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Sarvesh Kumar Maurya
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 दिखावटी बातो से बाह्य विचारों से नहीं , वरन भीतरी विश्वास बीजों से जीवन दिशा का निर्माण होता है !.i. j ©Motivational indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 दिखावटी बातो से बाह्य विचारों से नहीं , वरन भीतरी विश्वास बीजों से जीवन दिशा का निर्माण होता है !.i. j
Aasifa Khanam
KHAMOSHI ( ek vyatha) ©Aasifa Khanam जब कभी हमें खामोश रहना पड़ता है तो मानो खयालातों को किसी ने इत्तेलाअ दे दी हो और वो अपने सारे सगे संबधियों को ले कर हम पर धावा बोल चुके होते
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 हम अपने भीतरी दृष्टिकोण को बदले तो बाहर जो कुछ भी दिखाई पड़ता है वह सब कुछ बदला -बदला दिखाई देगा !.i. j ©Motivational indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 हम अपने भीतरी दृष्टिकोण को बदले तो बाहर जो कुछ भी दिखाई पड़ता है वह सब कुछ बदला -बदला दिखाई देगा !.i. j
Chandan Kumar
Aakash Hariom
भीतरी बात-गहरी बात- दोस्त वो नहीं होते जो रोने पर आते हैं. दोस्त वो होते हैं जो रोने ही नहीं देते। भीतरी बात-गहरी बात-दोस्त वो नहीं होते जो 9 आते हैं. दोस्त वो होते हैं जो रोने ही नहीं देते।
Vandana
दिन कट जाते हैं समय गुजर जाता है पर सबसे ज्यादा मायने यह रखता है कि हमने क्या सीखा यूं तो जो लम्हा गुजर रहा है वह वापस नहीं आएगा पर उस लम्हे को हमने किस तरह जिया उसका क्या सुधपयोग किया उससे क्या सीखा यह सबसे बड़ी बात है दि
Vandana
***** एक पेड़ ऐसा भी जिसके नीचे से गाड़ियां गुजर जाए बसे गुजर जाए 315ft ऊंचा 34000 पुराना पर आज भी है जिंदा हरा भरा ""ये आंखें प्यासी है जन्मों-ज
Shitanshu Rajat
तुम्हारी तस्वीर के पीछे एक दरकती-सी दीवार है (कविता अनुशीर्षक में) तुम्हारी तस्वीर के पीछे एक दरकती-सी दीवार है कोई उसकी बात ही नहीं करता कोई बात ही नहीं करता उन दरारों की जो पड़ी हुई हैं तुम्हारी हसीं मुस्क
Vaseem Akhthar
जिनकी आमद से घर कर जाती हैं ख़ुशियाँ, वो प्यार की मूरत बने घर आती हैं बेटियाँ। आक़ा का फ़रमान है, पक्का उसका मक़ाम है, अपने साथ जन्नत की बशारत लाती हैं प्यारियाँ। घर में सरगम से मधुर, बजने लगते हैं जो सुर, मीठी इनकी बोलियाँ, छन छनाती हैं चूड़ियाँ। बेटे गर हों चराग़ तो बेटियाँ भि कुछ कम नहीं लिए आँखों में वक़ार वो सजाती हैं पगड़ियाँ। घर-आँगन को छोड़ कर जब चली वो जाती हैं, जैसे चमन को छोड़ कर चली जाती हैं तितलियाँ। ज़ाहरी नज़ाकत भी है, बातिनी ताक़त भी है, ग़ैज़ पे जो आगईं, मिटा के रखती हैं हस्तियाँ। 04 बशारत= ख़ुशख़बरी वक़ार= इज़्ज़त, शान ज़ाहरी= बाहरी बातिनी= भीतरी ग़ैज़= गुस्सा, क्रोध ---------------------- Sabiha siddiqui