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अमित चौबे AnMoL
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Arghyakamal Das
आज सड़क के किनारे एक कुत्ते के बच्चे को देखा; हादसे में मौत हो गई। वह अपने भाइयों और बहनों से घिरा हुआ है। वे शरीर को घसीट रहे हैं और फाड़ कर खा रहे हैं। उनकी कंकलसार माँ थोड़ी दूर खड़ी सब कुछ चुपचाप देख रही है। क्या करेंगी ये असहाय माँ? वे प्रथम श्रेणी के पालतू कुत्ते नहीं हैं जिनके पास 'पेडिग्री', 'ड्रोल' या 'प्योरपेट' हैं। वे दूसरी श्रेणी के पालतू कुत्ते नहीं हैं, जिन्हें 'लेरो', 'ब्रेड' या 'मालिक के बचे हुए' पर खिलाया जाता है। ये गली के कुत्ते हैं। एक मर चुका है, बाकी को जीना होगा; मांस चाहे किसी अपने का ही क्यों न हो। दृश्य करुण और क्रूर लग रहा है? अपने आसपास देखिये, इंसान भी ऐसा हि एक प्राणी है। एक वर्ग के हाथ में अशेष पूंजी; कैसे खर्च करेंगे समझ में नहीं आता।दूसरा वर्ग दिन का रोज़गार करता है, उसी से एक दिन का खाना खाता है। और बाकी? ये आवारा कुत्तों की तरह अस्तित्व के लिए लड़ते हैं। ये सिर्फ आज का दृश्य नही है। पीछे मुड़कर देखने पर यह छवि ही मिलति है। समय बदला है, वैश्वीकरण हुआ है; तस्वीर नहीं बदली है। ©Arghyakamal Das वैश्वीकरण #globalization #Civilization #Change #History #poor #Life #Society
#Pk_writes ✍
Divyanshu Pathak
पहली प्रार्थना ----------------- हे परम् ब्रह्म परमेश्वर। हमारे इरादों को बहुमत का ग़ुलाम मत होने देना। तुम परम्परागत मूल्यों की ताक़त मत खोने देना। भले वैश्वीकरण की इस धूप में यौवन तपता रहे। हम समय के साथ चलें तू हमको मत सोने देना। पहली प्रार्थना ----------------- हे परम् ब्रह्म परमेश्वर। हमारे इरादों को बहुमत का ग़ुलाम मत होने देना। तुम परम्परागत मूल्यों की ताक़त मत खोन
Bhanu Shukla
सोंचता था क्या लिखूं आज अपनी प्रियतमा पर, सारी उपमायें है फीकी सच मे मेरी प्रियतमा पर। झील गर आंखों को बोलूं तो न होगा न्यायसंगत, कितनी मधुरिम झील, हैे न्योछावर प्रियतमा पर।। झील तो है याद उसकी जिसमे मै ना तैर पाता, डूबा अब रहता हूं उसमे हो परेसां झटपटाता। ये तड़प और दर्द भी स्वीकारती ना भूल पाना, है समर्पित दर्द दुख सारे हमारी प्रियतमा पर।। @भानू शुक्ला सोंचता था क्या लिखूं आज अपनी प्रियतमा पर, सारी उपमायें है फीकी सच मे मेरी प्रियतमा पर। झील गर आंखों को बोलूं तो न होगा न्यायसंगत, कितनी मधुर
Bhanu Shukla
बहुत वो दूर है मुझसे ये दिल फिर भी बुलाता है, स्वयं तो है तड़पता और आंखों को सताता है। मेरा जब सामना होता है उनसे बोल न पाता, छुपाकर दर्द सारे गम के खुलकर मुस्कराता है।। @भानू शुक्ला सोंचता था क्या लिखूं आज अपनी प्रियतमा पर, सारी उपमायें है फीकी सच मे मेरी प्रियतमा पर। झील गर आंखों को बोलूं तो न होगा न्यायसंगत, कितनी मधुर
Divyanshu Pathak
रिश्तों की एक नदी है। जो बहती है सनेह लिए। विषमताओं की चट्टानों से, टकराकर भी रुकती नही। किनारों पर अपने फैलाके रेत! आगे बढ़ जाती है। हम बनाते रेत के घरौंदे! किनारे बैठ प्यार में ढेर सारे। फिर तोड़ देते अपने ही हाथों, जो देखे थे कभी ख़्वाब सारे। ढूंढने लगते समतल ज़मीन! उपजाऊ और हरियल नज़ारे। #cinemagraph साथियो आजकल थोड़ा व्यस्त हूँ इसलिए आपकी पोस्ट नही देख पा रहा जल्द ही व्यस्तता खत्म करके सभी पोस्ट पढूँगा। #पाठकपुराण के साथ बने
Tamanna Sharma
आज वैश्वीकरण के इस जमाने में जो संयुक्त परिवार की परंपरा पूर्णतः समाप्त होती जा रही है। आज हमारे पास हर कार्य को करने के लिए समय है परंतु अप
Divyanshu Pathak
प्रकृति और परमात्मा की हर एक कृति स्त्री, पुरुष, पशु, वनस्पति, नाग, सागर, पर्वत, कंकर, नदी, की उपासना करने वाले लोगों में जब हिंसा,घरेलू हिंसा, उत्पीड़न, शोषण, बलात्कार, दहेज़ हत्या, लूट, भ्रष्टाचार जैसी विसंगतियों को देखता हूँ तो बस यही सोच कर रह जाता हूँ कि--- शिक्षा के नाम पर रटाए गए अध्याय विरलों को छोड़ कर अधिकतर ने पढ़ाई लिखाई को पैसा कमाने या पेट भरने तक सीमित रखा। भूँख बढ़ी और भ्रष्टाचार पनपने लगा। सुप्रभातम साथियो....🙏😊🙏🍵🍵 वैश्वीकरण के इस दौर की दौड़ में हम शामिल तो हुए लेकिन अभी तक दौड़ना शुरू नहीं किया है। जहाँ दुनिया अपनी पूरी ताक़त से
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस दुनिया में हमारा अपना केवल और केवल वक़्त है , अगर वो सही तो सभी अपने वरना कोई नहीं...., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की पैसा इंसान की हैसियत बदल सकता हैं,औक़ात-विचार -संस्कार -व्यवहार और आचरण नहीं..., जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की हमेशा जीतने वाला ही नहीं,बल्कि कहाँ पर क्या हारना है,ये जानने वाला भी सिकंदर होता है..., आखिर में एक ही बात समझ आई की सिर पर तिलक लगाने ,माला एवं चोगा धारण करने ,सन्यास लेने मात्र से ही कोई साधु या ऋषि नहीं बन जाता , हकीकत में साधु या ऋषि बनने के लिए अपने समस्त विकारों को मारते हुए ,इन्द्रियों को वश में करते हुए ,सत्य के पथ पर चलते हुए ,रिश्ते नातों दुनियादारी से ऊपर न्यायसंगत रहते हुए पारिवारिक होते हुए भी मनुष्य ईश्वर से तार जोड़ सकता है ,जैसे राजऋषि जनक ...! बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा 🙏सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरुरी ...! 🌹सुप्रभात🙏 स्वरचित एवं स्वमौलिक "🔱विकास शर्मा'शिवाया '"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📇जीवन की पाठशाला 📖🖋️ जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इस दुनिया में हमारा अपना केवल और केवल वक़्त है , अगर वो सही तो सभी अपने वरना कोई नहीं....,