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Ashraf Fani【असर】

तू दरिया और मैं हूँ किनारा बीच मैं है बस प्रेम की धारा तू दाएं या बाएं जाए दोनों तरफ तू मुझे ही पाए #ashraffani #Poetry

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I'm Resilient.

खवाहिशे बहुत बड़ी हैं... और मैं हूँ की जरूरतो मे सिमटा पड़ा हूँ..!!

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खवाहिशे बहुत बड़ी हैं... 
और मैं हूँ की जरूरतो मे सिमटा पड़ा हूँ..!! खवाहिशे बहुत बड़ी हैं... 
और मैं हूँ की जरूरतो मे सिमटा पड़ा हूँ..!!

Chandraj Jain

मेरी तक़दीर में मंज़िल नहीं है ग़ुबार-ए-कारवाँ है और मैं हूँ

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मेरी तक़दीर में मंज़िल नहीं है
ग़ुबार-ए-कारवाँ है और मैं हूँ मेरी तक़दीर में मंज़िल नहीं है
ग़ुबार-ए-कारवाँ है और मैं हूँ

I'm Resilient.

हर कोई परेशान हैं मेरे कम बोलने से... और मैं हूँ कि तंग हूँ, अपने अंदर के शोर से..!!

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हर कोई परेशान हैं मेरे कम बोलने से... 
और मैं हूँ कि तंग हूँ, अपने अंदर के शोर से..!! हर कोई परेशान हैं मेरे कम बोलने से... 
और मैं हूँ कि तंग हूँ, अपने अंदर के शोर से..!!

AB

"राग शिव वैराग शिव है मन मेरा ह्रदय में सब शिव है मेरे तो प्रत्यक्ष भी शिव परोक्ष भी शिव हैं अनंत अविनाशी जीवन दाता शिव मोक्ष भी शिव हैं और

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"राग शिव वैराग शिव है मन मेरा ह्रदय में सब शिव है मेरे तो प्रत्यक्ष भी शिव परोक्ष भी शिव हैं अनंत अविनाशी जीवन दाता शिव मोक्ष भी शिव हैं और

Parul Sharma

न जाने क्यूँ लोग इन आँखों में आँसू भरने की फिराक में रहते है और मैं हूँ कि ............ इन्हें इस समंदर के पार दिल में धकेलने की जद्दोजहद मे #nojotoofficial #2liner #nojotohindi #nojotoquotes #kalakash #panchdoot_social #TST #likho_india

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न जाने क्यूँ लोग इन आँखों में 
आँसू भरने की फिराक में रहते है 
और मैं हूँ कि ............
इन्हें इस समंदर के पार दिल में धकेलने की जद्दोजहद में लगी रहती हूँ ।
  पारुल शर्मा न जाने क्यूँ लोग इन आँखों में आँसू भरने की फिराक में रहते है और मैं हूँ कि ............
इन्हें इस समंदर के पार दिल में धकेलने की जद्दोजहद मे

Kunwar arun ¥

मानव सुन क्या अभिमान तुझे ये कैसा तूने उन्माद रचा तू भूल गया तू खुद है क्या और भूल गया तू मैं हूँ क्या बेशक तूने नदियां मोड़ी पर्वत की अं #AdhureVakya

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प्रकृति की गोद में  मानव सुन
क्या अभिमान तुझे
ये कैसा तूने उन्माद रचा
तू भूल गया तू खुद है क्या
और भूल गया तू मैं हूँ क्या
कुँवर अरुण

नीचे पढ़े ..कैप्शन में👇👇👇👏

©Kunwar arun ¥ मानव सुन
क्या अभिमान तुझे
ये कैसा तूने उन्माद रचा
तू भूल गया तू खुद है क्या
और भूल गया  तू मैं हूँ क्या 

बेशक तूने नदियां मोड़ी
पर्वत की अं

साहस

"शुभ रात्रि जुगलबंदी परिवार के सभी सदस्यों" "तारों की दुनिया में हो अपना एक आशियाना" "तू है मेरी दीवानी सनम और मैं हूँ तेरा दीवाना" "आईए #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #CollabChallenge #collabwithजुगलबंदी #जुगलबंदीतारोंकीदुनिया

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       आकर मेरी रोशनी बुझा जा रही हो।
हारों में मनिया जैसे अरझा सजा रही हो।। "शुभ रात्रि जुगलबंदी परिवार के सभी सदस्यों"

"तारों की दुनिया में हो अपना एक आशियाना"
"तू है मेरी दीवानी सनम और मैं हूँ तेरा दीवाना"



"आईए

रजनीश "स्वच्छंद"

राजनीति की बात बताऊं।। तुम हो मेरे और मैं हूँ तेरा, कानों में एक बात बताऊं मैं, बड़ी अनोखी राजनीति है, तुम्हे इसका स्वाद चखाऊँ मैं। महिला क #Poetry #Life #Politics #kavita #hindikavita #hindipoetry

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राजनीति की बात बताऊं।।

तुम हो मेरे और मैं हूँ तेरा, कानों में एक बात बताऊं मैं,
बड़ी अनोखी राजनीति है, तुम्हे इसका स्वाद चखाऊँ मैं।

महिला का अपमान है होता, जनता बैठ बजाती ताली,
इस युग मे भी बैठ यहां, तुम्हे महाभारत याद कराऊं मैं।

धृतराष्ट्र अकेला अंधा था, अब पांडव भी मूक बधिर हुए,
हो रही द्रौपदी रोज है नँगी, अब कृष्ण कहाँ से लाउं मैं।

भीष्म पितामह राजभक्त थे, अब जनता उनका पर्याय है,
किस मुख बोलो, इस जनता को राजधर्म सिखलाऊँ मैं।

अश्वत्थामा लहु से लथपथ, फिर भी भ्रूण निशाना है,
जो इस पापी को मार सके ब्रह्मास्त्र वो कैसे चलाऊँ मैं।

दुर्योधन भी लगाए ठहाका, शकुनि है पासा फेंक रहा,
धर्मराज बोली है लगाता, क्यूँ अब रोक उसे ना पाऊँ मैं।

कपटी धृष्टद्युम्न की फौज खड़ी, द्रोण पड़े बिन माथा हैं,
कैसे मैं संजय हो जाऊं, उसकी दृष्टि कहाँ से लाऊं मैं।

कौन है पंडित कौन मौलवी, माला और तसबीह बिके हैं,
अल्लाह ईश्वर नीलाम हुए, बोलो चैन कहाँ अब पाऊँ मैं।

©रजनीश "स्वछंद" राजनीति की बात बताऊं।।

तुम हो मेरे और मैं हूँ तेरा, कानों में एक बात बताऊं मैं,
बड़ी अनोखी राजनीति है, तुम्हे इसका स्वाद चखाऊँ मैं।

महिला क

Prerit Modi सफ़र

212 212 212 212 "फ़ासले तेरे मेरे हैं क्यों दरमियाँ रात है वस्ल की और मैं हूँ जवाँ मेरी बाहों में आके न घबराना तुम आज की शब हया सारी करदो नि #yqbaba #gazal #yqdidi #सफ़र_ए_प्रेरित

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ग़ज़ल कृपया कैप्शन में पढ़ें


ना-तवाँ हो गया हूँ मैं दुन्या में अब
अपना मुझको ख़ुदा तुम दिखा दो निशाँ 212 212 212 212
"फ़ासले तेरे मेरे हैं क्यों दरमियाँ
रात है वस्ल की और मैं हूँ जवाँ

मेरी बाहों में आके न घबराना तुम
आज की शब हया सारी करदो नि
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