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Deepshikha Singh
नी:शब्द हो जाती हूँ , जब देखती हूँ, दो घड़ी की रोटी के लिये, इतनी मेहनत और एक हम है, जो नमक ज्यादा है ! कहकर थाली खिसका देते है। ना खेलकूद ना लार प्यार,''""शरारत ना भाग्य मे नैतिक शिक्षा! पेट की आग में जलता बचपन ज़िन्दगी लेती है कठिन परिक्षा । #jaltabachpan#childlabou
Sudeep Keshri✍️✍️
एक बार का वाक्या सुनाता हूं, बचपन की बात बताता हूं, पड़ोस के बच्चे मिट्टी में खेल रहे थे, मैंने भी जिद मचाई, बुआ ने मुझको बात सुनाई, फिर भी मैं जिद पर अड़ा था, अंत में मुझको जाने दिया, खूब खेलकूद हुड़दंग हुआ, मैं घर आया, फिर से बुआ ने बात सुनाया, हाथ पांव मिट्टी से सने हुए थे, लेकिन दादी को यह सब खूब भाया। एक बार का वाक्या #सुनाता हूं, #बचपन की बात बताता हूं, #पड़ोस के बच्चे मिट्टी में खेल रहे थे, मैंने भी #जिद मचाई, #बुआ ने मुझको बात सुनाई, फि
Nitesh Prajapati
"परेशानियाँ" (लघुकथा) अनुशीर्षक मे पढ़े। रचना क्रमांक :-7 9/04/2022 "परेशानियाँ" (लघुकथा) जिंदगी का दूसरा नाम ही परेशानियाँ है, कोई भी आदमी यहांँ सर्वगुण संपन्न नहीं होता,चा
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat भाई का वहीं मल्हार संगीत का ज्ञान वहीं वाला सुर और ताल का बचपन वाला प्यार चोटी से खड़े होकर आवाज़ लगता नाम मै नहीं तू पागल यहीं कहकर चिल्लाता फिर नाम बचपन में मार से बचाव भी करता फिर शिकायतों का पुल भी बांधता अटूट बंधन का विश्वास चंदन का तिलक से सौगंध कहता सुगंधित विश्वास आस्था स्नेह से खेलकूद के प्रसंग में लिपटा मनोरंजन सा सुशोभित रिश्ता अन्नमोल पलों को संजोया ये डोरी में लिपटा रक्षा का अधिकार बचपन सा संगमरमर के पत्थरों सा चमकता स्तम सा अधिकार। भाई बहन का प्यार Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat भाई का वहीं मल्हार संगीत का ज्ञान वहीं वाला सुर और ताल का बचपन वाला प्यार चोटी से खड़े होकर आवाज़ लगता न
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बचपन की बारिश भी क्या बारिश थी दिल लड़कपन और दिल चांचल सी उमंग थी बूंदों में टपकती आंखों में चमक थी एक नया मोड़ लेती उमर की बागडोर थी संभाले ख़ुद को पर बचपन कि चोट थी बेपरवाह खेलते समय की मांग यहीं वो मोड़ थी प्रेम स्नेह से खेलकूद में भाग लेने में सक्षम यहीं होड़ थी बारिश में भीगने को दिल में उम्मीद की कशतियो की दौड़ थी मन में चैन की जिंदगी को खलेने में अब उमर में उमड़ते सैलाब भी चितचोर थी बारिश भी बचपन सी नादान बन उमर को करती बेलिहाज बनाती घंगोर थी बचपन ज़िंदा रहने की उम्मीद जगाती वहीं बेपरवाह बूंद थी हर्षिता की स्याही में बिछी ओलों में एक नई कहानी की सुगंध थी Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat बचपन की बारिश भी क्या बारिश थी दिल लड़कपन और दिल चांचल सी उमंग थी बूंदों में टपकती आंखों में चमक थी एक न
Ravendra
Pramod Kumar
15th August 2020 कैसे मनायें पंद्रह अगस्त कोरोना ने कर दिया त्रस्त सारा जीवन है अस्तव्यस्त इस परिस्तिथि में तुम्ही कहो , कैसे मनायें पंद्रह अगस्त यह आज
MohiniGupta
आज याद आयी यारों की .... चमकते टिमटिमाते सितारों की, बातों की ठहाकों की, पिटने के बाद रोने के उन नज़ारों की ... आज याद आयी यारों की .... आज अकेले में तन्हा थे जब मेले में उन खुशियों की बहारो की ... आज याद आयी यारों की .... हँसते मुस्कुराते ख्वाबों में बचपन की उन किताबों में कौवे की कहानी और colouring गुब्बारों की आज याद आयी यारों की .... Interval और छुट्टी की घंटियों की ... प्रेमलता मैडम की डंडियों की ... शिशुमंदिर के सभी आचार्य जिओं की और उनके दिए हुए विचारों की आज याद आयी यारों की .... (full poem read in caption) for all my besties.... friends ,class mates....coaching mates....#shishu mandir#suvti devi# dhanuka # IOP # cpt # IPcc #ca final friends....