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Khnk(खनक) Chouhan
Liyakat Ali
बहुत घमण्ड था अपनी शक्लो सुरत पर बहुत घमण्ड था इन दौलतो शोहरत पर सबके सबने साथ छोड़ दिया तेरा कुछ भी न काम आया तेरी मौत पर वो कपड़े भी साथ छोड़ गये एक कफन देखकर बहुत था घमण्ड तुझे जिस रेशमी किमती कपड़ो पर वो शहर वो सुबहो शाम भी जाने कहाँ चले गये जरा सी खाक क्या पड़ी तेरे चेहरे पर देख तुझे खाक मे मिला आये तेरे अपने ही बहुत घमण्ड था न तुझे इन्ही अपनो पर न करना तू भी कभी किसी चीज का घमण्ड अली देख तेरा भी यही हश्र होगा तेरी रूह निकलने पर #जिन्दगी से किसकी #रिश्तेदारी है आज #हमारी तो कल #तुम्हारी बारी है.. #मौत को कोई झूठला नही सकता यही #हकीकत यही #सच्चाई है..!! इसलिये किसी भ
Harsh Anand
चेहरों में खोल बहुत है इंसानों में झोल बहुत है, ये तो रिश्तेदारी है साहब जो हम खामोश बहुत है वरना हम थोड़े ना बकलूल बहुत है, #nojoto #hindi
Anant Nag Chandan
आप दुःख दे रहे हैं रो रहा हूं, और ये बेलहाल जारी है। रोना लिखा गया है रोते हैं जिम्मेदारी तो जिम्मेदारी है। दुश्मनी के हजारों दर्जे हैं, आखिरी दर्जा रिश्तेदारी है। आप #दुःख दे रहे हैं रो रहा हूं, और ये बेलहाल जारी है। रोना लिखा गया है रोते हैं #जिम्मेदारी तो जिम्मेदारी है। #दुश्मनी के हजारों दर्जे हैं
Amit Mishra
कविताओं से दोस्ती मेरी गज़लों से रिश्तेदारी है लो किया क़ुबूल मुझे अब लिखने की बीमारी है बंदिशें तमाम लगाओ हौसले बाँध ना पाओगे परिंदे उड़ते आज़ाद हैं सरहद पे पहरेदारी है मायने रिश्तों के वक़्त के साथ बदलते रहेंगे माँ की ममता में आज तलक वही ईमानदारी है ये सिरफिरे जमाने की परवाह किया करते नही कोई नफ़रत में पागल किसी पे इश्क़ की ख़ुमारी है रक़ीबों की ख़्वाहिश है पूरी जोर आज़माइश है हाफ़िज बन साथ रहे उस ख़ुदा की पूरी तैयारी है वो नसीहतें हैं देते मुझे अब बदलना होगा मेरे 'मौन' रहने में वक़्त की बराबर हिस्सेदारी है यहाँ भी पढ़ सकते हैं👇👇 कविताओं से दोस्ती मेरी गज़लों से रिश्तेदारी है लो किया क़ुबूल मुझे अब लिखने की बीमारी है बंदिशें तमाम लगाओ हौसले बाँध
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
चार दिन गायब होकर देख लीजिए, लोग आपका नाम भूल जाएंगे। इंसान सारी जिंदगी... इस धोखे में रहता है कि... वह लोगों के लिए अहम है। लेकिन हकीकत यह होती है कि.. आपके होने ना होने से किसी को कोई फर्क नही पड़ता।। जिसकी जितनी जरूरत होती है.. उसकी उतनी ही अहमियत होती है।। "न रुकी वक़्त की गर्दिश, न ज़माना बदला, पेड़ सूखा तो परिंदो ने ठिकाना बदला"... तो जनाब अहमियत ज़रूरत की होती है, किरदार की नहीं। इससे अंजान तो परींदे भी नहीं। फिर हम क्यूँ गफलत में हैं कि, किसी के लिए हम अहम हो सकते हैं? लोग भूल जाते हैं किसने किसका कितना साथ दिया। किसी के लिए जान भी दाव पर लगा दो फिर भी चार दिन में लोग भूला देते हैं। ज़रूरत खत्म तो सारे रिश्ते खत्म। कोई मायने नहीं होते रिश्तों के, सब मतलब की रिश्तेदारी है। मेरा यह कटु अनुभव है। मैंने भुगता है, झेला है उस समय को। इंसान की क़द्र तब तक ही होती है जब तक सामने वाले का स्वार्थसिद्ध होता हो वरना बहुत जल्द भूला देते हैं किसी की सच्चाई और अच्छाई को। सच ही कहा गया है "स्वारथ लागे करैहीं सब प्रीति"। ©Ankur Raaz चार दिन गायब होकर देख लीजिए, लोग आपका नाम भूल जाएंगे। इंसान सारी जिंदगी... इस धोखे में रहता है कि... वह लोगों के लिए अहम है। लेकिन हकीकत यह
रिंकी✍️
" मेरे देशवासी बड़े संस्कारी है " कविता अनुशीर्षक में पढ़े 👇 " मेरे देशवासी बड़े संस्कारी है " चोरी है चाकरी है पैसो की मारा मारी है काला धन छुपाने में इंडिया नम्बर वन पर आ रही है फिर भी मैं कहता हूं
Shahab
मेरे पापा का तो कोई ऐसा दोस्त भी नहीं है जो यह कह सके आओ इस दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलते हैं ! #रिश्तेदारी