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ANIL KUMAR
फेहरिस्त-ए-आरज़ू में तुझे आखरी लिखा मतलब की तेरे बाद कोई आरज़ू नहीं ©ANIL KUMAR फेहरिस्त-ए-आरज़ू
फेहरिस्त-ए-आरज़ू #Shayari
read moreSAHIL KUMAR
दिल कि आरज़ूऐ तो युही गुमनाम गलियों में खो जाती है जिंदगी में हर दिन एक नई निराशा भी मिल जाती है बस एक यार ही मिल जाता तो दिल को भी राहत मिल ही जाती शायद ©SAHIL KUMAR दिल -ए- आरज़ू
दिल -ए- आरज़ू #शायरी
read moreHema Choudhary
वक़्त गुजरता गया,। लम्हा बीतता गया, याद आती रहीं और जाती रही , सासे रुकती भी थी, सासे चलती भी थीं। एक उम्मीद थी । के शायद तू कभी लौट आए इस दिल में , और गुलशन ए बहार आ जाए मेरे वीराने में आरज़ू ए दिल
आरज़ू ए दिल #कविता
read moreRaone
ना दबी रह गयीं कोई आरज़ू-ए-इश्क़ की मिल गयीं हैं सब हमें तेरे शोहरतें प्यार की जिस्म ना छूऊं तेरा पर छू लिया हूँ मन तेरा रूह तक थीं जो हसरतें रूह की मोहब्बतें बन गयीं रूह को चाहिए और क्या रूह से रूह जो मिल गयी बदल सकी ना जो कभी वो आशिकी हमें है मिल गयी ना जी सका है उम्रभर कोई हसरतों को पाल कर ज़रूरतें ख़तम ना हो सकीं पर ख़तम ज़िन्दग़ी हो गयी खो दिये हम वक़्त सभी एक बेहतरीन वक़्त की तलाश में ओर वक़्त मिला भी तो, लो ज़िन्दग़ी सिमट गयी..... राone@ज़िन्दग़ी ©Raone आरज़ू-ए-इश्क़ की
आरज़ू-ए-इश्क़ की #कविता
read moreCK JOHNY
हैरत होती है मुझे अक़्ल-ए-अक्लमंदों पर ख़ुदा को भूल कर मशगूल हैं काम धंधों पर। ये भी भूल गए कि सफऱ-ए-जिंदगी है महज़ कंधों से जमीं तक और जमीं से कन्धों पर। सफ़र-ए-हयात
सफ़र-ए-हयात
read moreBabu Qureshi
दिल खेलने की चीज़ है जो मन अपना बहलाने चले आये उधार की ज़िंदगी है यार हक इस पर भी जताने चले आये नफरतें तो अलग चीज़ हैं लोग मोहब्बत से भी मार डालेंगे इलाही तेरी दुनिया में अब ये कैसे कैसे बहाने चले आये किस किस तरह का फरेब लोग करते रहते हैं जीते जी तो पूछा नहीं मरने के बाद कब्र सजाने चले आये खुदा दिलों में बसता है तो लोग दिलों को तोड़ कैसे देते हैं जज्बातों की दुनिया में ये कैसे कैसे ज़माने चले आये ये दस्तूर - ए - दुनिया तू बदल क्यों नहीं देता उम्रभर की अदावत उन्होंने अब वो रिश्ते निभाने चले आये बस उन्हें ही थी मोहब्बत और वो ही ढ़ूंढ़ते फिरे मुझे कब्र पर आकर बस इतना कहा मुझे छोड़कर किस बहाने चले आये शायर - बाबू कुरैशी #शरीक-ए-हयात
Ankit Paliwal
बाद मुद्दत इश्क़ मेरा आबाद हुआ है । बड़ी शिद्दतों से मोहब्बत का आगाज हुआ है। बढ़ चुकी है धड़कनें बेतहाशा, बड़ा दिलनशीं अंदाज हुआ है। फिर ज़िंदा हो उठी है, बदहवास ज़िन्दगी। आब-ए-हयात सा तेरा मिज़ाज़ हुआ है। written by Ankit Paliwal आब-ए-हयात
आब-ए-हयात
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