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Nilam Agarwalla
तुम बंजर हो जाओगे यदि इतने व्यवस्थित ढंग से रहोगे यदि इतने सोच-समझकर बोलोगे, चलोगे कभी मन की नहीं कहोगे सच को दबाकर झूठे प्रेम के गाने गाओगे तो मैं तुमसे कहता हूं,तुम बंजर हो जाओगे। भवानी प्रसाद मिश्र ©Nilam Agarwalla #भवानी प्रसाद मिश्र
#भवानी प्रसाद मिश्र #Motivational
read moreanil.gangwar.1994000
अक्षर से सीखा हमने मिलजुल कर शब्द है बनना । शब्दो से सीखा हमने मिलजुल कर वाक्य है बनना । वाक्यो से सीखा हमने मिलजुल कर भाषा बनना । भाषा से सीखा हमने इस रिश्तो की परिभाषा बनना । रिश्तो से सीखा हमने हंसना रोना हमदम बनना । हंसने रोने से याद है आया मां बापू की प्यार और डांट 😑 उससे सीखा संस्कृति और सभ्यता अपने देश की । संस्कार से सीखा हमने इस लोकतंत्र की अद्भुत माया । लोकतन्त्र से सीखा हमने इस जनमानस से विधि-विधान । विधियों से सीखा हमने सत्य कर्म और विज्ञान । अभी सीखना बाकी है कई वेद और पुराण ।। बोलो जय श्री राम, जय श्री राम ।। गंगवार अनिल कवित्त
कवित्त
read moreYashpal singh gusain badal'
नेता आये दिन चुनाव के, मीठी हुई जुबान । जीते तो फिर खो गए,जाने कहाँ श्रीमान , जाने कहाँ श्रीमान, "बादल" मिली जो गद्दी ! वादों को वो यूँ फेंक गए, वो समझ के रद्दी । हिस्सा-हिस्सा बांट कर बैठे हैं ये लोग , बड़ा बुरा होता है ये ,राजसत्ता का रोग , राजसत्ता का रोग,ये वोट बैंक बनाते , फिर होकर निश्चिंत सालों मजे उड़ाते । रचना-यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh badal कवित्त
कवित्त #कविता
read moreSanjay Sharma Saras
आप हैं सद - गृहस्थ किन्तु हे तपस्वी ! साधना में रत कि ज्यों बोधि का तरुवर, आपके अस्तित्व से गर्वित हिमालय, पुण्यभागी है धरा भारत की श्रीवर। "राज की गंगा" पुकारे पुनः तुमको, ले हनु-ध्वज रथ पे हो आरूढ़ प्रियवर। गिर पड़ी चरणों में लेकर ताज सत्ता, आपकी व्यक्तित्व-छवि प्रत्यक्ष शंकर। ©® संजय शर्मा 'सरस' Youtube - Sanjay Sharma Saras कवित्त
कवित्त #कविता
read moreYashpal singh gusain badal'
कूट-कूट कर मक्कारियाँ ,ठूँस-ठूँस कर स्वार्थ । हित अपना सबसे बड़ा ,काहे का परमार्थ । काहे का परमार्थ-किलिष्ट हो गये नेता ! गिरगिट के भी तात हो गये ,ये अभिनेता । ©Yashpal singh gusain badal' कवित्त #sunrays