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Mohammad Arif (WordsOfArif)
खुशी भी है ग़म भी है यहाँ भीड़ भी है लोगों में ये कैसा अफरातफरी अब भी है जीत मिली है थोडे़ वक्त के लिए समझों आगे नया पुराना खेल देखों तुम अब भी है ये कोठे के सब दलाल है समझों तुम बात खेल आगे जरूर होगा मुझे डर अब भी है बातें सभी करते हैं तुम्हारी देखा है मैंने लोगों में देखों जीत की उम्मीद अब भी है मैंने बरसों तलक मुहब्बत की बात की है आरिफ दिल में याद उनकी देखों अब भी है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) खुशी भी है ग़म भी है यहाँ भीड़ भी है लोगों में ये कैसा अफरातफरी अब भी है जीत मिली है थोडे़ वक्त के लिए समझों आगे नया पुराना खेल देखों तुम अ
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Writer_Sonu
गाव छोडब नही, जंगल छोडब नही, माय माटी छोडब नही लडाय छोडब नही। बाँध बनाए, गाँव डुबोए, कारखाना बनाए , जंगल काटे, खदान खोदे , सेंक्चुरी बनाए, जल जंगल जमीन छोडी हमिन कहा कहा जाए, विकास के भगवान बता हम कैसे जान बचाए॥ जमुना सुखी, नर्मदा सुखी, सुखी सुवर्णरेखा, गंगा बनी गन्दी नाली, कृष्णा काली रेखा, तुम पियोगे पेप्सी कोला, बिस्लरी का पानी, हम कैसे अपना प्यास बुझाए, पीकर कचरा पानी? ॥ पुरखे थे क्या मूरख जो वे जंगल को बचाए, धरती रखी हरी भरी नदी मधु बहाए, तेरी हवसमें जल गई धरती, लुट गई हरियाली, मचली मर गई, पंछी उड गई जाने किस दिशाए ॥ मंत्री बने कम्पनी के दलाल हम से जमीन छीनी, उनको बचाने लेकर आए साथ में पल्टनी हो… अफसर बने है राजा ठेकेदार बने धनी, गाँव हमारी बन गई है उनकी कोलोनी ॥ बिरसा पुकारे एकजुट होवो छोडो ये खामोशी, मछवारे आवो, दलित आवो, आवो आदिवासी, हो खेत खालीहान से जागो नगाडा बजाओ, लडाई छोडी चारा नही सुनो देस वासी ॥ हे गाणं ऐकून लगेच उल्का महाजन, मेधा पाटकर, पारोमिता गोस्वामी आठवल्या… Share this: ©Writer_KAVISONU #नोजोटो #नई #Ma गाव छोडब नही, जंगल छोडब नही,#sam # माय माटी छोडब नही लडाय छोडब नही। बाँध बनाए, गाँव डुबोए, कारखाना बनाए , जंगल काटे, खदान
Rajesh Verma
Anil Ray
चल अनिल! थोड़ा-सा बाजार में नफ़रत! का व्यापार भी कर जाये हम कहाँ सीख पाये दलीलों से कभी... बस! इस जहां में सिर्फ 'मैं' ही रहूँ न ही और भी कोई अधिशेष रहे एक बस! यही तो सोच भारी है अभी... शायद! राम-रावण भी उस स्वर्ग में अब एक साथ चौसर खेलते होगें नाम उनके अनेक युद्ध बाकि है अभी... वापस लौटकर आना ही होगा तुम्हें ज़ख्म सह लेने के बाद यकीनन यारों परस्पर विचार मिलना बाकि है अभी... ज़ख्म खाकर, टूटकर यह जिस्म तेरा तड़प, जलन, दुःख सिखाएंगे तुमको इंसां ही हो पर इंसानियत बाकि है अभी... 'लक्ष्मी' देकर भी 'लक्ष्मी' को खरीदना फिर उसी लक्ष्मी-मूर्ति से लक्ष्मी मांगना इसे क्या कहेंगे विचार करना यारों कभी... ©Anil Ray 📢 सावधान निकट भविष्य में चुनाव है 📢 प्रिय मित्रों! ❤️ सप्रेम नमस्कार 🙏🏻 "चोर चोर मौसेरे भाई" संवैधानिक मंदिर संसद के सदस्यों का हा