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Devesh Dixit
आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट। देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट। हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान। लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान। संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार। जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार। भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार। हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार। ................................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं
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Rathva Sanjay
White वो आँख बड़ी प्यारी थी जो उसने हमें मारी थी हम तो मुफ्त लुट गये यारो हमें क्या मालूम था उसे बाद रामदेव वाली बीमारी थी !! ©Rathva Sanjay #वो आँख बड़ी प्यारी थी जो उसने हमें मारी थी हम तो मुफ्त लुट गये यारो हमें क्या मालूम था उसे बाद रामदेव वाली बीमारी थी !!
Devesh Dixit
जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना है, आती मुसीबत से भी बचना है। कौन कहाँ पर कब कैसे घेरे, काट कर बातों को वो मेरे। मुझ पर ही हावी हो जाए, काम ऐसा कुछ कर जाए। उलझ जाऊँ मैं तब घेरे में, शतरंज के फैले इस डेरे में। शह-मात का चलन रहा है, देख पानी सा रक्त बहा है। युद्ध छिड़ा धन सम्पत्ति पर, कभी नारी की इज्जत पर। भाई-भाई में द्वेष बड़ा है, देखो कैसे अधर्म अडा़ है। खून के प्यासे दोनों भाई, महाभारत की देते दुहाई। प्रेम भाव सब ख़त्म हुआ है, ये जीवन अब खेल हुआ है। सभ्यता ही सब गई है मारी, बुजुर्गों का जीवन ये भारी। मिले नहीं सम्मान उन्हें अब, संतानें ही विद्रोह करें जब। कलियुग का ये प्रभाव सारा, किसने किसको कैसे मारा। संस्कारों की बलि चढ़ी है, मुश्किल की ही ये घड़ी है। होती है ये अनुभूती ऐसी, शतरंज में दिखती है जैसी। .......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #जीवन_एक_बिसात #nojotohindi #nojotohindipoetry जीवन एक बिसात ये जीवन देखो एक बिसात है, जिसमें शतरंज सी हर बात है। फूँक फूँक कर कदम रखना ह
Pushpvritiya
हिय की मारी सोच अकिंचन, पिय जी झूठ बँधाय गयो मन.....!! @पुष्पवृतियाँ ©Pushpvritiya #चौपाई वैरागी मन तुम बिन प्रीतम, पीर न जाने किन् विध् हो कम...! कस्तूरी मृग बन कर साजन, तोहे ढूँढ़े भटके वन वन......!! विरहिन देह जलन जागे
@Devidkurre
*मर रही है इंसानियत* अगर तुम्हारे घर के सामने मरी पड़ी हो इंसानों कि लाशें और चीखें निकल रही हो हर समय हर वक्त तब तुम क्या करोगे..? अगर तुम्हारे घर पे दागे जा रहे हो अनगिनत विस्फोटक मिसाइलें और तबाह कर दिये जाए तुम्हारे सपनों का घर तब तुम क्या करोगे..? अगर तुम्हारे लोग तितर - बितर हो जाए अपने ही लोगों से दिखाईं न दे एक पिता अपने बच्चे को, खो जाए तुम्हारा अनमोल रत्न, मरी पड़ी हो तुम्हारी बेटी और पत्नी, दब गए हो कहीं तुम्हारे बहन और भाई तब तुम क्या करोगे..? अगर तुम्हें हर समय डर सताये किसी को खोने का ,खुद के मर जाने का, रहने और सोने का , भुख और प्यास का और तुम्हारे लिए रोक दिया जाए आशाओं कि हर एक रास्ते को तब तुम क्या करोगे...? अगर तुम सच में एक इंसान हो तो सोचोंगे उस मरी हुई लाशों के बारे में जो तुम्हारे घर के सामने पड़ी हुई है....! अगर तुममें बची हुई है इंसानियत तो ! पूछोंगे हर एक देश के प्रधानों से ! हर एक मरी हुई लाशों के विषय में कि ! क्यों मारा गया है उनको ! और उनकी गलती क्या थी..? अगर तुम एक समझदार ,सचेत व्यक्ति हो तो तुम लड़ोगे उन सब के खिलाफ जिन्होंने मारी है इंसानियत को ,जिसने रूला दिये हो मानवता को ,जिसने हत्या की हो किड़े - मकौड़े कि तरह इंसानों की ....! अगर तुम नहीं सोच पाए,नहीं देख पाए इन सब को तो तुम एक मृत व्यक्ति हो ! जिसमें कुछ नहीं बचा है यहां तक कि इंसानी चरित्र भी..! *डेविड* #filistin #everyone #EveryoneFollow #humanity #मानवता ©@Devidkurre #Preying *मर रही है इंसानियत* अगर तुम्हारे घर के सामने मरी पड़ी हो इंसानों कि लाशें और चीखें निकल रही हो हर समय हर वक्त तब तुम क्या कर
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Kavi Aditya Shukla
आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी ने 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बलिदान दिया था। चंद्रशेखर आज़ाद - आज भी कोई यह नाम लेता है, तो मूंछ पर ताव देते एक ऐसे पुरुष की छवि सामने आती है जो देशसेवा में अपना सबकुछ बलिदान कर गया। वीर सपूत आज़ाद के बलिदान दिवस पर कोटिशः नमन। मलते रह गए हाथ शिकारी... उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी.. अंतिम गोली ख़ुद को मारी ... जियो तिवारी जनेऊधारी ©Kavi Aditya Shukla आज ही के दिन महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी ने 27 फरवरी 1931 को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में बलिदान दिया था। चंद्रशेखर आ