान बेटा सबसे ऊँचा है।
आ मेरे कलेजे के टुकड़े, तुझको जी भरके प्यार दूँ
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।।

नज़र ना लगे तुझे जमाने की, अपने आँचल में छुपा लूँ
तेरी सूरत पे मैंने, अपनी ममता का सारा कोष लूटा दूँ।
जब से आया गोद में मेरे तू बेटे, मैंने ये जग बिसराई है,
तुम्हें निहारे बस अंखियाँ मेरी, सीने से तुझे लगा लूँ।।
लगा कर काला टीका, आ बेटे तेरी नज़र उतार दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ

पीकर छाती का अमृत , मेरे स्त्रीत्व को धन्य किया है,
अपने नटखटपन में, तूने मुझको मेरा बचपन दिया है।
हुई मेरी उमरिया लम्बी, सुन कर तेरी तोतली बतिया,
राम कृष्ण बनके, यशोदा कौशल्या जैसा मान दिया है।।
तू मेरा जीवन, तुझ पर मैं तो अपना सर्वस्व लूटा दूँ।
आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।। 
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नेहा उदय भान गुप्ता

तुमसे ही आस है, तुमसे ही मेरे विश्वास की डोर बँधी है।
हे राघव, हे रघुनन्दन, तुमसे ही प्रीत की लगन लगी है।।

मैं अज्ञानी हूँ जोगन तेरी, मुझे जीवन का मार्ग दिखा लो
ना जानूँ मैं पूजा पाठ, मुझको भक्ति का रस सिखा दो।।

भजन तुम्हारी नित्य करूँ, बन कर मीरा चहुँ ओर फिरु।
गाऊँ बस मैं राम कथा, मैं तो राम कहानी सुनाती चलूँ।।

भय, मोह, माया, लोभ, मोह से, मुझको तू पार लगा दो।
बँधे ना दुनियाँ के जंजाल से, खुद में ही अनुराग लगा दो

भूल जाए संसार की रीति, बस तुझ संग ही प्रीति लगा दे
नही सीखनी मुझे दुनिया दारी, तू अपनी नीति सिखा दे। 

तेरी कृपा की छाँव में, अब तो रघुनन्दन मुझको रहना है।
छल कपट के इस मायाजाल से, तुझको करुणा करना है

मेरा अनुनय विनय स्वीकार करो, करती रहूँ तेरा वंदन मैं
तेरे जैसा दूजा ना कोई, हर क्षण हर पल, तुझे पुकारूँ मैं 
#kkकाव्यमिलन 
#कोराकाग़ज़काव्यमिलन
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#कोराकाग़ज़   
#neha_ram

नेहा उदय भान गुप्ता

काव्य मिलन — 3 माफ़ करो ना अध्यापक जी मुझको, गर्मी बहुत पड़ रहा है। लिखने का मन नही है मेरा, माथे से पसीना टपक रहा है। कान ना पकड़ा करो तुम हमारे, हाथ पे ना डन्डा मारो तुम। सर्दियों में लिख करके आऊँगी, प्यारी बात मान लो मेरी तुम। #हास्य_रस #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkकाव्यमिलन #काव्यमिलन_3 #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #neha_ram

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अध्यापक और बच्चा..
अनुशीर्षक में पढ़े..👇 काव्य मिलन — 3

माफ़ करो ना अध्यापक जी मुझको, गर्मी बहुत पड़ रहा है।
लिखने का मन नही है मेरा, माथे से पसीना टपक रहा है।

कान ना पकड़ा करो तुम हमारे, हाथ पे ना डन्डा मारो तुम।
सर्दियों में लिख करके आऊँगी, प्यारी बात मान लो मेरी तुम।

नेहा उदय भान गुप्ता

काव्य मिलन —2 करते रहे अनुनय, विनय, प्रार्थना, रख कर धीरज राम। पर विचलित हुआ न दर्प जलधि, हुए कुपित फिर श्री राम। लाओ धनुष लखन, पौरुष है जागा दशरथ नन्दन राम का। क्षमा याचना व्यर्थ यहाँ, सहन शीलता नही किसी काम का। #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #kkकाव्यमिलन #काव्यमिलन_2 #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #neha_ram #रौद्र_रस

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करते रहे अनुनय, विनय, प्रार्थना, रख कर धीरज राम। 
पर विचलित हुआ न दर्प जलधि, हुए कुपित फिर श्री राम।

लाओ धनुष लखन, पौरुष है जागा दशरथ नन्दन राम का। 
क्षमा याचना व्यर्थ यहाँ, सहन शीलता नही किसी काम का।

ना मिले अधिकार कभी, तो लड़कर मिट जाने को है होता। 
धधक उठेगी अब ज्वाला नीरनिधि से, क्यों अब तक सोता।

कोई फ़र्क नही इसे, तीन दिवस से हूँ मैं इससे पंथ माँगता। 
भूल गया ये ऋण हमारे पूर्वजों का, क्या सागर इसे नही जानता।

है क्षमता मुझमें इतनी की, पल भर में ही मैं तुझको सूखा दूँ। 
पर लिया तुमने परीक्षा मेरी, की नही तुझे अब कोई क्षमा दूँ।

दण्ड का अपराधी तू है, क्षण भर में ही तेरे गर्व को मैं चूर करूँ। 
करके ब्रम्हास्त्र का संधान, जल के स्थान पर बालू और रेत करूँ।

देखा अब तक संसार ने राम की कृपा, अब कोप भी देखेगा। 
लहरे उठ रही है अब तक जहाँ से, अब वहाँ से नाद उठेगा।। काव्य मिलन —2

करते रहे अनुनय, विनय, प्रार्थना, रख कर धीरज राम।
पर विचलित हुआ न दर्प जलधि, हुए कुपित फिर श्री राम।

लाओ धनुष लखन, पौरुष है जागा दशरथ नन्दन राम का।
क्षमा याचना व्यर्थ यहाँ, सहन शीलता नही किसी काम का।
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