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Sanjoo Rathod
कभी हवायों की तरह छूले तू मुझे, अपनी जिंदगी का झूठा हिस्सा तो बनाले, अधूरी जिंदगी है तेरी और कुछ मेरी, जीने की ख्वाहिश से मुझे आजमाले। आजमाले#
Dinesh Kashyap
वक्त रुकता नहीं किसी के रुक जाने से! कोई दोबारा लौटकर आता नहीं एक बार जिंदगी के जाने से, मौत का कोई वक्त नहीं होता !वह आती है किसी ना किसी बहाने से! लाख कोशिश कर ले, दूर नहीं होगा मन का मेल तेरे बार-बार नहाने से! तेरे बार-बार नहाने से! तेरे पाप का घड़ा जब भर जाएगा एक दिन ऐसा आएगा तू बहुत पछताएगा जिसने भी बुरा कर्म किया है उसे सजा जरूर मिली है यह रीत चली आई है जमाने से जमाने से! ©Dinesh Kashyap # वक्त रुकता नहीं
Arjun Singh
बनकर आंसू हम तेरी यादों में रहेंगे बनकर लहू तेरी हर नस में बहेंगे # दर्द रुकता नहीं#
Meenakshi Sharma
वक़्त कभी रुकता नहीं पर घड़ी की सुई रुक जाती है, हफ़्ते गुजर जाते हैं तो महीने शुरू हो जाते हैं और साल बीत जाते हैं समय कभी रुकता नहीं पर इन्सान रुक जाते हैं, हालात कभी बदलते नहीं पर समय बदल जाता है। Meenakshi Sharma वक़्त कभी नहीं रुकता
Tukesh
कमजोर लोग तब रुकते है जब वे थक जाते है, और विजेता तब रुकते है जब वे जित जाते है !! ©Tukesh #Chess विजेता नहीं रुकता
Parasram Arora
वक़्त से एक बार अचानक पूछ लिया मैने तुम ठहरते क्यों नहीं? एक जगह टिक कर क्यों खडे नहीं रह पाते? हर वक़्त घोड़े पर स्ंवार क्यों रहते हो? वक़्त ने भी तत्काल प्रतिउत्तर की जगह प्रश्न कर डाला मेरे न रुकने के बारे मे आप मेरे बारे मे क्या सोचते हैँ? . मैने हँस कर जवाब दिया था तब सम्भवतः कोई कंटीला कीड़ा तुम्हे काटता रहता हैँ. ताकि तुम बैठ न सको रुक न सको किसी एक जगह पर एक पल के लिएभी वक़्त...... रुकता क्यों नहीं?
Aashutosh Aman.
हो ये मालूम हर आदमी के लिए। वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए।। वक़्त की कद्र करो ताकि मेहरबां हो वक़्त। ये जरूरी है बहुत हर एक जिंदगी के लिए।। वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए। वक़्त वो शै है जो मेहरबान अगर होजाए।। फिर न तरसोगे तुम किसी खुशी के लिए। वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए।। क्या उसूल है न सजदा करता है। वक़्त क्यूँ है न वंदगी के लिए।। वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए। वक़्त पर जो भी हसा वक़्त को जो भूला है। तो न देता है वक़्त वक़्त फिर हसी के लिए।। वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए।। बेरुखी ना हो वक़्त से ये सुनो। माफ करता न बेरुखी के लिए।। वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए। मैकशी के लिए। वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए। वश या बे वशी के लिए।। वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए। कोई भी कुछ भी नहीं वक़्त बड़ा होता है। वक़्त काफी है वंदगी के लिए। वक़्त रुकता नही किसी के लिए।। ©Aashutosh Aman. #Art वक़्त रुकता नहीं।
पूर्वार्थ
कुछ भी नहीं रुकता खुशियों की कोई औकात नहीं जब, गम का कितना रोना रोओगे! जो आसमां में उड़ते हैं, वो भी मिट्टी में मिल जाते हैं।। रोते - रोते आते सभी, रोते -रोते ही जाते हैं! कितना जलते हो सभी से, जब एक दिन ख़ाक - ए - सुपुर्द ही हो जाना है।। मन को साफ़ नहीं करते, चेहरे पे धूल ना जमे, इसलिए नकाव लगा अपने चेहरे पे, दूसरों की ऐब पर गौर फरमाते हैं।। बड़े तो बहुत हुए आप, सुकून की छांव कहां किसी को दे पाते हो! खुशियों की कोई औकात नहीं जब, गम का कितना रोना रोओगे।। क्या रुका है इस जहां में, जो अपने वक्त पे इतना इतराते हो! बेनामी में कोई नाम नहीं, अपनी शोहरत का क्यों इतना हल्ला मचाते हो।। अपनी अमीरी का शान दिखाते, कितने भूखे को रोटी दे पाते हो! क्या रुका है इस जहां में, जो अपने वक्त पे इतना इतराते हो।। ©purvarth #कुछ भी नहीं रुकता