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Anamika

#अनिच्छा #दाग़ #स्त्रीत्व #कहानी_एक_किरदार_की #सत्यता #पुराना_अखबार रद्दी के भाव बिक गये सबूत, और दाल सिर्फ किलो भर आई..

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घंटों रगड़ती रही,
अनिच्छा से जो लगा था दाग़.. #अनिच्छा #दाग़ #स्त्रीत्व
#कहानी_एक_किरदार_की 
#सत्यता #पुराना_अखबार
रद्दी के भाव बिक गये सबूत,
और दाल सिर्फ किलो भर आई..

Bharat Bhushan pathak

#FallAutumn जीवन पौधा सिंचित होता। आत्म तत्व जब इसमें होता।। आत्म तत्व जब नभ में खोता। सुनो ये काया निरन्तर सोता।। आत्म तत्व है तब तक इच्छा #Poetry

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Ruchi dixit

मुझे प्रेम करना नही आता , मुझे पूर्ण नफरत भी नही आती , मै पूर्ण ईर्ष्या भी नही कर सकती , मुझमे पूर्ण इच्छा नही है मुझमे पूर्ण अनिच्छा भी नही #ज़िन्दगी #अपूर्ण

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मुझे प्रेम करना नही आता ,
मुझे पूर्ण नफरत भी नही आती ,
मै पूर्ण ईर्ष्या भी नही कर सकती ,
मुझमे पूर्ण इच्छा नही है
मुझमे पूर्ण अनिच्छा भी नही है |
मै पूरी जीवित नही हूँ ,
मै पूरी मरी भी नही |

©Ruchi dixit मुझे प्रेम करना नही आता ,
मुझे पूर्ण नफरत भी नही आती ,
मै पूर्ण ईर्ष्या भी नही कर सकती ,
मुझमे पूर्ण इच्छा नही है
मुझमे पूर्ण अनिच्छा भी नही

Abhinivesh Kumar

वह सारे काम जो आपने किया तो है लेकिन किसी बाहरी दबाव में आकर या अनिच्छा से। अगला आदमी यह नहीं देखता है कि आपने उस काम को क्यों किया वह सिर्फ #yqdidi

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अपनी 'जीवन रूपी' कहानी लिखते-लिखते,
कुछ गलत ना लिख देना
'भावार्थ' कोई समझे या न समझे
'लिखावट' की पहचान यहां सब को है वह सारे काम जो आपने किया तो है लेकिन किसी बाहरी दबाव में आकर या अनिच्छा से।
अगला आदमी यह नहीं देखता है कि आपने उस काम को क्यों किया वह सिर्फ

Sarita Shreyasi

सुनने की कोशिश करती हूँ, मौन में डूबे शब्द को, नेपथ्य के निःशब्द को, सुनने की कोशिश करती हूँ, हर कहे-अनकहे शब्द को। जब स्पष्ट सुन नहीं पाती, #yqdidi

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सुनने की कोशिश करती हूँ,
मौन में डूबे शब्द को,
नेपथ्य के निःशब्द को,
सुनने की कोशिश करती हूँ,
हर कहे-अनकहे शब्द को।

                              जब स्पष्ट सुन नहीं पाती,
                              तो देखती हूँ,बस देखती हूँ,
                              लोगों को,उनकी नजरों को,
                              उनके संदेह और मुसकान को,
                              उनकी अनिच्छा और थकान को,
                              शायद कुछ पढ़ सकूँ किसी को।

जब दृश्य भी ओझल हो जाता,
नजरों में सबकुछ नहीं समाता,
बंद कर लेती हूँ,आँख और कान,
देती हूँ स्वयं को अपना ही दान,
गिनती हूँ स्पंदण,प्रत्यक्ष और गौण की,
सुनती हूँ संवेदना,निजमन की,मौन की। सुनने की कोशिश करती हूँ,
मौन में डूबे शब्द को,
नेपथ्य के निःशब्द को,
सुनने की कोशिश करती हूँ,
हर कहे-अनकहे शब्द को।
जब स्पष्ट सुन नहीं पाती,

Suparas Jain

"मैं कौन हूँ?" (भाग-1) मैं पूर्ण हूँ, स्वयं में सम्पूर्ण हूँ, नहीं आवश्यकता मुझे किसी की, होता जा रहा हूँ परिपक्व, अंकुरित होने को आतुर, #Soul #eternal #yqbaba #yqdidi #yqhindi #sajalsays #readcaption #sprituality

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"मैं कौन हूँ?" (भाग-1)

मैं पूर्ण हूँ, 
स्वयं में सम्पूर्ण हूँ,
नहीं आवश्यकता मुझे किसी की,
होता जा रहा हूँ परिपक्व,
अंकुरित होने को आतुर, 
छटपटाता हुआ भ्रूण हूँ |

 #readCaption  "मैं कौन हूँ?" (भाग-1)

मैं पूर्ण हूँ, 
स्वयं में सम्पूर्ण हूँ,
नहीं आवश्यकता मुझे किसी की,
होता जा रहा हूँ परिपक्व,
अंकुरित होने को आतुर,

EduGO Rising India

कविता :: जीवनसंगिनी में नदी हूँ अगर तुम जलधारा हो तो स्वागत है, विशाल वृक्ष मैं जीवन स्वरूप तुम गर मद्धम पवन हो तो स्वागत है, इच्छा हो #Love #Time #Relationship #Truth #WayOfLife #NewLife #dedication #lifepartner #shivshakti

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 कविता :: जीवनसंगिनी

में नदी हूँ 
अगर तुम जलधारा हो तो स्वागत है, 
विशाल  वृक्ष मैं जीवन स्वरूप 
तुम गर मद्धम पवन हो तो स्वागत है,
इच्छा हो

Sunita D Prasad

# बिंदुओं के मध्य.. जीवन में बहुत कुछ.. दो बिंदुओं की परिधि में ही सिमटकर रह जाता है और अधिकतर.. अनुत्तरित और अनिच्छा की भेंट चढ़ जाता ह #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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जीवन में बहुत कुछ..
दो बिंदुओं की परिधि में ही 
सिमट कर रह जाता है
और अधिकतर.. 
अनुत्तरित और अनिच्छा की 
भेंट चढ़ जाता है।

तितलियों का रूप..
वरदान और शाप के मध्य 
अभिशापित रहा।
वैसे ही जैसे, प्रेम..
होने और रहने के बीच 
रहा..'शापग्रस्त'।

झूठ..
सत्य और विवेक के मध्य 
शाश्वत रहा।
वैसे ही जैसे, उम्मीद..
इच्छा और विश्वास के मध्य 
साँसें गिनती रही।

कविताएँ भी, 
यथार्थ और परिकल्पनाओं के मध्य 
अपना अस्तित्व, खोजती रहीं..।
वैसे ही जैसे, मैं..
सोचने और लिखने के बीच 
जीवित रही।

अधिकांशतः .. हाशिए तक 
पहुँच ही नहीं पाया।
न सुंदरता, न कविताएँ 
और न ही झूठ..!
मध्य की स्थिति ने
मध्य में ही दम तोड़ दिया..।। # बिंदुओं के मध्य..

जीवन में बहुत कुछ..
दो बिंदुओं की परिधि में ही 
सिमटकर रह जाता है
और अधिकतर.. 
अनुत्तरित और अनिच्छा की 
भेंट चढ़ जाता ह

Anamika Nautiyal

समानांतर चलते हो समान नहीं कहते हर 'वाद' पर नारियों के 'वाद' गिनते और गिनवाते हो.. इर्द-गिर्द घूमते-घुटते #YourQuoteAndMine #transgender #समानता #किन्नर #अतुकांत #अनाम_ख़्याल #तीसरी_रेखा

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        "तीसरी रेखा" समानांतर चलते हो
समान नहीं कहते
हर 'वाद' पर
नारियों के 'वाद'
गिनते और
गिनवाते हो..

इर्द-गिर्द घूमते-घुटते
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