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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Tohid Mulla
फुल बन ही रहा था, कली तोड दी मैने । ईश्क पुरा किया, शादी अधुरी चोड दी मैने । मेरा फुल ही था, जो धुल कहलाया । जायज माँ- बाप का नाजायज औलाद कहलाया ।। लड्डपन के उमर मे ईश्क कर बैठा था, ना जाने कैसी भूल कर बैठा था। बाप का गला तो मै घोट चुका, ममता को भी मजबूर किया। उस नादान को खूले आसमान के निचे छोड दिया। ईश्क तो हमने जायज नही किया, और नाजायज़ उसे बोला जारा है। भूल तो हमने कि, जो फुल को खिलने ना दिया। फिर भी न जाने धूल का फुल वह कहलारा।।। -------------Tohid mulla धूल का फूल
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
Marutishankar Udasi
छोड दे मेरा ख्याल बिगाड न सकेगा तू मेरा हाल जिनके चरणो का है उदासी धूल वही महाकाल करते है सबकी रक्षा लेके त्रिशूल ©Marutishankar Udasi जिनके चरणो का है उदासी धूल
Mahima Jain
•| पर्यायवाची कविता |• ' गर्व ' जिसको करना था, ' घमंड ' था उसने कर लिया। ' मान ' सम्मान सब मिट गया, ' अहंकार ' भी चकनाचूर हुआ।। मेरी पहली पर्यायवाची कविता। ❤️ शब्द - अहंकार पर्यायवाची - गर्व, घमंड, मान ____________________________________________ Challange done for -
pramod malakar
मां के चरणों का मैं धूल हूं , पिता के सपनों का मैं सुगंधित फूल हूं । कई रंग भर दिए हैं मुझमें उन्होनें , पंखुरी नोच कर ले गए मिलकर कई रुहों ने । बची सिर्फ आत्मा है मेरे तन में , घृणा बहुत है पर खुशी भरा है मेरे मन में । बिखरे टुकड़े जोड़ रहा हूं चुपचाप बैठ कर , मन में शुद्ध विचार रखा हूं अब तक सैतकर। पत्थर बहुत उछलते देखा है मैंने दिल पर , कई कांटे भी आकर चुभते हैं मेरे शरीर पर । अंधेरा बहुत है दुनिया रूपी इस कमरे में , कठोरता भी बहुत है मेरे हर अंग के चमड़े में । मैं शिव के चरणों का रक्षा कवच त्रिशूल हूं , मैं प्रमोद मां कौशल्या के चरणों का धूल हूं।। बेसुध पड़ा हूं मैं मानवता के जर्जर सोच पर , दिल दहलता नहीं थोड़ा इंसानियत के खरोंच पर। मेरा बचपन प्यार का तैरता सागर रहा है , मेरी सोच मेरी कलम न जाने क्या क्या सहा है। भारत माता के इतिहास का मैं वसूल हूं , मां के चरणों का मैं घूल हूं।। ************************************* प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar #मां के चरणों का मैं धूल हूं
ShadoW
कुछ दर्दों की दवाएं ना होती, अगर दुनिया में माँएं ना होती... ©ShadoW माँ...हर दवा का पर्यायवाची है... #maa #Mother #viral #thought #Feeling #MothersDay
निशब्द