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Poonam Suyal

एक खूबसूरत रात पूनम की वो रात थी। चाँद अपनी चाँदनी पुरज़ोर बिखेर रहा था। मदमस्त था आलम। कितना खूबसूरत था समा। मैं अकेले घर में खिड़की के पास बैठकर चाय और मौसम का आनंद ले रही थी। ठण्डी पुरवाई चल रही थी जिसके मेरे गालों पर स्पर्श स्पर्श से असीम सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी। पर इस सुख के साथ एक पीड़ा भी महसूस कर रही थी मैं। ऐसे मौसम में मैं अकेली जो थी। कोई नहीं था साथ मेरे जिससे अपनी खुशी साँझा कर सकूँ, अपने दिल की बात कह सकूँ। पति अब रहे नहीं और बच्चे अपनी दुनिया में मशगूल थे। अपनी नौकरी, घर

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एक खूबसूरत रात 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) एक खूबसूरत रात 
पूनम की वो रात थी। चाँद अपनी चाँदनी पुरज़ोर बिखेर रहा था। मदमस्त था आलम। कितना खूबसूरत था समा। मैं अकेले घर में खिड़की के पास बैठकर चाय और मौसम का आनंद ले रही थी। ठण्डी पुरवाई चल रही थी जिसके मेरे गालों पर स्पर्श स्पर्श से असीम सुख की अनुभूति मुझे हो रही थी। 
पर इस सुख के साथ एक पीड़ा भी महसूस कर रही थी मैं। ऐसे मौसम में मैं अकेली जो थी।  कोई नहीं था साथ मेरे जिससे अपनी खुशी साँझा कर सकूँ, अपने दिल की बात कह सकूँ। पति अब रहे नहीं और बच्चे अपनी दुनिया में मशगूल थे। अपनी नौकरी, घर

Dr Upama Singh

           “पंछी की उड़ान”
            कहानी

बात अस्सी के दशक की है जब मेरा जन्म हुआ। मैं जन्म के समय बहुत ही कमजोर पैदा हुई थी। इसलिए कॉलोनी की मिश्रा आंटी ने मेरा नाम चिड़िया रख दिया। मेरे जन्म से 2 साल पहले ट्रेन एक्सीडेंट में मेरे 8 साल भाई की मौत हो गई थी। इसलिए जब मैं कमजोर पैदा हुई तो मेरी मांँ और पापा ने सोचा कि सब सोचेंगे लड़की हुई है इसलिए ये लोग ध्यान नहीं दे रहे हैं, इस सोच से वो लोग बहुत मेरे स्वास्थ्य बहुत ध्यान दिया। धीरे धीरे बड़े होने पर जब कॉलोनी के सारे लोग चिड़िया बुलाते से मुझे बहुत गुस्सा आता क्योंकि सब बच्चे मुझे “चिड़िया का दाना, है तुमको खाना” कह कर चिढ़ाते थे। एक दिन मिश्रा आंटी से मैंने कहा कि आप मेरा कोई और नाम नहीं रख सकती थी, उन्होंने का कि तुम बहुत कमजोर पैदा हुई थी और उस समय मुझे यही नाम सुझा। मैंने तुरंत बोला कि आप मेरा कोई और नाम रख दीजिए, तो वो बोली, आज से सब तुम्हें पंछी बुलाएंगे। अब तो तुम खुश हो ना, वैसे एक दिन तुम पंछी की तरह दूर ऊपर आसमान में कामयाबी की उड़ान भरोगी, ये मेरा तुम्हारे लिए आशीर्वाद है। धीरे धीरे सब मुझे तबसे पंछी नाम से बुलाने लगे। और आज मिश्रा आंटी और अपने सभी बड़ों और गुरुजनों के आशीर्वाद से बीएचयू जैसे सेंट्रल यूनिवर्सिटी से पीएचडी स्क्लोरशिप के साथ कर कामयाब जीवन व्यतीत कर रही हूंँ। #कोराकाग़ज़ 
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#विशेषप्रतियोगिता 
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Tarot Card Reader Neha Mathur

आज चम्बा की हवा ही अलग थी।पूर्णमाशी की रात का चन्द्रमा और उज्जवलित था। पहाड़ी पगडंडियों पर चलती नेहा के पांव मे न जाने आज कौन सी थिरकन थी।चारू चंद्र की चंचल किरणे भी उसके मुख को चांदनी से दिप्त कर रही थी। महादेव के बड़े भक्त श्याम बाबा ने अपने आश्रम मे बुलाया था।अपने प्रिय शिष्य चन्द्रकेतू के हाथ उसे संदेशा भेजा था।नेहा जानती थी यह कोई आम संदेशा नही है बहुत ही महत्वपूर्ण घटना शुरू होने का पहला चरण है।आज उसे अंधेरे मे सन्नाटे का नही आभास था बल्कि झिगुरे की आवाज़ भी उसे गीत लहरी रही थी। अपने मे मग

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कोरा कागज़ 
प्रतिरूप कहानी
तीसरा चरण

कहानी 
" नेहा और ब्रह्मराक्षस द्वंद" 

क्या था जो नेहा को 
महादेव ने सौंपा ?
जिसे पाने के लिए 
ब्रह्मराक्षस ललायित हो उठा।
क्या वह उसे मार डालेगा 
या कोई चन्द्रवंशी उसे बचा लेगा?

कहानी अनुशीर्षक मे पढ़े। आज चम्बा की हवा ही अलग थी।पूर्णमाशी की रात का चन्द्रमा और उज्जवलित था। पहाड़ी पगडंडियों पर चलती नेहा के पांव मे न जाने आज कौन सी थिरकन थी।चारू चंद्र की चंचल किरणे भी उसके मुख को चांदनी से दिप्त कर रही थी।
महादेव के बड़े भक्त श्याम बाबा ने अपने आश्रम मे बुलाया था।अपने प्रिय शिष्य चन्द्रकेतू के हाथ उसे संदेशा भेजा था।नेहा जानती थी यह कोई आम संदेशा नही है बहुत ही महत्वपूर्ण घटना शुरू होने का पहला चरण है।आज उसे अंधेरे मे सन्नाटे का नही आभास था बल्कि झिगुरे की आवाज़ भी उसे गीत लहरी रही थी।
अपने मे मग

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🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 वो रात. . . बारिश का मौसम था शाम हो चुकी थी। निशि अपने ऑफिस में काम कर रही थी। उसे समय का पता ही नहीं चला, जब उसने फोन देखा तो 10 मिस काल थे जो उसकी माँ के थे। उसने बिना देर किए अपनी माँ को तुरंत फ़ोन किया और कहा की वो बस निकलने ही वाली है। उसने सारा सामान बैग में डाला और ऑफिस से निकल गई। जैसे ही निकली एक ठंडी हवा का झोंका जैसे उसके शरीर से पार हो गया। वो हवा वो मौसम सारी थकान दूर कर देने वाला था। वो कानों को अपने बालों से ढकने की

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वो रात. . .




* कहानी अनुशीर्षक में * 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

                                       वो रात. . .

बारिश का मौसम था शाम हो चुकी थी। निशि अपने ऑफिस में काम कर रही थी। उसे समय का पता ही नहीं चला, जब उसने फोन देखा तो 10 मिस काल थे जो उसकी माँ के थे। उसने बिना देर किए अपनी माँ को तुरंत फ़ोन किया और कहा की वो बस निकलने ही वाली है। उसने सारा सामान बैग में डाला और ऑफिस से निकल गई।
 
जैसे ही निकली एक ठंडी हवा का झोंका जैसे उसके शरीर से पार हो गया। वो हवा वो मौसम सारी थकान दूर कर देने वाला था। वो कानों को अपने बालों से ढकने की

DR. SANJU TRIPATHI

संजू पर कहानी राम और श्याम अपनी इकलौती बहन संजू को बेहद प्यार करते थे दोनों भाई उस पर जान छिड़कने थे वह किसी भी चीज की ख्वाहिश करती थी तो दोनों भाई उसे हर हाल में पूरा करने की कोशिश करते थे बीतते समय के साथ संजू ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा वैसे तो संजू अपनी जिंदगी की हर एक बात अपने भाइयों को बताती थी। परंतु जब से दोनों भाईयों की शादी हो गई तब से बहन भाई के रिश्ते में थोड़ी सी दूरी आ गई थी जिसे दोनों चाह कर भी नहीं भर पा रहे थे वे ज्यादातर अपनी-अपनी पत्नियों के कहने में ही रहते थे और उन्हीं के

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संजू पर कहानी

कृपया अनुशीर्षक में पढ़े
👇👇👇👇 संजू पर कहानी

राम और श्याम अपनी इकलौती बहन संजू को बेहद प्यार करते थे दोनों भाई उस पर जान छिड़कने थे वह किसी भी चीज की ख्वाहिश करती थी तो दोनों भाई उसे हर हाल में पूरा करने की कोशिश करते थे बीतते समय के साथ संजू ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा वैसे तो संजू अपनी जिंदगी की हर एक बात अपने भाइयों को बताती थी। परंतु जब से दोनों भाईयों की शादी हो गई तब से बहन भाई के रिश्ते में थोड़ी सी दूरी आ गई थी जिसे दोनों चाह कर भी नहीं भर पा रहे थे वे ज्यादातर अपनी-अपनी पत्नियों के कहने में ही रहते थे और उन्हीं के

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