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sarika
शब्दहीन हूँ निरंकार हूँ कोई हलचल नही रात की तरह एकाकी और शांत हूँ ©sarika शब्दहीन हूँ....
Alok Vishwakarma "आर्ष"
नहीं आ रहा मन में कुछ, क्या लिखना है मुझको बताओ । शब्द एक दे दो कोई, और भाव से प्रिय अवगत कराओ ।। #शब्दहीन #कविता #alokstates #vrindasays #eternal_love #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan
Rudra Goswami
शब्दहीन ह्रदय वार्ता के हैं कई साधन यहाँ । पर न सार्थक हैं एक भी बहाना यहाँ । मौन हैं अधर , झुके हैं नयन , कल्पनाशील हैं बस दो ह्रदय यहाँ । कल्पना के गलीयों में मन विचरता रहा , ठहरे दृगों को ना मिला भाषा यहाँ । अंजुरी में अंजुरी को बाँधे हुए , मौन के पुकार को ह्रदय जीता यहाँ । दो ओर दो ह्रदय हैं एकांत मे , नीरवता के अंकुर मे न कलरव यहाँ । अधरों के कमरे मे कैैद हैं जिह्वा-जुगल , शब्दो के लिए कोई शब्द ही नहीं यहाँ । ------RAG The ghazal of RAG #शब्दहीन ह्रदय #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqghazal #yqhindi #शब्द
Alok Vishwakarma "आर्ष"
न कहती बोलकर वह लेखनी में प्रीत भरती है, विरह सुख घोलकर वह आर्ष के हृद में सिमरती है । समाहित हो शबद के सार में वृन्दा विचरती है, प्रकीर्णित हो तमस के हार में रश्मि निखरती है ।। इस शब्दहीनता में भी अनकही बातें तो सदैव चलती रहती हैं.. मेरी.. तुम्हारी.. हमारी.. Much Love.. 😄💝💝😄 #yqdidi #life #speechlesslove #yqpoetry
Alok Vishwakarma "आर्ष"
वाद्याविच्छिन्न बजता सुदुर, भृत प्रेयसी के लव प्रचुर । बसती हृदय वृन्दा मधुर, झूमे पहन झंकृत नुपुर ।। वसुधा विलिन कर संगिनी, मनमीत दिव पुर पग धरे । सलिला सिमर अर्द्धांगिनी, बह आर्ष संग अमृत झरे ।। "वृन्दा का सौंदर्य" शब्दहीन भावों से ओतप्रोत, एक सारगर्भित व अलभ्य कविता.. Much Love.. 💝💕🌹💕💝 #dedicated #alokstates #vrindasays #lovequote
RiChA SiNgH SoMvAnShI
जब से गये तुम छोड़ कर, मधुभास भी आता नहीं, अश्रुपूरित दल - दीठ से, पतझड़ विरह जाता नहीं, लिपटा है दर्पण धूल से, अौर अधखुली हैं वेणियाँ, है मौन धारे चूड़ियाँ और लगतीं हैं ये नूपुर बेड़ियाँ, खिलती नहीं कलियाँ अधर, श्रृंगार भी भाता नहीं, अश्रुपूरित दल - दीठ से, पतझड़ विरह जाता नहीं। मुखरित नीरवता हर दिशा, नि:शब्द लगता व्योम है, अतिरेक झंझावत बनकर हृदय में लिपटा क्षोभ है, विस्मृत हुआ संगीत, कोकिल कंठ भी गाता नहीं, अश्रुपूरित दल - दीठ से, पतझड़ विरह जाता नहीं। पवमान के स्पर्श से, सुगबुगा उठी फ़िर चेतना, रक्तकणिकाओं में केवल, बह रही है अति वेदना, मृतपाय जीवन, श्वास का भी भार सह पाता नहीं, अश्रुपूरित दल - दीठ से, पतझड़ विरह जाता नहीं..।। "मधुभास = बसंत ऋतु" "दल-दीठ = दोनों नेत्र" "वेणियाँ = चोटी (braid)" "नूपुर = घुँघरू(anklet) "अधर = ओंठ" "नीरवता = ख़ामोश विरक्ति शब्दहीनता
Shubhi Mahajan
"मांँ एक ऐसा शब्द है जिसके लिए मैं शब्दहीन हूँ।" Translation - "Mother is a word for which I am wordless." माँ के लिए मैं ज्यादा कुछ भी नहीं लिख पाती हूँ। माँ के प्यार और देखभाल को शब्दों
Alok Vishwakarma "आर्ष"
पंखुड़ी गुलाब की या आँखों के आब की, कोयल सी बोली या कविता के ख़्वाब की । शब्दहीन व्याख्या है हम-तुम के रास की, उपमाएँ फ़ीकी हैं वृन्दा बस आर्ष की ।। पंखुड़ी गुलाब की या आँखों के आब की, कोयल सी बोली या कविता के ख़्वाब की । शब्दहीन व्याख्या है हम-तुम के रास की, उपमाएँ फ़ीकी हैं वृन्दा बस आर्ष
Alok Vishwakarma "आर्ष"
कल तक जो बेजान था, देखो न! धड़क रहा दिल है ।। Finally!! It flowed.. शब्दहीन भावनाओं से पूर्ण.. Teary Smiles.. Much Love.. 💝💕✨😊✨💕💝 मिलना बहुत आसान था, मगर! मिलना बहुत ही मुश्किल है । कल