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Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
कभी जिस कागज़ी इतर पर फ़िदा होकर उसे महसूंस कर हम दूसरी दुनियां में जीया करतें थें, आज इस पी.डी.एफ. के दौर में ये आंखें उन्हीं "क़िताबी" ख़ुशबुओं को तलाशतीं हैं हृदय...!!! -रेखा "मंजुलाहृदय" ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #क़िताब #ज़िंदगी #book #life #pdf #exams #मंजुलाहृदय #Rekhasharma #NojotoWriter #Oct 6th, 2020
#Seema.k*_-sailent_*write@
जब भी किनारे पर मैं पहुंचूं/ ना जाने क्यूं मन घबराए! बीते पल के छलावे क्यों मुझे छलते जाएं- आशा थी जो मन को मेरे/ मन के भीतर आग लगाएं!! ©seema kapoor जीवन चक्र जीवन चक्र #Life
Tara Chandra
दूर क्षितिज पर प्रेम पिपासु, वर्षण को आतुर बादल, जल बाणों की बौछारों से, धरा आह्लाद करें बादल।। आन्दोलित हो अपनी सारी, सम्पत्ति वार दिये बादल, यही समर्पित प्रेम निशानी, खुद को मिटा चले बादल।। धरती भी ऋण सिर ना धारे, फिर पोषित करती बादल, देख आसमां पर फिर से, छा कर उभरे हैं बादल।। ✍️... ©Tara Chandra Kandpal #चक्र
Rahul Sontakke
जीना मरणा खाना पिना सुख दुःख ये चक्र हमेशा चलता रहेगा ©Rahul Sontakke चक्र
Anjana Gupta Astrologer
*माटी का संसार है,* *खेल सके तो खेल,* *बाज़ी रब के हाथ है,* *पूरा विज्ञान फेल..!!* चक्र
Anamika
कहीं भूल न जाऊं, बातों का अपनापन एक pdf बनाकर रख ही लूं क्या? #pdf #अपनापन #tulikagarg
popular10 updates
PDF Submission SItes http://popular10updates.com/25-pdf-submission-sites-2019/
Kishore Nallanchakravartula
एक घटना ये तब की बात है जब मैं दिल्ली में कार्यरत था। अपनी घरवाली और बच्चे को ससुराल से लेकर आ रहा था। हम दिल्ली सेंट्रल स्टेशन पहुंचने वाले थे। मेरी पत्नी फ्रेश होने बाथरूम गई थी और अचानक मेरा छोटा सा हीरो मेरे करीब आया और उसने पूछा "केला खाओगे"। मैने कहा "अभी नहीं बेटा घर जाने के बाद खाऊंगा"! वो चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगा । थोड़ी देर के बाद वो फिर मेरे करीब आया और बोला "केला खाओगे"। मैने कहा नहीं बेटा अभी नहीं घर जाके खाऊंगा। इस तरह तीन चार बार उसने यही सवाल किया और मैंने भी वही जवाब दिया। अंत में उसने दो उंगलियां अपने मुंह की तरफ दिखाई और बोला "केला खाओगे"। और मेरी समझ में आया कि केला उसको खाना था। भूख लगी थी और उसे केला खाओगे ही बोलना आता था। ©Kishore Nallanchakravartula ,#घटना
Utkarsh Jain
मैरी मजबूरियों ने मेरे पर कतर दिए, वरना में भी था परिंदा ऊंची उड़ान का। हार का डर मन से हटा कर, देखें कतरे हुए परों से एक ऊंची उड़ान भर कर। आज फिर कतरे हुए परों से हमने उड़ना सीख लिया, ज़िन्दगी को फिर से जीना सीख लिया। गिर के उड़ना, उड कर गिरना, इसे ही तो कहते है, जीवन चक्र में आगे बढ़ते रहना। #जीवन चक्र