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Pawan "DOSTI,, Sahu
पहले ऊ से ऊख होती थी फिर ई से ईख हो गई, अब ग से गन्ना हो गया बदलते चेहरे देखते देखते अब पवन भी चौकन्ना हो गया।। ©Pawan DOSTI Sahu पहले ऊ से ऊख होती थी फिर ई से ईख हो गई, अब ग से गन्ना हो गया बदलते चेहरे देखते देखते अब पवन भी चौकन्ना हो गया
पहले ऊ से ऊख होती थी फिर ई से ईख हो गई, अब ग से गन्ना हो गया बदलते चेहरे देखते देखते अब पवन भी चौकन्ना हो गया #शायरी
read moreVijaliwala Achal
✓New post ✓मुसव्विर - painter , artist ✓कुर्बत - closeness ✓तलब - strong desire ✓पैमाना - glass, cup, bowl ✓अश्क - tears, aansu ✓मयखाना - sh
✓New post ✓मुसव्विर - painter , artist ✓कुर्बत - closeness ✓तलब - strong desire ✓पैमाना - glass, cup, bowl ✓अश्क - tears, aansu ✓मयखाना - sh #Quotes #hindikavita #hindishayri #hindishayari #hindipoets #hindi_poem #rekhtafoundation #aafrin_shayar #achal_vijaliwala
read morePrashant Shakun "कातिब"
उलझी पड़ी है ज़िन्दगी उधड़े स्वेटर के ऊन की तरह फरवरी की चाहत थी मिले महीने सभी जून की तरह इज़्तिराब के दश्त में थक गया था भटक भटक जब ईश्वर मिला मुझे बन बेटी, तब किसी सुकून की तरह रखना पड़ता है वास्ता ख़ार से भी हयात में 'प्रशान्त' मिलते ही कहाँ है सभी अयाल प्रसून की तरह बहते हुए पानी पर भी तस्वीर बना देता तुम्हारी चाहत होती ग़र तुम्हारी भी मेरे जुनून की तरह चाहे तो भुला दो मुझे निकाल फेंको हयात से भले बसा हूँ तुम्हारे सपनों में मैं लेकिन कैतून की तरह हो इरादा कभी वस्ल का बिल्कुल मत झिझकना तुम आकर मिलना मुझसे कि है इश्क़ मेरा रतून की तरह इरादा नहीं अब कि कोई और इरादा मैं फिर करूँ छोड़ रहें हैं सब इस्तेमाल कर मुझे दातून की तरह चाहते हो छोड़ना प्रशांत को अगर तो जाओ तुम अभी आओगे जो लौटकर कभी मिलूँगा यहीं सुतून की तरह ©Prashant Shakun "कातिब" शब्दार्थ👇 ◆इज़्तिराब --- बेचैनी ◆ख़ार --- काँटा ◆हयात --- ज़िन्दगी ◆अयाल --- परिवार ◆वस्ल --- मिलन
शब्दार्थ👇 ◆इज़्तिराब --- बेचैनी ◆ख़ार --- काँटा ◆हयात --- ज़िन्दगी ◆अयाल --- परिवार ◆वस्ल --- मिलन
read moreसंगीत कुमार
(बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशियों मे झूला करता था। दोस्त संग खूब साथ बिताया था।। मिल-जुल खुशिया सजाया था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। हर दिन उल्लांहना आया करता था। माँ से हर दिन डाँट सुना करता था ।। स्कूल के दिनों , क्या मस्ती था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। स्कूल से आते समय ईख तोड़ा करता था। किसान से खूब डाँट सुना करता था।। घर रोज उल्लांहना आया करता था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। बच्चपन में खूब शरारत करता था। दोस्तों से खूब झगड़ता था।। पापा से पिटाई खूब खाता था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। स्कूल में पीछे बैठा करता था। ध्यान से पढाई न करता था।। टीचर बुलाते थे, खुब पिटाई करते थे। बच्चपन में क्या खुब खेला करता था।। (संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 (बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशि
(बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशि
read moreसंगीत कुमार
(बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशियों मे झूला था। दोस्त संग खूब साथ बिताया था।। मिल-जुल खुशिया सजाया था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। हर दिन उल्लांहना आया करता था। माँ से हर दिन डाँट सुना करता था ।। स्कूल के दिनों , क्या मस्ती था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। स्कूल से आते समय ईख तोड़ा करता था। किसान से खूब डाँट सुना करता था।। घर रोज उल्लांहना आया करता था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। बच्चपन में खूब शरारत करता था। दोस्तों से खूब झगड़ता था।। पापा से पिटाई खूब खाता था। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। स्कूल में पीछे बैठा करता था। ध्यान से पढाई न करता था।। टीचर बुलाते थे, खुब पिटाई करते थे। बच्चपन में क्या खुब खेला करता था।। (संगीत कुमार /जबलपुर) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 (बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशि
(बच्चपन ) बच्चपन में क्या खूब खेला करता था। बच्चपन कैसे बित गया।। लौट अब कभी न आयेगा। बच्चपन में क्या खूब खेला करता था।। मस्ती से खुशि
read moreShree
हरण या दान 🌆 हरण या दान थोड़ी अटपटी लग सकती है रचना। किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा मेरा मंतव्य नहीं। क्षमा करें। अलग-अलग लोगों से मिल हम अलग होते
🌆 हरण या दान थोड़ी अटपटी लग सकती है रचना। किसी की भावना को ठेस पहुंचे ऐसा मेरा मंतव्य नहीं। क्षमा करें। अलग-अलग लोगों से मिल हम अलग होते #a_journey_of_thoughts #shreekibaat_AJOT
read morei am Voiceofdehati
हां_मैं_गांव_हूं.... (कुछ पुरानी यादें ताजा कर रहा हूं जिसे शायद तुम भूल गए....) #मै_गाँव_हूँ हाँ... वही पुराना गाँव जहाँ कभी पूरे गाँव की दाल एक ही कुएँ के पानी से गलती थी. जब सब्जी के मसाले सील-बट्टे पर पिसे जाते थे. ज
#मै_गाँव_हूँ हाँ... वही पुराना गाँव जहाँ कभी पूरे गाँव की दाल एक ही कुएँ के पानी से गलती थी. जब सब्जी के मसाले सील-बट्टे पर पिसे जाते थे. ज #LifeStory #yqdidi #मेरा_गाँव #yqsnatni #देहाती_बाबा #voice_of_village
read moreNitish Sagar
छठ पूजा Read in caption👆 HAPPY CHHATH POOJA हम बिहारी ना तो दुर्गापूजा में ज्यादा खरीदारी करते हैं ना दिपावली में। हमसब छठ पूजा में खरीदारी करते हैं। छठ पूजा बिहार
HAPPY CHHATH POOJA हम बिहारी ना तो दुर्गापूजा में ज्यादा खरीदारी करते हैं ना दिपावली में। हमसब छठ पूजा में खरीदारी करते हैं। छठ पूजा बिहार
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