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Nisheeth pandey
मुर्गे की खुली नींद सूरज को पुकारा, गुंजा 'कुकड़ू कूँ आये सूरज दौरे दौरे.... धूप खिले बिखरे रंग-रंगीले, सरसो के फूल जैसे चमकीले पीले.... आसमान में जहां तहां चिड़िया चहके, हवा जब ली अंगड़ाई झुमके खनके .... कौवे की काँव काँव कहाँ छुपी थी , कौवा ने कोयल सुबह सुबह छेड़ी थी..... हो गया कौवा कैसे दिवाना, मुर्गे ने ताज़ा खबर भरा फ़साना..... यहाँ सभी के सपने जागे थे अपने अपने, सबके अपने सुन्दर सपने लग रहे सुहाने.... पत्तो पत्तों में भर गयी झूमती ताजगी, पंखों ने भड़ी उमंगे उडी शरारती पतंगे..... सूरज चमका चमका किया जग उजाला , बने सभी खुशबुएँ भरी माला.... मुर्गे की खुली नींद सूरज को पुकारा .... 🤔#निशीथ🤔 ©Nisheeth pandey मुर्गे की खुली नींद सूरज को पुकारा, गुंजा 'कुकड़ू कूँ आये सूरज दौरे दौरे.... धूप खिले बिखरे रंग-रंगीले, सरसो के फूल जैसे चमकीले पीले.... आ
Pawan Kumar
Bambhu Kumar (बम्भू)
8. "कह दो इन कुत्तों के पिल्लों से कि इतराएँ नहीं हुक्म जब तक मैं न दूँ कोई कहीं जाए नहीं" यह दरोगा जी थे मुँह से शब्द झरते फूल से आ रहे थे ठेलते लोगों को अपने रूल से फिर दहाड़े, "इनको डंडों से सुधारा जाएगा ठाकुरों से जो भी टकराया वो मारा जाएगा इक सिपाही ने कहा, "साइकिल किधर को मोड़ दें होश में आया नहीं मंगल कहो तो छोड़ दें" बोला थानेदार, "मुर्गे की तरह मत बांग दो होश में आया नहीं तो लाठियों पर टांग लो ये समझते हैं कि ठाकुर से उलझना खेल है ऐसे पाजी का ठिकाना घर नहीं है, जेल है"... "कह दो इन #कुत्तों के #पिल्लों से कि इतराएँ नहीं हुक्म जब तक मैं न दूँ कोई कहीं जाए नहीं" यह #दरोगा जी थे मुँह से #शब्द झरते फूल से आ रहे
Saya
हुई सुबह , चली रिक्शा!! मुर्गे की बांग, तिरंगे की शान!! निकला सुरज, उठा समाज!! चहकती चिड़ीया, बहता दरिया!! खुला आसमा, बढ़ता तापमान!! चल
Ajay Amitabh Suman
................ ©Ajay Amitabh Suman #देहात,#देहात_और_शहर,#नगरीकरण,#संस्मरण, #Rural,#Village, #Urbanization, #Hindi_kavita,#City_and_Village इस सृष्टि में कोई भी वस्तु बिना की
Shivam Dixit " DADA "
मेरी नयी कविता - " जीवन पथ की अब राह आसान न होगी " मैं सोच रहा हूँ जीवन पथ की अब राह आसान न होगी ; लक्ष्य अनेक दिखेंगे हमको पर तीर कमान न हो