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Mohammad Arif (WordsOfArif)
नफ़रत का बाज़ार जो तुमने सजवाया है फिर कैसा हालत मुल्क का तुमने बनवाया है कितना खुबसूरत लगता है देश अपना देखों लोगों के बीच दीवार तुमने चलवाया है हालत तुमने कैसी कर दी है देश की देखों जरा भरी क्लास में बच्चे को बच्चे से तुमने पिटवाया है उस गरीब बाप के बच्चे को कितना डराया बाप से क्या सोच के समझौता तुमने करवाया है हालत अपने देश की देख के अब डर लगता है आरिफ कितना कुछ गड़बड़ तुमने करवाया है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) नफ़रत का बाज़ार जो तुमने सजवाया है फिर कैसा हालत मुल्क का तुमने बनवाया है कितना खुबसूरत लगता है देश अपना देखों लोगों के बीच दीवार तुमने चलव
Mohammad Arif (WordsOfArif)
हर एक दिन नया जख्म मुझसे मिलता है हंसता है रोता है और मुस्कुरा कर चला जाता है जाने कैसी जिदंगी की जिद है अपनी आरिफ हर बार मुझे ही रुलाकर हंसा कर चला जाता है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) हर एक दिन नया जख्म मुझसे मिलता है हंसता है रोता है और मुस्कुरा कर चला जाता है जाने कैसी जिदंगी की जिद है अपनी आरिफ हर बार मुझे ही रुलाकर हं
Mohammad Arif (WordsOfArif)
दिल ही तो है जो अब भर सा गया है तुमसे मिले मुझे एक अरसा हो ही गया है कीमत तुम बताओ जान फिर भी दे दूगां मैं कैसे कहें बिछड़े हुए एक जमाना हो ही गया है इतना क्यूँ अब घबराना जान फिर भी साथ है देखो तुम अब पुराना खत्म खजाना हो ही गया है इस कदर दूर क्यूँ जा रहे हो तुम हमसे बताओं अपना मिलना देखों कितना निराला हो ही गया है दूरियाँ क्यूँ तुम बढ़ा रहे हो अब बताओ आरिफ हमारी दोस्ती फिर से बढ़कर पुराना हो ही गया है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) दिल ही तो है जो अब भर सा गया है तुमसे मिले मुझे एक अरसा हो ही गया है कीमत तुम बताओ जान फिर भी दे दूगां मैं कैसे कहें बिछड़े हुए एक जमाना ह
Mohammad Arif (WordsOfArif)
दिल ही तो है जो अब भर सा गया है तुमसे मिले मुझे एक अरसा हो ही गया है कीमत तुम बताओ जान फिर भी दे दूगां मैं कैसे कहें बिछड़े हुए एक जमाना हो ही गया है इतना क्यूँ अब घबराना जान फिर भी साथ है देखो तुम अब पुराना खत्म खजाना हो ही गया है इस कदर दूर क्यूँ जा रहे हो तुम हमसे बताओं अपना मिलना देखों कितना निराला हो ही गया है दूरियाँ क्यूँ तुम बढ़ा रहे हो अब बताओ आरिफ हमारी दोस्ती फिर से बढ़कर पुराना हो ही गया है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) दिल ही तो है जो अब भर सा गया है तुमसे मिले मुझे एक अरसा हो ही गया है कीमत तुम बताओ जान फिर भी दे दूगां मैं कैसे कहें बिछड़े हुए एक जमाना ह
Ravendra
Mohammad Arif (WordsOfArif)
वक्त वक्त की बात है कल हमारा वक्त खराब था आज तुम्हारा वक्त खराब है हम दोनों एक ही सिक्के के पहलू है मगर हम करते भी क्या सियासत से न हमें बक्सा ना तुम्हें कहीं का छोडा़ फिर भी हम हाथ पे हाथ धरे है की कोई मसीहा आयेगा हालात ठीक करेगा हमें खुद लड़ना है किसी से कोई उम्मीद नहीं लड़ो तबतक जबतक जीत ना मिले आरिफ ©Mohammad Arif (WordsOfArif) वक्त वक्त की बात है कल हमारा वक्त खराब था आज तुम्हारा वक्त खराब है हम दोनों एक ही सिक्के के पहलू है मगर हम करते भी क्या सियासत से न हमें बक्
Mohammad Arif (WordsOfArif)
सब लोग इश्क़ मुहब्बत प्यार लेकर खड़े थे इक हम थे मोहम्मद का दामन पकड़ कर खड़े थे ©Mohammad Arif (WordsOfArif) सब लोग इश्क़ मुहब्बत प्यार लेकर खड़े थे इक हम थे मोहम्मद का दामन पकड़ कर खड़े थे आरिफ #urdu #iloveyou #writer #quaotes #Arif908
ranjit Kumar rathour
जब भी ईद हुई तेरी दीद हुई यादों में ही सही तस्दीक हुई कौन है जब पूछा किसी ने जिक्र तेरा खुशामदीद हुई ऐसा क्या था जब उसने पूछा बोली और मैं सूची से नाफेहरिस्त हुई जल गई न !मैंने बोला तू! अब बता ही देता हूं था यार मेरा वो, उससे मेरा याराना था उसका अंदाज़े बायां क्या कहूं कितना अरिफाना था शाम हमारा सालो भर कटता संग संग अनोखा मेरा दोस्ताना था जिक्र ईद का छिड़ा तो सुनो हकीकत यही कोई तीन सालों की यारी थी साथ पढ़ते एक शहर में माहे रमजान तीन दफा आया था बगैर यार वैसे भी नही कटती थी रोजा में महीने भर समझो मेरा नाश्ता और उसकी इफ्तारी थी फिर आता ईद उल फितर क्या कहने अब मस्ती की बारी थी ये सब कुछ मेरी मेरे दोस्त आरिफ की एक न भुलनेवाली पारी थी आज वो मुझसे रूठा है पता नही कहा दूर वो बैठा है फेसबुक पर भी ढूंढा है नही मिलता वो कैसा है कितना उसको मैं याद आता नही पता मुझको बहुत वो आता है ईद की इफ्तारी और सेवई संग गले लगा कर दिल से लगाना यार बहुत याद आता है **************** (दोस्त आरिफ को समर्पित) आखिर बार कोलकाता में 30 साल पहले मिले! ©ranjit Kumar rathour ईद को दीद हुई(मित्र आरिफ को समर्पित) #poetry month
Mohammad Arif (WordsOfArif)
भूलना इतना आसान थोड़ी है जान की बाजी लगानी पड़ती है ख्यालो में कैद करना आसान थोड़ी है उनसे मिले इक मुद्दत हो गया हमें आमना सामना जब हुआ आखें रो पडी़ आसुओं में बयान करना आसान थोड़ी है दिल धड़कन जान थी तुम मेरी ख्यालों में इस कदर बसाया था तुम्हें दिल के अरमान बहाना आसान थोड़ी है बरसों से तुम्हें चाहा था इस तरह जैसे कलियों पर भौरें ने पहरा लगाया हो इक उम्र तक आसूं बहाना आसान थोड़ी है मिलना बिछड़ना ऐसे लगा रहा सपने में आखें जब खुलीं सब धुआँ धुआँ सा था आरिफ इस तरह धुएँ में खोना आसान थोड़ी है ©Mohammad Arif (WordsOfArif) भूलना इतना आसान थोड़ी है जान की बाजी लगानी पड़ती है ख्यालो में कैद करना आसान थोड़ी है उनसे मिले इक मुद्दत हो गया हमें आमना सामना जब हुआ आखे
Shree
सुनो ना, मेरे प्रेम! सुनो ना, मेरे प्रेम! मुकम्मल... है हर दास्तां, है हर बात, वो हर एहसास जिसमें है तुम्हारी बात! हां, तुम हो खास! दरम्यान... है जो हमारे, गु