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श्री कन्हैया शास्त्री जी
इस संसार में अनेक कलाएँ हैं, और इन कलाओं में सबसे अच्छी कला है ! दूसरों के हृदय को छू लेना। अच्छी कलाएं
Anamika Jha
है संस्कृति ही पहचान हमारी, अपनी संस्कृति की एक गौरव हमारी लोक कलाएं भी हैं #folk_art#Madhubani_painting#My_art #NojotoPhoto
Samridhi Siwan
ध्यान का अर्थ है भीतर से मुस्कुराना और सेवा का अर्थ है इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना.. इस संसार मे अनेक कलाएं है, लेकिन इन कलाओं मे सबसे
शिवम मौर्या
OMG INDIA WORLD
*ध्यान का अर्थ है* *भीतर से मुस्कुराना* *और* *सेवा का अर्थ है* *इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना* *इस संसार मे अनेक कलाएं है,* *लेकिन इन कलाओं मे सबसे* *अच्छी कला है, दूसरो के ह्रदय को छू लेना..* *🌷 जय श्रीकृष्ण 🌷* ©OMG INDIA WORLD *ध्यान का अर्थ है* *भीतर से मुस्कुराना* *और* *सेवा का अर्थ है* *इस मुस्कुराहट को औरों तक पँहुचाना* *इस संसार मे अनेक कलाएं है,* *लेकिन इ
SUBE SINGH SUJAN
लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे समीप हैं आप इनसे बेहतर आनंद दुनिया में कहीं नहीं ले पाएंगे। लेकिन आप यही नहीं मानते, क्योंकि आपको स्वयं से दूर जाने की आदत है सुख को छोड़कर,सुख की तलाश ही मनुष्य की मूर्खता है। ©SUBE SINGH SUJAN #Lok #लोकतंत्र #संस्कृति #public #yqdidi #yqbaba #Hindi #poem लोक कलाएं,लोक गीत, लोकभाषा, लोकसंगीत ही आपके सबसे समीप हैं आप इनसे बेहतर आनं
Prakhar Tiwari
किसी दिन आप भरे हुए हैं। किसी दिन आप आधे होते हैं। वह ठीक है। किसी दिन तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो और किसी दिन ऐसे व्यवहार करते हो जैसे हम कभी मिले ही नहीं। लेकिन यह ठीक है। चंद्रमा की भी 16 कलाएं होती हैं। एक चौथाई चाँद एक पूर्णिमा के समान ही सुंदर होता है। तुम्हारे हर चरण में हर एक कला मे, मैं तुम्हारे साथ हूं,.. मैं तुमसे प्रेम करता हूँ ©Prakhar Tiwari #Flower किसी दिन आप भरे हुए हैं। किसी दिन आप आधे होते हैं। वह ठीक है। किसी दिन तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो और किसी दिन ऐसे व्यवहार करते हो
अदनासा-
AwadheshPSRathore_7773
*जेल में जन्मा लिखूं या गोकुल का पलना लिखूं...* *देवकी की गोदी लिखूं या यशोदा का ललना लिखूं...* *गोपियों का प्रिय लिखूं या राधा का प्रियतम लिखूं...* *देवकी का नंदन लिखूं या यशोदा का लाल लिखूं...* *वासुदेव का तनय लिखूं या नंद का गोपाल लिखूं...* *नदियों-सा बहता लिखूं या सागर-सा गहरा लिखूं...* *झरनों-सा झरता लिखूं या प्रकृति का चेहरा लिखूं...* *आत्मतत्व चिंतन लिखूं या प्राणेश्वर परमात्मा लिखूं...* *स्थिर चित्त योगी लिखूं या यताति सर्वात्मा लिखूं...* *कृष्ण तुम पर क्या लिखूं! कितना लिखूं....* *रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखूं...* *जन्माष्टमी की बधाई* *जय श्रीकृष्णा* 🙏🙏🙏 ©AwadheshPSRathore7773 प्रभु तो सर्व गुण संपन्न है,सर्व व्यापक है। अजर अमर और प्रकृति के पालनहार है। जन्माष्टमी के पावन पुनीत मौके पर और क्या लिखूं कान्हा तुम तो स
Er.Shivampandit
#प्रिया राईटर है, शांत समंदर है सोलह कलाएं छूपी हुई जिसके अन्दर है सुन्दर प्रभात सी पिघलती बर्फ से गिरता हुआ प्रपात सी