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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
उफ्फ मुआश्रे में ब्याह दी गई कमसिन बेटियां बड़ी उम्र वालों के साथ,फिर ताउम्र जीना पडा उन्हें जहनी अज़ियत के साथ//१ बेटियां नहीं ब्याही गई कभी अपने मेहबूब के साथ,अक्सर ब्याह दी गई जर,जमी,महल,चौबारे की वसीयत के साथ//२ जनाब कितना ही कर दो बेटी को पराई,पर हुई नही, ये तो आई है घर में खुदा की बेशुमार नियामत के साथ//३ जो वालिदेन देते है बेटियों को भी परवाज परिंद ए मानिंद,तभी तो करती है नाम उनका रोशन खलकत में बडी अजमत के साथ//४ नसीबदार है,वो लोग जिन्हें बेटियां अता हुई,तो क्यूं न चमके उनका नसीबा बेटी की कद्र पर रब की रहमत के साथ// "शमा"लाजमी तो नहीं है के रोशनी चरागों से ही हो,लोगो दर हकीकत बेटियां भी तो करती है चरागा बाप के घर में बड़ी मसर्रत के साथ//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Broken उफ्फ मुआश्रे में ब्याह दी गई कमसिन बेटियां बड़ी उम्र वालों के साथ,फिर ताउम्र जीना पडा उन्हें जहनी अज़ियत के साथ//१ बेटियां नहीं ब्या
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- बना दो बेजुबां मुझको बहुत तकरार घर में है । कहीं पागल न हो जाऊँ यही डर आज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको .... सितम किसने किया मुझपर गिनाऊँ क्या यहाँ पर मैं । नसीबा ही सुनो रूठा बताऊँ क्या यहाँ पर मैं ।। जिसे मिलता गया मौका वही छलता गया मुझको । बचा जो आज मुझमें है वही डर आज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको .... गरीबी में जिए है हम अमीरी ख्वाब क्यूँ रक्खूँ । नमक से पेट हूँ भरता मलाई क्यूँ यहाँ चक्खूँ ।। तुम्हारे ख्वाब़ है लाखों मगर मुझसे न हो पूरे । नहीं तुम माँगते मुझसे मगर वह आज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको ... फटी पतलून में टहलूँ न आए लाज अब मुझको । रहो बनकर परी तुम सब यही तो ख्वाब़ थे मुझको ।। बुरा फिर क्या किया हमने खफ़ा जो आज तुम सब हो । बताओ आज सब खुलकर छुपा क्या राज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको .... बना दो बेजुबां मुझको बहुत तकरार घर में है । कहीं पागल न हो जाऊँ यही डर आज दिल में है ।। २०/१०/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बना दो बेजुबां मुझको बहुत तकरार घर में है । कहीं पागल न हो जाऊँ यही डर आज दिल में है ।। बना दो बेजुबां मुझको .... सितम किसने किया मुझपर
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
ARUN KUMAR PRAJAPATI
"अभी हम याद हैं तुम को।" ( कैप्शन ) हुजूम-ए-रहगुज़र में हम कभी हमराह होते थे, तुम्ही रहबर बने जो हम कभी गुमराह होते थे, कभी तुम सहम जाते थे जो चमकी बिजलियाँ घर पे, छुपा लेता था
सानू
हमारा नसीबा सँवारो कन्हैया, अधर में फँसी है यहाँ मेरी नैया, बुनी है तुम्हारे लिए ये पहन लो, तो हो जायेगी फिर मुक़म्मल सवैया, नहीं कोई मंज़िल चले जा रहा हूँ, तुम्हीं मेरी कश्ती तुम्हीं हो खेवैया, सहारा दिया जब भी गिरने लगा मैं, हो तुम घोंसला और मैं हूँ चिरैया, कहाँ हो ओ सांवल ये 'सानू' पुकारे, युगों से पड़ी है ये सूनी मढ़ैया। हमारा नसीबा... #yqdidi #yqjanmashtami #yqhindi #kavita #shayari #yqbaba
Arun Prajapati
"अभी हम याद हैं तुम को।" ( कैप्शन ) हुजूम-ए-रहगुज़र में हम कभी हमराह होते थे, तुम्ही रहबर बने जो हम कभी गुमराह होते थे, कभी तुम सहम जाते थे जो चमकी बिजलियाँ घर पे, छुपा लेता था
Prof. RUPENDRA SAHU "रूप"
चार वक्त भी ना कमा पाए खुशी के अबतक ए खुदा मंजिल से भी बहुत दूर हूँ हूँ अपनो से कितना जुदा और कितना वनवास लिखा है मेरे मौला मेरे हाथों मेरे नसीबा में चंद सिक्के भी इकट्ठे ना कर पाया क्या कमाया इस उम्र अपने जेबा में चार वक्त भी ना कमा पाए खुशी के अबतक ए खुदा मंजिल से भी बहुत दूर हूँ हूँ अपनो से कितना जुदा और कितना वनवास लिखा है मेरे मौला मेरे हाथों मे
Divyanshi Bairwa....
इश्क़ ये मानो बहती नदियां, बहे जहां... वहां बहने दे। बीत जाए अरसे फिर चाहे इंतजार में, वो खुश है जहां उसे रहने दे। वक्त का सितम तो होगा ही तुझपे, दिल जो तूने लगाया है। कर दे खामोश अब लबों को अपने, आंसुओ को दर्द की ये दास्तान कहने दे। 🖤🖤... कैसी राह पे... नसीबा खड़ा.... चुप चाप सा तक मुंह मेरा... आधे बादे सा जीना हुआ... रूस गई हां सारी खुशियां...🎼🖤🖤