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Ashish Singh
ब्लेड ग्रुप सेम #Trading#trading_video #Comdey#Comdey😂😂😂 #vairalvideo #Comdey😂😂😂
read moreRAUSHAN SHARMA JI
₹5 के सिक्कों से ब्लेड क्यों बनाया जाने लगा ? #Shorts #viral #shortfeed #ytshorts @A2Motivation #News
read moreA2 motivations facts
ARVIND KUMAR KASHYAP
ब्लेड की धार तेज होती है पर पेड़ नहीं काट सकती कुल्हाड़ी बहुत मजबूत होती है पर बाल नहीं काट सकती सबका अपना महत्व है, कभी किसी से तुलना नहीं #विचार
read moreNisheeth pandey
खाली समय में, बैठ कर ब्लेड से नाखून काटें, बढी हुई दाढी में बालों के बीच की खाली जगह छांटे, सर खुजलाएं, जम्हुआए, कभी धूप में आए, कभी छांह में जाए, इधर-उधर लेटें, हाथ-पैर फैलाएं, करवटें बदलें दाएं-बाएं, खाली कागज पर कलम से भोंडी नाक, गोल आंख, टेढे मुंह की तसवीरें खींचें बार-बार आंखें खोले बार-बार मींचें, खांसें, खंखारें, थोडा बहुत गुनगुनाएं, भोंडी आवाज में, अखबार की खबरें गाए, तरह-तरह की आवाज गले से निकालें, अपनी हथेली की रेखाएं देखें-भालें, गालियां दे-दे कर मक्खियां उडाएं, आंगन के कौओं को भाषण पिलाए, कुत्ते के पिल्ले से हाल-चाल पूछें, चित्रों में लडकियों की बनाएं मूंछे, धूप पर राय दें, हवा की वकालत करें, दुमड-दुमड तकिए की जो कहिए हालत करें, खाली समय में भी बहुत से काम है किस्मत में भला कहां लिखा आराम है! *** शुभरात्रि *** ©Nisheeth pandey खाली समय में, बैठ कर ब्लेड से नाखून काटें, बढी हुई दाढी में बालों के बीच की खाली जगह छांटे, सर खुजलाएं, जम्हुआए, कभी धूप में आए, कभी छांह मे
खाली समय में, बैठ कर ब्लेड से नाखून काटें, बढी हुई दाढी में बालों के बीच की खाली जगह छांटे, सर खुजलाएं, जम्हुआए, कभी धूप में आए, कभी छांह मे #कविता #lonely #nojotonews #नोजोटोहिंदी #निशीथ #NojotoWritingPrompt
read moreरजनीश "स्वच्छंद"
कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।। वक़्त ने ली ऐसी करवट, मैं हिन्दू तू मुसलमां हो गया। जिस दिल मे रहते थे दोनों, वहां अब दो जहां हो गया। बन मुर्गा रहे लड़ते, बांध पंजों में टुकड़ा एक ब्लेड का, जो रहा लड़ाता हमे, आज वही देखो रहनुमां हो गया। मिल बैठ पढ़ते थे आयतें श्लोक, गीता और कुरान की, क्यूँ आज तुम्हे कुरान और हमे गीता का गुमां हो गया। तुम भी तो आते थे मंदिर मेरे, था पढ़ा नमाज़ मैने भी, तेरे माथे का तिलक, मेरी आँखों का सुरमा खो गया। हमे याद हैं ईद की सेवईयां, तुम्हे भी होली के पकवान, क्यूँ इस होली में ख़ाक, हम दोनों का अरमां हो गया। मैं गंगा बन था बहता, तुम आ मिलते थे बनके यमुना, बदलीं दिशाएं, बन बांध ये नफरत कब जवां हो गया। बिन कहे जान जाते थे दर्द मेरा, गिरते थे आंसू तुम्हारे, आ मिल जा फिर से गले, मिले बहुत लम्हा हो गया। ©रजनीश "स्वछंद" कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।। वक़्त ने ली ऐसी करवट, मैं हिन्दू तू मुसलमां हो गया। जिस दिल मे रहते थे दोनों, वहां अब दो जहां हो गया। बन म
कोई हिन्दू, कोई मुसलमां हो गया।। वक़्त ने ली ऐसी करवट, मैं हिन्दू तू मुसलमां हो गया। जिस दिल मे रहते थे दोनों, वहां अब दो जहां हो गया। बन म #Poetry #Quotes #kavita #hindipoetry #falconfilms19
read morePrashant Badal
"माँ की कोख में बिताए वो पल याद कर लेना" जब पंखे को देखकर खयाल आए जब रस्सी देखकर मन खोने लग जाए जब जिंदगी से ज्यादा परेशानी बड़ी लगने लगे जब हर तरफ घुटन सी महसूस होने लगे जब नींद की दवाइयों का डिब्बा दिखने लगे जब ब्लेड और चाकू की धार तेज होने लगे तब आँखे बंद करके अपने बचपन को महसूस करना अपने माँ बाप के दुलार को तुम फिर से जीना तब अपनी माँ का आँचल तुम याद रखना अपने पिता की डाँट का मान रखना अपने भाई की परछाई का तुम जिक्र करना अपनी बहन की खुशियों की तुम फिक्र करना गम किसकी जिंदगी में नहीं है,मत बनना कभी स्वार्थी तुम प्रशांत तुम अपने गमों से यूं ही लड़ते रहना कभी गलत खयाल आए तो बस अपनी माँ के कोख में जिये वो नौ महीने तुम याद कर लेना "माँ की कोख में बिताए वो पल याद कर लेना" जब पंखे को देखकर खयाल आए जब रस्सी देखकर मन खोने लग जाए जब जिंदगी से ज्यादा परेशानी बड़ी लगने लगे
"माँ की कोख में बिताए वो पल याद कर लेना" जब पंखे को देखकर खयाल आए जब रस्सी देखकर मन खोने लग जाए जब जिंदगी से ज्यादा परेशानी बड़ी लगने लगे #Hindi #lifequotes #motivationalquotes #inspirationalquotes #motherlove #hindipoetry #लफ्ज़_ए_प्रशांत
read moreNisheeth pandey
खाली समय में, बैठ कर ब्लेड से नाखून काटें, बढी हुई दाढी में बालों के बीच की खाली जगह छांटे, सर खुजलाएं, जम्हुआए, कभी धूप में आए, कभी छांह में जाए, इधर-उधर लेटें, हाथ-पैर फैलाएं, करवटें बदलें दाएं-बाएं, खाली कागज पर कलम से भोंडी नाक, गोल आंख, टेढे मुंह की तसवीरें खींचें बार-बार आंखें खोले बार-बार मींचें, खांसें, खंखारें, थोडा बहुत गुनगुनाएं, भोंडी आवाज में, अखबार की खबरें गाए, तरह-तरह की आवाज गले से निकालें, अपनी हथेली की रेखाएं देखें-भालें, गालियां दे-दे कर मक्खियां उडाएं, आंगन के कौओं को भाषण पिलाए, कुत्ते के पिल्ले से हाल-चाल पूछें, चित्रों में लडकियों की बनाएं मूंछे, धूप पर राय दें, हवा की वकालत करें, दुमड-दुमड तकिए की जो कहिए हालत करें, खाली समय में भी बहुत से काम है किस्मत में भला कहां लिखा आराम है! *** शुभरात्रि *** ©Nisheeth pandey ©Nisheeth pandey खाली समय में, बैठ कर ब्लेड से नाखून काटें, बढी हुई दाढी में बालों के बीच की खाली जगह छांटे, सर खुजलाएं, जम्हुआए, कभी धूप में आए, कभी छांह मे
खाली समय में, बैठ कर ब्लेड से नाखून काटें, बढी हुई दाढी में बालों के बीच की खाली जगह छांटे, सर खुजलाएं, जम्हुआए, कभी धूप में आए, कभी छांह मे #Poetry #Funny #poem #nojotowriters #NojotoWriter #MeriKavita
read moreJALAJ KUMAR RATHOUR
कहानियाँ और किस्से, (भाग -१) मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते घर से बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही पता आपके यहाँ बल्ला कैसा होता है पर हमारे यहाँ तो बल्ले पर रेशम के धागे और फेवीकोल को लगाकर उसपर ट्यूब चढ़ा देते थे और रनर साइड वाले खिलाड़ी पर कपड़े धोने वाली पटुकुन्नीयाँ होती थी। ईंटो को कमर तक एक के उपर एक रख हम सिविल इंजीनीयर समझते थे। खुद को, मोहल्ले के हर घर की छत के चक्कर काटे थे हमने,ऐसे ही एक रोज तो हम हिट विकेट हुए थे, उसके इंनस्विंग जैसा गाना "क्या करते थे साजना तुम हमसे दूर रहके"पर,हमारी गेंद से फुटबॉल खेलती , कानों में हेडफोन लगाए वो और उसकी अदाओ पर मंत्रमुग्ध मैं, तभी नीचे से आवाज आई, रवि,गेंद मिली, मैंने कहा हाँ,उस दिन मेरी हालत उस मानव जैसी थी, जो जीवन के यथार्थ को खोजने इस धरा पर जन्म लेता है परंतु इस जग की मोह माया उसे स्वयं में लिप्त कर लेती है। मैं उसके पास गया और मैंने गेंद को वापस देने का इशारा किया, उसने गेंद को पैर मारते हुए मेरी और कर दिया गेंद पर उसके पैर की चोट मुझे ऐसी प्रतीत हो रही थी जैसे उसने मेरे उसके प्रति प्रेम जो कुछ वक्त पहले ही पनपा था का प्रतिकार किया हो, लेकिन हम प्रतिकार में भी प्रेम ढूंढने वाले थे और मैं उसका अब दीवाना हो चुका था। अब बस एक ही मिशन था। मोहल्ले और मेरे दिल में आयी, इस नई लड़की के विषय में जानकारी जुटाने का....... .... #जलज राठौर #Love कहानियाँ और किस्से, मई और जून के गर्मियों से भरी छुट्टियों में जब भी शाम होती थी। तो हम निकल जाते बल्ले और गेंद को उठा कर, मुझे नही
वो फिर आएगी
जिंदगी मे एक बार तो होना इश्क की बिमारी जरूरी है, मगर इससे लड़ो जान मत दो, इश्क मे खुद्दारी जरूरी है ।। एक समय था जब मै बिलकुल टूट चुका था...दिन रात रोया करता था...घर पर सिर्फ मै मेरा छोटा भाइ और बड़ी बहन थी बाकी सब गाँव गये थे...उन्ही दिनो उसन
एक समय था जब मै बिलकुल टूट चुका था...दिन रात रोया करता था...घर पर सिर्फ मै मेरा छोटा भाइ और बड़ी बहन थी बाकी सब गाँव गये थे...उन्ही दिनो उसन #yourquote #yqbaba #इश्क #yqdidi
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