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Rohan Roy
White बेशर्मी तो हमारे रोम रोम में होती है। शर्म का पर्दा तो केवल, नजरिये पर डाला जाता है। ताकि दूसरों की नजरों में, हमारा स्वाभिमान बना रहे। ©Rohan Roy शर्म का पर्दा तो केवल, नजरिये पर डाला जाता है | #RohanRoy | #dailymotivation | #jai_shree_ram | #inspirdaily | #rohanroymotivation |
gaTTubaba
Beautiful Moon Night जब पहुंच रहे थे तरक्की की लिफ्ट से ऊपर अगली मंजिल की ओर तब शीशे में अपने आप को खुद की नजर में गिरते हुए देखा ... जिनको गलत समझ रहे थे उनमें सही को देखा क्योंकि कागज के सिवा हमने और क्या देखा ? जिसने ना रूप देखा ना धन देखा ना देखी असलियत और ना मन देखा उन आंखों में देखकर भी हमने इश्क क्यों नहीं देखा ? जो आ रहा था नजर गलत शायद वो भी सही हो हमने गलत से पर्दा हटाकर कब देखा ? तुम क्यों कहती हो ? वो हमारे पास नहीं बताओ तुमने हमारा दिल खोलकर कब देखा ? ©gaTTubaba #beautifulmoon जब पहुंच रहे थे तरक्की की लिफ्ट से ऊपर अगली मंजिल की ओर तब शीशे में अपने आप को खुद की नजर में गिरते हुए देखा ... जिनको गल
Kalpana Uriya
लोग दूसरों को झूट बोलकर आपने आप को ठोगता हैं। ©Kalpana Uriya jhut ki पीछे का पर्दा।
꧁ARSHU꧂ارشد
हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो , सच तो ये है आप सा भी बेख़बर कोई न हो ... वो क़यामत की घड़ी है तालिब-ए-दीदार पर , जब उठे पर्दा तो पर्दे के उधर कोई न हो ... इश्क़ में बे-ताबियाँ होती हैं लेकिन ऐ अरशद , जिस क़दर बेचैन तुम हो उस क़दर कोई न हो ... ©꧁ARSHU꧂ارشد हाल-ए-मर्ग-ए-बे-कसी सुन कर असर कोई न हो , सच तो ये है आप सा भी बेख़बर कोई न हो ... वो क़यामत की घड़ी है तालिब-ए-दीदार पर , जब उठे पर्दा तो
Poet Kuldeep Singh Ruhela
Blue Moon कोई रुखसार से पर्दे को हटा दो मेरे चांदनी को आज जमी पर ला दो मुमकिन हो तो अमावस की रात में मेरे सनम का दीदार करवा दो कही छुप कर बैठा है दूर गगन में बदलो में घिरा हुआ कोई मेरी बात मेरे चांद तक पहुंचा दो आज रुखसार से आसमान का पर्दा हटा दो ! कुलदीप सिंह रुहेला ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #bluemoon कोई रुखसार से पर्दे को हटा दो मेरे चांदनी को आज जमी पर ला दो मुमकिन हो तो अमावस की रात में मेरे सनम का दीदार करवा दो कही छुप क
Vikrant Rajliwal
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- बात दिल की बता दूँ अगर तुम कहो । माँग तेरी सजा दूँ अगर तुम कहो ।।१ चाँद जो छुप रहा जुल्फ़ की आड़ में । चाँद फिर से बुला दूँ अगर तुम कहो ।।२ किस तरह आज बहका रहे लोग है । आज पर्दा उठा दूँ अगर तुम कहो ।।३ चाल जो चल गये दोस्त तेरे यहाँ । राज़ उनके बता दूँ अगर तुम कहो ।।४ जो तुम्हारा यहाँ है सुनो बेटियों । शख़्श से उस मिला दूँ अगर तुम कहो ।।५ इक पिता ही तुम्हारा भला सोचता । ये गुरु से लिखा दूँ अगर तुम कहो ।।६ भूल आगे नहीं अब करोगे कभी । शर्त पे इस छुपा दूँ अगर तुम कहो ।।७ माफ कितनी खताएं अभी तक किया । एक हो तो गिना दूँ अगर तुम कहो ।। ८ जो किया है खता आज तुमने प्रखर । बात वो भी दबा दूँ अगर तुम कहो ।।९ ०३/०३/ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- बात दिल की बता दूँ अगर तुम कहो । माँग तेरी सजा दूँ अगर तुम कहो ।।१ चाँद जो छुप रहा जुल्फ़ की आड़ में । चाँद फिर से बुला दूँ अगर तुम कह
Shivkumar
आंखें बंद करने से सूर्य का प्रकाश खत्म नहीं हो जाता, उसी प्रकार सत्य पर अंधकार का पर्दा डालने से सत्य कभी छुपाया नहीं जा सकता ©Shivkumar #sunlight #nojotohindi #Nojoto #Sun #आंखें बंद करने से #सूर्य का #प्रकाश खत्म नहीं हो जाता, उसी प्रकार #सत्य पर #अंधकार का पर्दा
Rameshkumar Mehra Mehra
पर्दा आंखो से...... उठाने में बहुत देर लगी....! हमे दुनियां को समझने में बहुत देर लगी.....!! नज़र आता है, जो जैसा बैसा नही होता... ये बात खुद को समझने में बहुत देर लगी... ©Rameshkumar Mehra Mehra # पर्दा आंखो से उठाने में बहुत देर लगी, हम दुनियां को समझने में बहुत देर लगी, नज़र आता है, जो जैसा बो बैसा नही होता, ये बात खुद को समझने में
Poet Kuldeep Singh Ruhela
#कोई रुखसार से पर्दे को हटा देना मेरे चांद को आज जमी पर ला देना मुमकिन हो तो तुम अमावस की रात बन कर आ जाना मेरे मेहबूब के दर्शन तुम करवा देना कही छुप कर बैठा है दूर गगन में बदलो में घिरा हुआ हैं बावरा बन कर कोई मेरी बात को मेरे चांद तक पहुंचा देना आज रुखसार से आसमान का पर्दा हटा देना मेरे चांद को आज जमी पर ला देना ! कुलदीप सिंह रुहेला ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #कोई रुखसार से पर्दे को हटा देना मेरे चांद को आज जमी पर ला देना मुमकिन हो तो तुम अमावस की रात बन कर आ जाना मेरे मेहबूब के दर्शन तुम करवा