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Pushpvritiya
अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना || हर ले मन की दुविधा सारी, आशा ज्योत जलाकर न्यारी | बाँधी है जब नेहा ऐसी , भय शंका तब बोलो कैसी || @पुष्पवृतियाँ . . ©Pushpvritiya #चौपाई अश्रु सुनियो धीरज धरना, प्रेम कठिन पर पार उतरना | पग-पग काँटें हैं यह माना, मेल विरह का ताना-बाना ||
Vrjesh Kumar
Instagram id @kavi_neetesh
समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र बोस जी के नाम पर एक सुभाष चालिसा का प्रयास: दोहा अष्ट शताब्दी वर्ष तक , यह भारत रहा गुलाम । कभी मुगल कभी गोरे , रहे शासन ये अविराम ।। चौपाई जय सुभाष तेरा अभिनंदन । चरण तुम्हारे कोटिशः वंदन ।। जय जय हे वीर भारत नंदन । चीख पुकार सुने तुम क्रंदन ।। मुगल शासन निरंतर कीन्हा । ब्रिटेन पुर्तगाल शासन लीन्हा ।। अठारह शताब्दी औ सत्तावन । गोरे बने थे कंस बालि रावण ।। READ IN CAPTION........ ©Instagram id @kavi_neetesh विषय: सुभाष चन्द्र बोस जयंती या पराक्रम दिवस समस्त माताओं , बहनों एवं बंधुओं को सुभाष चंद्र बोस जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । सुभाष चंद्र
Anil Ray
दृश्य स्वरूप से परे, मेरा एक निजस्वरूप भी है हजारों वस्त्र तन के लिए पर नजरदोष का क्या? कुदरत से प्राप्त कुदरती जिस्म अनमोल है मेरा तुम्हारा वजूद भी मिटेगा खुद को मिटा दूं क्या? ©Anil Ray विचारार्थ लेखन.................✍🏻 "सर! उस साली के बहुत पंख निकल आए हैं। कहती हैं मैं औरों के जैसी नहीं हूँ ... अजीब गंदी औरत है जो साफ होने
Bharat Bhushan pathak
वर्ष नूतन का मतलब यही,शपथ कुछ नया करने की। हार-जीत की बातें भूलकर,कारण गलती धरने की।। अलग नहीं है कुछ भी करना,हिम्मत गलती वरने की। मार्ग कठिन हो कितना चाहे,हामी सत्य की भरने की।। ©Bharat Bhushan pathak #teatime #newyearresolution वर्ष नूतन का मतलब यही,शपथ कुछ नया करने की। हार-जीत की बातें भूलकर,कारण गलती धरने की।। अलग नहीं है कुछ भी करना,ह
Ravendra
दीप बोधि
पेश है एक ग़ज़ल :- ******************************** 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 न वो गर बात जनता की सुनेंगे , तो हम धरना प्रदर्शन भी करेंगे। इरादा कर लिया हमने भी पक्का , क़दम हरगिज़ न पीछे अब हटेंगे । हमें तू लाख कर ले तंग लेकिन , तेरे ज़ुल्मों के आगे ना झुकेंगे । फँसाया धर्म के चक्कर में सबको , नहीं इस जाल में अब हम फँसेंगे । दिखाते हैं सभी को डर पुलिस का, कफ़न सर पे है बांधा क्यों डरेंगे तने बैठे हैं ऊंची कुर्सियों पर , ये अब की बार औंधे-मुँह गिरेंगे । ©दीप बोधि 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 न वो गर बात जनता की सुनेंगे , तो हम धरना प्रदर्शन भी करेंगे। इरादा कर लिया हमने भी पक्का , क़दम हरगिज़ न पीछे अब