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दीप बोधि
रिश्ते अजीब हैं कि ज़माना ख़राब है । मैं ही बुरा हूँ या मेरा लहज़ा ख़राब है । यूँ हम चले हमेशा सच्चाई की राह पर । क्यों वक़्त कह रहा है ये रस्ता ख़राब है । कब तक मुझे रखेगा तू इस तन की क़ैद में । अब उम्र ढल रही है औ पिंजरा ख़राब है । जो ज़िद पे आऊँ फिर मैं ख़ुदा से भी न डरूँ । मुझसे न उलझना मेरा ग़ुस्सा ख़राब है । तुम भी न समझ पाये उसे ये ग़ज़ब हुआ । वो शख़्स लाजवाब है लगता ख़राब है । तुमसे न प्यार कोई करेगा जहान में । तुम आदमी भले हो ये दुनिया ख़राब है । लोगों की मुश्किलों का कोई हल नहीं मिला । अब क्या करें कि ये भी मसीहा ख़राब है । ©दीप बोधि #Crescent एक ग़ज़ल रिश्ते अजीब हैं कि ज़माना ख़राब है । मैं ही बुरा हूँ या मेरा लहज़ा ख़राब है । यूँ हम चले हमेशा सच्चाई की राह पर । क्यों वक़्त क
Pratibha Dwivedi urf muskan
*अनुभव* स्वार्थ वश जो अपनापन जताते हैं वो चार दिन में गायब भी हो जाते हैं, इसलिए शुरुआती दोस्ती में मन नहीं लगाना चाहिए ना ही विश्वास करना चाहिए, परिचय जितना पुराना होगा, विश्वास और स्थायित्व भी उसी व्यक्ति से खरा हो सकता है... लेकिन सतर्कता फिर भी जरूरी क्योंकि धोखा हमेशा वही देता है जो रग-रग से वाकिफ होता है। इसलिए ईश्वर को ही ईष्ट बनाओ और उनको ही अभीष्ट भी । ये अनुभव अपने जीवन में सभी को कभी ना कभी हो ही जाता है। कुछ विरले ही होते हैं जो औरों के अनुभव से सीख लेते हैं और वही अक्लमंद हैं बाकी सब अक्लबंद .... क्योंकि काम करके पछताना मूर्खता ही है। कुछ भी करने के पहले दस बार सोचो समझ में आता है। काम करने के बाद का सोचना समय की बर्बादी है। यही बर्बादी रोकने के लिए साहित्य सृजन किया जाता है। इसलिए श्रेष्ठ साहित्य का अध्ययन करते रहना चाहिए। ✍️ प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान© सागर मध्यप्रदेश भारत (17 अक्टूबर 2023) ©Pratibha Dwivedi urf muskan #Dhund #धुंध #विश्वास #धोखा #अपने #साहित्य #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #विचार पढ़िए लेखिका
Pratibha Dwivedi urf muskan
दुनियाँ की चकाचौंध में आँखें चुँधिया रहीं देखते देखते कितना बदल गया नजारा.. पहले हरियाली नजर आती थी सड़कों पर अब बड़े-बड़े टावरों ने धरती पर जाल बिछाया. विकास तो बहुत हुआ मगर केवल सभ्यता का संस्कृति को लेकिन इसी सभ्यता ने मार डाला ©Pratibha Dwivedi urf muskan #WoRaat #नजारा #रात #सभ्यता #संस्कृति #प्रतिभाउवाच #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कान© #प्रतिभाद्विवेदीउर्फमुस्कानकीकलमसे #कविता #नोजोटो Sonika Pa
अभियंता प्रिंस कुमार
मित्रता एक अभिन्न ह्र्दय है, जिसके रुदन से क्रंदन और सुख से शांति की भावना जागृत होती है। ©अभियंता प्रिंस कुमार ~~ *Er.* *Prince* *kumar* *©®* ( *सर्वाधिकार* *सुरक्षित*)#FriendshipDay @abhiyanta_prince_kumar #abhiyanta_prince_kumar #friedshipday2023
अभियंता प्रिंस कुमार
मित्रता एक परीक्षा है,जो परिस्थिति में मदद बन दिखाई दे, यदि वह सशर्त हो तो व्यपार है। यदि शर्त न तो मित्र का प्यार है। ©अभियंता प्रिंस कुमार #UskeSaath ~~ *Er.* *Prince* *kumar* *©®* ( *सर्वाधिकार* *सुरक्षित*)#FriendshipDay @abhiyanta_prince_kumar #abhiyanta_prince_kumar #frieds
अभियंता प्रिंस कुमार
मित्रता एक सन्मार्ग है जिससे जीवन सार्थक किया जा सकता है।जो इसका वास्तविक रसपान कर ले, उसकी जैव नैया पार हो जाती है। ©अभियंता प्रिंस कुमार #Friendship ~~ *Er.* *Prince* *kumar* *©®* ( *सर्वाधिकार* *सुरक्षित*)#FriendshipDay @abhiyanta_prince_kumar #abhiyanta_prince_kumar #fried
Anjali Srivastav
Sultan Mohit Bajpai
ग़ज़ल ----- आज फिर से हक़ीक़त नज़र आ गयी तुमसे पहले तुम्हारी ख़बर आ गयी आज फिर इश्क़ रोया बहुत टूटकर चश्म से जिस्म पर इक नहर आ गयी उसको खोने का मुझको सबर आ गया वो मगर आज फिर बे - सबर आ गयी क्या करूँ दिल को रोका सम्भाला बहुत याद उसकी पहर - दोपहर आ गयी उसकी 'सुल्तान' ये दिल्लगी देखिये बनके मेरी ग़ज़ल में बहर आ गयी ©Sultan Mohit Bajpai ग़ज़ल ----- आज फिर से हक़ीक़त नज़र आ गयी तुमसे पहले तुम्हारी ख़बर आ गयी आज फिर इश्क़ रोया बहुत टूटकर चश्म से जिस्म पर इक नहर आ गय
Divya Joshi
तुम्हें पाने की कोशिश में, खो दिया था कभी खुदी को। बेअसर कर दी गई हर दुआ जब समेटना चाहा इस बेख़ुदी को! ©Divya Joshi #MainAurChaand तुम्हें पाने की कोशिश में, खो दिया था कभी खुदी को। बेअसर कर दी गई हर दुआ जब समेटना चाहा इस बेख़ुदी को! ©divyajoshi स्वरचित
kumaarkikalamse
बोलती तस्वीरे-क्यों तेरा अन्याय है कैसी ये कुदरत है तेरी कैसा ये तेरा न्याय है, क्या मजदूरी ही बस गरीबी का पयार्य है|| तू देता रहता है, ऐ रब सबको कुछ ना कुछ, फ़िर इन बच्चों के साथ क्यों तेरा अन्याय है|| सर्वाधिकार सुरक्षित © बोलती तस्वीरे-क्यों तेरा अन्याय है:- Jai Kumaar कैसी ये कुदरत है तेरी कैसा ये तेरा न्याय है, क्या मजदूरी ही बस गरीबी का पयार्य है|| तू