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Ek villain
भारतीय संस्कृत मूल रूप से आदरणीय संस्कृत है अपने वैराग्य इसकी आत्मा शंकराचार्य ने अपने ग्रंथ विवेक चुंडी मणि में मोक्ष प्राप्ति के साधनों में वैराग्य को प्रथम स्थान देकर इसकी महत्ता को रेखांकित किया है वैराग्य जीवन में सुख शांति पाने तथा दुख निवृत्ति का साधन भी है अन्य मानवीय भाव की तरह वैराग्य भी सबके अंतर मीय में सुरक्षित अवस्था में रहता है मन की प्रवृत्तियों के अनुसार जागृत होता है पुनर्जन्म के संस्कार भी इस के जनक है वैराग्य का अर्थ सन सारिक पद्धति में आसक्त का भाव है यद्यपि सच्चा वैराग्य कभी मनुष्य को अपने कर्तव्य पथ से विरत नहीं करता आपूर्ति निस्वार्थ भाव से प्राणी मात्र की सेवा के लिए प्रस्तुत करता है त्याग का मंगल भाव वैराग्य की पवित्र भूमि पर ही अंकुरित और पल्लवित होता है अतः वैराग्य हमारी त्याग मूलक संस्कृति का आधार है और मानवता का पोषक भी जन्मजात भी है अर्जित भी है कारण जितने भी होता है पूर्ति भी होता है महा ऋषि शुरू कर दे में जन्मजात विरागे के उदाहरण है जन्म से ही पूर्व उनमें वैराग्य भाव इतना प्रबल था कि इसमें इस माया जनहित संसार में आना ही नहीं चाहते थे पिता हुआ व्यास द्वारा एक क्षण भी ना रोकने का वचन देने पर ही गर्व से बाहर आए शंकराचार्य को भी जन्म से वैराग्य था परंतु मां का प्यार उस में बाधक था तभी तो स्नान करते समय मायावी ग्रह ने उन्हें तब छोड़ा जब हमारे घर से जाने का वचन दे दिया ©Ek villain #वैराग्य का मांगलिक भाव #selflove
अनिता कुमावत
राग -विराग -अनुराग सब सम राग हो जाते हैं जब मन के किसी कोने में वैराग्य जन्म लेने लगता है परन्तु क्षणिक होता है ये वैराग्य भी ठीक उसी पंछी की भांति जो उड़ता है सुबह को आब-ओ-दाने की तलाश में और लौट आता है शाम को फिर अपने नीड़ में मन में जन्मा ये वैराग्य भी क्षणिक ही होता है लौटा जाता है मन फिर अपनी दुनिया में और रम जाते हैं हम फिर सांसारिक लोक में .... जब कभी मन में ख्याल आता है वैराग्य का 😊🙏🌸 बस यूँ ही #वैराग्य #आध्यात्मिकता की ओर कदम
gopal.
🔱🕉 आदेश आदेश अघोर आदेश 🕉🔱 💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀💀 काहे को डरे, सिर पर सिरजनहार हस्ती चढ़ी डरिये नहीं, कुकर भुसै हजार। अर्थ : गोपाल नाथ भला क्यों डरे
Swarima Tewari
अपनी-अपनी मोहब्ब़त के हम मुरीद ही भले तुम विवेकानंद, तो हम भी मीरा हो चले मुरीद ~ शिष्य, चेला, अनुगामी, fan "तुमने मेरे इश्क़ की मोहमाया छोड़कर वैराग्य का हाथ थामा, तो मैंने भी सब छोड़कर तुम्हारी मोहब्बत में खुद को
Divyanshu Pathak
मित्रता के लिए प्रेम चाहिए, शत्रुता का आधार अहंकार है। क्रोध है। हर समाज में प्रेम के मार्ग में भी अनेक निषेध है। जो व्यभिचार का मार्ग प्रशस्त करते हैं। समाज के निषेध प्रकृति के आगे घुटने टेक देते हैं। क्रोध- अहंकार तो आसुरी भाव ही है। जिस समाज में आसुरी भाव के साथ-साथ दैविक भाव पर भी निषेध हो, वहां समृद्धि खत्म ही समझो। वहां सारे व्यक्तित्व कुण्ठित अथवा आपराघिक ही नजर आएंगे। अधूरी कामना व्यक्ति को अघिक भटकाती है। उसे भूल पाना व्यक्ति के लिए कठिन होता है। भगवान चाहे याद आए या न आए, शत्रु का चेहरा सदा आंखों में रहता है। तब कैसे व्यक्ति कामना पार होकर वैराग्य में प्रवेश कर सकता है। वह तो उम्र भर निषेध तोड़कर कामना पूर्ति के लिए संघर्ष ही करेगा/करेगी। आओ सोने से पहले कुछ अच्छा विचार करें......... : ☺"वैराग्य"☺ : वैराग्य का मार्ग संघर्ष का नहीं हो सकता। शत्रुता का नहीं हो सकता। वह तो प
Poonam Suyal
मैं दूँगा तुम्हारा साथ (अनुशीर्षक में पढ़ें) मैं दूँगा तुम्हारा साथ प्रात सद्य: स्नात कंधों पर बिखरे केश आँसुओं में जो घुला वैराग्य का संदेश चूमती रह-रह बदन को अर्चना की धूप यह सरल
Poonam Suyal
मैं दूँगा तुम्हारा साथ प्रात सद्य: स्नात कंधों पर बिखरे केश आँसुओं में जो घुला वैराग्य का संदेश चूमती रह-रह बदन को अर्चना की धूप यह सरल निष्काम पूजा-सा तुम्हारा रूप ये अलौकिक निश्चल सी तुम्हारी मुस्कान दिल को हुआ असीम सुख का एहसास वो आँखें तुम्हारी लगती थीं बहुत कुछ बोलतीं चाहता हूँ जानना क्या हो तुम सोचती दिल में क्या तुम छिपाए हुए हो क्या है वो तूफान जो अंदर दबाए हुए हो तुम्हारी हर इक छोटी बात मुझको लगती है बड़ी प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी सर्वस्व अपना कर दूँगा तुम पर मैं न्योछावर बन जाऊँगा मैं तुम्हारी काली रात की सहर नहीं रहने दूँगा कभी तुम्हें उदास तुम्हारी पीड़ा का है मुझे पूरा आभास इस जीवन की कठिन राह में मैं दूँगा तुम्हारा साथ थाम के रखूँगा मैं सदा तुम्हारा हाथ मेरी हर धड़कन तुम्हारे इंतज़ार में है खड़ी प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी ©Poonam Suyal मैं दूँगा तुम्हारा साथ प्रात सद्य: स्नात कंधों पर बिखरे केश आँसुओं में जो घुला वैराग्य का संदेश चूमती रह-रह बदन को अर्चना की धूप यह सरल
Er.Shivampandit
एक छोटी सी कोशिश है काशी के महाश्मशान पे कुछ लिखने की जहाँ शव और शिव एक हो जाते है, जहाँ समय भी रुक जाता है, जहाँ वैराग्य का वास है 🙏 एक छोटी सी कोशिश है काशी के महाश्मशान पे कुछ लिखने की जहाँ शव और शिव एक हो जाते है, जहाँ समय भी रुक जाता है, जहाँ वैराग्य का वास है । 🙏
CM Chaitanyaa
"आत्मा का शृंगार"— % & शृंगार मात्र सज्जा ही नहीं है, एक रीति है। उसका एक उद्देश्य है, एक अर्थ है, एक नीति है। देह का शृंगार होता है संपदा से, और आत्मा का विपदा स
Parasram Arora
कोल्हू का बैल अपनी नियति पर कुपित नहीं बल्कि आभारी हैँ क्योंकि वो गांधारी की तरह बंद आँखों से वृताकार कोल्हू क़े क्षेत्रफल मे भीतरी आँख से उसे देख चुका हैँ जो उसे चलाये जा रहा हैँ कदाचित शून्यता क़े इस विस्तीर्ण पथ पर उसे वैराग्य की अनुभूति हो रही हैँ जो उसके लिए उस पार का मार्ग प्रशस्त कर रही हैँ वैराग्य........