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Mili Saha
चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को, विस्तृत स्वरूप दर्शाती हैं ये स्वच्छंद किरणें। रात की चुनर से छन कर आती, तम में निखरती उज्जवल सी लगती, चहुँओर बिखेरकर स्वर्ण सी नर्म चांँदनी, कल-कल बहती सरिता के जल को है छूती। चंँद्र संग इठलाती और बलखाती, कभी शर्माती हुई वो मंद-मंद मुस्काती, स्याह अंँधेरी रात में देखकर चंँद्र की झलक, प्रीत रंग में रंग कर फूलों सी खिल-खिल जाती। कभी तरु कभी कुसुम का श्रृंगार, कभी बन ये रत्नगर्भा के गले का हार, पवन की ताल पर नृत्य मुद्रा में सुसज्जित, अपना संपूर्ण सौंदर्य यह प्रकृति में बिखेर देती। कभी ले जाए यह यादों के पार, कभी खोले है किसी के दिल का द्वार, देख चंचल किरणों की ये मनोरम चंचलता, चंद्र भी स्वप्न तरी में विराजित होकर करे विहार। लेखक के कलम की कहानी, कवियों के दिल से निकलती वाणी, चारु चंँद्र की चंचल किरणों की आगोश में, कभी कोई नज़्म तो कभी ग़ज़ल बनती सुहानी। किरणों से सजा धरा का कण-कण, देखकर ही आनंद विभोर हो जाता मन, अद्वितीय छटा झलकती चंद्र संग किरणों की, जिसे देखने को किसके व्याकुल नहीं होते नयन। ©Mili Saha चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को,
Tarot Card Reader Neha Mathur
कोरा कागज़ प्रतिरूप कहानी तीसरा चरण कहानी " नेहा और ब्रह्मराक्षस द्वंद" क्या था जो नेहा को महादेव ने सौंपा ? जिसे पाने के लिए ब्रह्मराक्षस ललायित हो उठा। क्या वह उसे मार डालेगा या कोई चन्द्रवंशी उसे बचा लेगा? कहानी अनुशीर्षक मे पढ़े। आज चम्बा की हवा ही अलग थी।पूर्णमाशी की रात का चन्द्रमा और उज्जवलित था। पहाड़ी पगडंडियों पर चलती नेहा के पांव मे न जाने आज कौन सी थिरकन थी।चा
Shravan Goud
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥🙏🙏
Shravan Goud
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥🙏 गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥🙏
Shravan Goud
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ सर्व विघ्नविनाशाय सर्वकल्याण हेतु। पार्वती प्रिय पुत्राय गणेशाय नमो नमः 🙏🙏— % & गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाका
Shravan Goud
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ सर्व विघ्नविनाशाय सर्वकल्याण हेतु। पार्वती प्रिय पुत्राय गणेशाय नमो नमः 🙏🙏— % & गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाका
Shravan Goud
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ सर्व विघ्नविनाशाय सर्वकल्याण हेतु। पार्वती प्रिय पुत्राय गणेशाय नमो नमः 🙏🙏— % & गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाका
Shravan Goud
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गं गणपतेय नमः वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ सर्व विघ्नविनाशाय सर्वकल्याण हेतु पार्वती प्रिय पुत्राय गणेशाय नमो नमः 🙏🙏 गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गं गणपतेय नमः वक्रतुण्ड महाका
Shravan Goud
ॐ गं गणपतेय नमः 🙏 गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाका
Shravan Goud
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ सर्व विघ्नविनाशाय सर्वकल्याण हेतु। पार्वती प्रिय पुत्राय गणेशाय नमो नमः 🙏 गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकम् नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्॥ ॐ गंग गणपतेय नम: वक्रतुण्ड महाका